बोले रामगढ़ : यहां ‘काला पत्थर की हुई थी शूटिंग आज वीरान है, मजदूर परेशान हैं
गिद्दी वाशरी परियोजना लगभग साढ़े चार वर्ष से बंद है। कभी यह इलाका काफी गुलजार रहता था। इलाके की खासियत से मोहित होकर कई नामी-गिरामी कलाकार और फिल्म
गिद्दी। नंदकिशोर पाठक पोलेड के सहयोग से 1970 के दशक में चालू गिद्दी वाशरी परियोजना 20 अक्तूबर 2020 से पूरी तरह बंद है। सीसीएल की स्वांग वाशरी परियोजना के धंसने के बाद सुरक्षा के ख्याल से 6 सितंबर 2019 को गिद्दी वाशरी परियोजना से उत्पादन बंद कर दिया गया था। इसके बाद सीसीएल सीएमपीडीआई की विभिन्न टीमों ने गिद्दी वाशरी परियोजना की मरम्मत के लिए निरीक्षण किया। उक्त टीमों के निरीक्षण के बाद मरम्मत करके वाशरी प्लांट को चालू करने की जगह सीसीएल अधिकारियों ने 13 महीने बाद 19 अक्तूबर 2020 को इसे बंद करने का निर्देश जारी किया था। इसके बाद 20 अक्तूबर 2020 से गिद्दी वाशरी परियोजना को पूरी तरह बंद कर है। हालाकि गिद्दी वाशरी परियोजना को स्वांग वाशरी परियोजना के धंसने के बाद सुरक्षा के ख्याल से बंद किया गया था। पर गिद्दी वाशरी को बंद करने का एक महत्वपूर्ण कारण सलाना करोड़ों रुपए घाटा में चलना भी था। बता दें गिद्दी वाशरी के बंद होने के लगभग साढ़े चार साल बीतने के बाद भी गिद्दी वाशरी में पीओ के साथ लगभग 55 कर्मी पदस्थापित हैं जिस पर सीसीएल प्रबंधन सलाना लाखों रुपये खर्च कर रहा है। गिद्दी वाशरी के प्लांट को ध्वस्त कर उसके नीचे दबे कोयला उत्पादन किया जाना है। पर इसके ध्वस्त करने में देर क्यों किया जा रहा है, यह लोगों कीसमझ से परे है।
उल्लेखनीय है गिद्दी वाशरी प्रारंभ में कोकिंग कोल था। पर बाद में कोकिंग कोल के अभाव में गिद्दी वाशरी के लगातार घाटा में रहने के कारण वर्ष 1998 में इसे परिवर्तित कर नन कोकिंग कोल बना दिया गया था। लेकिन जिस घाटा से उबारने के लिए गिद्दी वाशरी परियोजना को परिवर्तित कर नन कोकिंग कोल बनाया गया था। इसके बावजूद गिद्दी वाशरी घाटा से उबारा नहीं जा सका और यह परियोजना घाटे में चलती रही। बताते चलें तब गिद्दी वाशरी परियोजना को रोजाना 5 हजार मीट्रिक टन रॉ-कोल की आवश्यकता थी। लेकिन दो हजार मीट्रिक टन और बाद में एक हजार मीट्रिक टन से भी कम रॉ-कोल की आपूर्ति होने लगी थी। उरीमारी परियोजना से जो भी रॉ-कोल आपूर्ति होती थी। उसमें अधिकांश पत्थर ही भेजा गया था। वह पत्थर आज भी यहां पड़ा हुआ है। कोयले के नाम पर पत्थर आपूर्ति से प्लांट को क्षति पहुंचा और परियोजना को नुकसान हुआ। इसकी जांच भी हुई थी, लेकिन मामले को दबा दिया गया।
