कर्तव्यों का सम्यक निवर्हन ही सच्चा धर्म है: गणिनी आर्यिका
झुमरी तिलैया के श्री दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर में साध्वी गणिनी आर्यिका 105 विभाश्री माताजी ने कहा कि कर्तव्यों का पालन करना असली धर्म है। आचार्य नेमिचंद्र सिद्धान्त चक्रवर्ती ने बताया कि गृहस्थी के...
झुमरी तिलैया, निज प्रतिनिधि । श्री दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर झुमरीतिलैया के नव निर्मित जिनालय के प्रांगण में जैन साध्वी गणिनी आर्यिका 105 विभाश्री माताजी ने अपने प्रवचन में कहा कि कर्तव्यों का पालन करने से धर्म का निर्वाह स्वयं हो जायेगा। क्योंकि मनुष्य का असली धर्म कर्तव्यों का निष्ठा के साथ पालन करना है। आचार्य नेमिचंद्र सिद्धान्त चक्रवर्ती ने गोम्मटसार जीवकांड में बताया है कि सबसे पहले आप अपने कर्तव्यों का निर्वाह नहीं करोगे और मंदिर में जाकर पूजन करने लगोगे तो आपकी गृहस्थी नहीं चल सकती। अगर आपने शादी की तो पत्नी , बच्चे का पालन पोषण करना आपका कर्तव्य है। यदि आप बहू है तो आपका कर्तव्य है परिवार के लिए भोजन बनाकर देना, स्त्री की प्रशंसा भोजन व गृहकार्य से ही होती है। पिता का कर्तव्य है अपने पुत्र को पढ़ाना लिखाना योग्य - बनाना , हम घर गृहस्थी में रहते हैं तो हमारा शरीर के प्रति, संबंधों के प्रति,संपत्ति के प्रति क्या कर्तव्य है यह जानना अधिक आवश्यक है। सेवन करने के योग्य कौन सी वस्तु है और कौन सी वस्तु नहीं है, क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए, इसके लिए आचार्य समन्तभद्र स्वामी ने बताया है कि जो आपके लिए अनिष्ट है, उसका त्याग करो। हम दो चीज को देखे एक शरीर और दूसरी आत्मा। आपके शरीर के लिए क्या - क्या अनिष्ट है ,स्वास्थ्य के लिए क्या हानिकारक है, विचार करें।
आज का आहार का सौभाग्य प्रदीप,बिनोद,मनोज,संजय अजय गंगवाल के परिवार को प्राप्त हुआ। संध्या में आनंद यात्रा और णमोकार चालीसा का पाठ हुआ। मंगलवार को आर्यिका 105 विभाश्री माता जी ससंघ का पिच्छीका परिवर्तन कार्यक्रम दिन में 11 बजे बहुत ही भव्य रूप में होगा।
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