वैष्णव परंपरा में भोजन को माना जाता है प्रसाद: ओमनारायणाचार्य
देवी मंडप में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन गोवर्धन पूजा व छप्पन भोग का आयोजन किया गया।
झुमरी तिलैया, निज प्रतिनिधि । देवी मंडप में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन रविवार को गोवर्धन पूजा व छप्पन भोग का आयोजन किया गया। कथा वाचक स्वामी ओम नारायणाचार्य ने भक्तों को गुरु परंपरा, वैष्णव धर्म और छप्पन भोग की महत्ता के बारे में बताया। स्वामी जी ने कहा कि वैष्णव परंपरा में भोजन को केवल भोजन नहीं, बल्कि प्रसाद माना जाता है। उन्होंने गोवर्धन पूजा की कथा सुनाते हुए उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कानी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को सात दिनों तक उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया। इसी संदर्भ में छप्पन भोग का आयोजन किया गया। उन्होंने समझाया कि भगवान को दिन में आठ बार भोग अर्पित किया जाता है। सात दिनों तक यह प्रक्रिया जारी रहने से 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है । उन्होंने स्वामी जी ने रामानुजाचार्य द्वारा स्थापित श्रीसंप्रदाय की महिमा पर प्रकाश डाला।
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