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17 साल भटकने के बाद मिली थी नौकरी, अब वेतन के पड़े लाले

लातेहार के सुनील बृजिया को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर 17 साल बाद नौकरी मिली, लेकिन छह महीने बीत जाने के बाद भी उसका वेतन नहीं मिला। जिला शिक्षा अधीक्षक और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की...

Newswrap हिन्दुस्तान, लातेहारTue, 13 May 2025 01:32 AM
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17 साल भटकने के बाद मिली थी नौकरी, अब वेतन के पड़े लाले

लातेहार । मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर 17 साल के बाद आदिम जनजाति सुनील बृजिया को नौकरी तो मिल गई,पर वेतन के लाले पड़े हुए हैं। वेतन नहीं मिलने से उसकी माली हालत काफी खराब हो गई है। जिला शिक्षा अधीक्षक और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की लापरवाही के कारण विभाग का चक्कर काटते काटते उसके चप्पल भी घिस गए। अंत में थक हारकर सुनील बृजिया पिछले दिनों उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता के ऑनलाइन व्हाट्सएप पर अपनी पीड़ा बताई, परंतु एक सप्ताह बीच जाने के बाद भी मामला वहीं का वहीं है। मालूम हो कि सुनील बृजिया को 2010 में ही जिला अनुकंपा समिति ने नौकरी दी थी।

परंतु शिक्षा विभाग के आरडीडीई की लापरवाही के कारण वह नौकरी से वंचित रह गया। विभाग के एक शिक्षक ने नौकरी के नाम पर उससे 3 लाख रुपय भी लिया था। नौकरी की आस में सुनील दर-दर भटकता रहा पर कोई भी अधिकारी उसका सुनने वाला नहीं था। अंततः हार कर वह मजदूरी करने बाहर चला गया। मालूम हो कि छह माह पहले सुनील लातेहार आया था और अपनी व्यथा हिंदुस्तान कार्यालय में रखी थी। हिंदुस्तान अखबार ने खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संज्ञान लिया और 24 घंटे के अंदर नौकरी देने की बात कहीं। आनन फानन में पलामू कमिश्नर ने सुनील बृजिया को अपने कार्यालय बुलाकर जॉइनिंग लेटर दिया। सुनील पियून के पद पर प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी गारू में अपना योगदान भी दिया। परंतु छह माह गुजरने के बाद भी उसे वेतन नहीं मिल रहा है। प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी सर्टिफिकेट जांच के नाम पर उसे गुमराह कर रहे हैं। जिला शिक्षा अधीक्षक को भी कई बार अवगत कराया गया। लेकिन उसे वेतन नहीं मिला। अंत में लाचार होकर उपायुक्त के शरण में गया है। सुनील की मां भी पेंशन के लिए वर्षों से लगा रही है चक्कर : मालूम हो कि सुनील के पिताजी शिक्षक थे और 2007 में उनका निधन हो गया था। उसके बाद सुनील को नौकरी देने की प्रक्रिया होते-होते 2010 हो गए। अनुकंपा समिति में नौकरी देने की सहमति बनी परंतु नहीं मिली। सुनील की मां को आज भी 2007 के हिसाब से 7 हजार रुपया पेंशन मिलता है। पेंशन रिवाइज के लिए सुनील की मां कई बार डीसी की जनता दरबार और विभाग का चक्कर काटते काटते थक चुकी है। छह माह पहले डीसी के निर्देश पर वेतन रिवाइज की प्रक्रिया शुरू हुई पर अभी तक मामला लटका हुआ है।

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