जैन साधु और साध्वियों की पहचान है पिच्छिका
पांच महीना से सम्मेदशिखर जी में चातुर्मास करके धर्म की गंगा बहाने वाली जैन साध्वी आर्यिका105 विभाश्री माता जी ससंघ का पिच्छिका परिवर्तन समारोह झुमरीत
झुमरी तिलैया, निज प्रतिनिधि । जैन साध्वी आर्यिका105 विभाश्री माता जी ससंघ का पिच्छिका परिवर्तन समारोह झुमरी तिलैया के बड़ा जैन मंदिर में मंगलवार को किया गया। मौके पर जैन साध्वी आर्यिका माता जी ने कहा कि जैन धर्म में पिच्छिका का बड़ा महत्व है। इसके बिना कोई जैन साधु और साध्वी नहीं हो सकती। यह उपकरण पिच्छिका जैन साधु एवं साध्वियों की पहचान है। उन्होंने कहा कि पिच्छी यदि किसी कारणवश छूट जाती है या गुम हो जाती है तो जैन साधु एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाते है, क्योंकि इससे जीवों की हिंसा का दोष लगता है, इसलिए इसका महत्व है। बड़े ही भाग्यशाली और धार्मिक व्यक्ति को ही गुरुजनों की पिच्छी मिलती है।
पूज्य गुरुमां आर्यिका 105 विभाश्री माता जी ने अपने मंगल देशना ने कहा कि झारखंड प्रदेश में कोडरमा नगरी धर्म नगरी है। यहां के लोग धर्म प्रिय और संस्कृति की रक्षा करने वाले है। सभी के योगदान से ही बड़े से बड़े काम सफल हो जाता है।पिच्छिका भेंट करने सैकड़ो लोगों ने आज गुरुमां के साथ पीछी को लेकर नगर भ्रमण किया। माता श्री ने अपने हाथों से अपनी पुरानी पिच्छी मनोज-वंदना गंगवाल धनबाद प्रवासी, विकास-खुशबू सेठी, मुकेश-मोना छाबड़ा, जय कुमार-त्रिशला गंगवाल, सुशील-शशि छाबड़ा, प्रदीप-मीरा छाबड़ा, नरेंद्र-वीणा झांझरी, लोकेश-गुंजन पाटोदी, सुबोध-आशा गंगवाल, सुरेन्द-सरिता काला, अजय अलका सेठी परिवार को दी। चरण धोने का सौभाग्य सुरेन्द-सरिता काला, कमंडल भेंट करने का सौभाग्य प्रदीप, मनोज वंदना गंगवाल, शास्त्र भेंट का सौभाग्य सुरेश-प्रेम झांझरी, वस्त्र भेंट का सौभाग्य प्रदीप-प्रेम पांड्या और आरती का सौभाग्य महिला संगठन को प्राप्त हुआ। मौके पर समाज के पदाधिकारी के साथ सुरेश झाझंरी, जयकुमार गंगवाल, सुशील छाबड़ा, प्रदीप पांड्या, प्रदीप छाबड़ा, अभिषेक, प्रशम, रौनक, अक्षय, अतुल, शैलेश जैन आदि श्रद्धालु भक्त जनों को माता जी ने आशीर्वाद प्रदान किया। उक्त जानकारी समाज के मीडिया प्रभारी राजकुमार अजमेरा ने दी।
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