होली को लेकर होटल संचालक तैयार कर रहे हैं भांति-भांति की मिठाई और नमकीन
लोहरदगा में होली के लिए मिठाई दुकानों में मिठाई बनाने का काम जोरों पर है। दुकानदार काजू कतली, रसगुल्ला और गुझिया जैसी कई मिठाइयाँ तैयार कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में, लोग घर पर पकवान बनाने के बजाय...

लोहरदगा, संवाददाता। होली को लेकर मिठाई दुकानों में जोर-शोर से मिठाई का निर्माण जारी है। होली पर मांग के अनुरूप दुकानदारों द्वारा कई प्रकार की मिठाईयां तैयार की जाती है। जिसमें काजू कतली, काजू बर्फी, काजू रोल, छेना मिठाई, छेना मुर्की, रसगुल्ला, राजभोग, गुलाब जामुन, काला जामुन, रसमलाई, छेना पाइस, लड्डू, मिल्क केक, चम चम, कलाकंद, खीर कदम, टोस्ट, चमचम, पटल मिठाई समेत विभिन्न तरह की मिठाइयां शामिल हैं। जिनका मूल्य तीन सौ रुपया से 15 सौ रुपया प्रति किलो तक होता है। दुकानदारों की माने तो छेने से बनी मिठाई चार से पांच दिन और काजू और सूखे मिठाई दो महीने तक खाने योग्य बने रहते हैं। वहीं होली को लेकर मिष्ठान दुकानों द्वारा बड़ी मात्रा में नमकीन भी तैयार किये जा रहे हैं। मिष्ठान दुकानदारों का कहना है कि होली पर सबसे अधिक बिक्री गुझिया की होती है। इसके साथ ही अन्य मिठाइयों की बिक्री भी अच्छी-खासी होती है। दुकानदारों का कहना है कि पूर्व में होली के अवसर पर घरों में ही पकवान बनाने का ट्रेंड था। पर इधर हाल के वर्षों में लोग घरों में पकवान बनाने के बजाय बाजार की मिठाई और नमकीन से ही काम चला रहे हैं। यही कारण है कि दीपावली की भांति अब होली पर भी मिठाइयों की बिक्री बेहतर होती है। वहीं खरीददारों का कहना है कि होली के मौके पर पहले कई दिनों तक मिलने-जुलने का दौर चलता था। तब घरों में देशी पकवान और मिठाइयों में मालपुआ और पुआ का निर्माण किया जाता था। पर जैसे-जैसे समय बदल लोगों का मिलना-जुलना और आना-जाना भी कम हो गया है। अब लोग घरों में पकवान बनाने के बजाय बाजार के रेडीमेड मिठाई और नमकीन से ही काम चलाते हैं।
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