सीसीएल प्रबंधन ने घाटा का हवाला देकर प्लांट की स्थिति कमजोर बताकर गिद्दी वाशरी को बंद कर दिया। जिस समय गिद्दी वाशरी बंद हुई थी, तब यहां पर कर्मियों की संख्या लगभग 300 थी। यहां के अधिकांशकर्मियों को अरगड्डा क्षेत्र के विभिन्न परियोजनाओं में तबादला कर दिया गया। पर वर्तमान में परियोजना में एक पीओ के साथ लगभग 55 कर्मी कार्यरत हैं। उसमें 20-25 कर्मी विद्युत सब-स्टेशन में कार्य करते है। इसके अलावे 10-12 सुरक्षाकर्मी है। बहरहाल गिद्दी वाशरी के बंद होने से परियोजना में कार्यरत सीसीएलकर्मियों को तो कोई खास अंतर नहीं पड़ा। क्योंकि उनका स्थानांतरण तो अगल बगल के परियोजना में कर दिया गया। पर इस परियोजना के लोकल सेल से जुड़े मजदूर और अन्य लगभग 9 हजार लोगो का रोजगार छीन गया।
मजदूरों को कहना है गिद्दी वाशरी परियोजना को जब कोकिंग कोल से ननकोकिंग कोल वाशरी बनाया जा रहा था। बीसीकेयू यूनियन ने लोकल सेल के मजदूरों को वैकल्पिक रोजगार के लिए प्रबंधन और प्रशासन के साथ तीनपक्षीय वार्ता हुई थी। इसमें गिद्दी वाशरी के लोकल सेल के मजदूरों को वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराने की बात कही गई थी। पर बाद में प्रबंधन इस पर ध्यान नहीं दिया। इस कारण यहां के हजारों मजदूर, कर्मी बेरोजगार हो गए हैं। इससे लोकल सेल मजदूरों में मायूसी है और उनके परिवार के लोगों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। साथ ही वे पलायन को मजबूर हो रहे हैं।
परियोजना में 1.83 लाख टन बचा हुआ है कोयला
गिद्दी वाशरी परियोजना बंद होने के समय परियोजना में स्लरी कोल स्टॉक 1 लाख 83 हजार 532 टन और रिजेक्ट कोल का 23 लाख 87 हजार टन स्टॉक बचा हुआ था। इसे लोकल सेल के माध्यम से बेचना था। इसके बेचने से गिद्दी वाशरी परियोजना को 60 करोड़ रुपए से अधिक की प्राप्ति होती, पर सीटीओ नहीं मिलने के कारण उक्त कोयला को बेचा नहीं जा सका है। गिद्दी वाशरी के बंद होने के साढ़े 4 साल बीतने के बाद भी उक्त स्लरी और रिजेक्ट कोयला उठाव के लिए सीटीओ नहीं हैै। जबकि इस रिजेक्ट और स्लरी के उठाव से कंपनी को 60 करोड़ से अधिक रुपए की कमाई होती है।
गिद्दी वाशरी की भूमिगत खदान में आग लगने से हो रही परेशानी
सीसीएल प्रबंधन ने गिद्दी वाशरी को बंद करने के बाद इसके नीचे दबा कोयला निकाले जाने की योजना बनाई है। गिद्दी वाशरी को बंद किए लगभग साढ़े चार साल बीत गए हैं। इसके बाद भी गिद्दी वाशरी परियोजना के प्लांट को ध्वस्त नहीं किया गया है। इसके कारण उसके नीचे पड़ा हुआ लगभग 5 मिलियन टन कोयला के जलने की संभावना व्यक्त की जाने लगी है। लोगों का कहना है कि गिद्दी वाशरी के बगल में वर्षो पहले चली भूमिगत खदान में आग लगी हुई है। इसे बुझाने के लिए लगातार प्रयास किए जाने के बाद भी नहीं बुझाया जा सका है। कोयले में लगी आग के कारण गिद्दी ए के माइनिंग वर्कशॉप को अन्यत्र शिफ्ट करना पड़ा। अब इसके बाद गिद्दी वाशरी परियोजना कैंपस स्थित सबस्टेशन को भी अन्यत्र शिफ्ट किया जा रहा है। ताकि इसके नीचे लगी आग की चपेट में सबस्टेशन आकर जल न जाए।
गिद्दी का विश्वकर्मा पूजा होता था खास
गिद्दी के बंद हुए वाशरी परियोजना से यहां के लोगों की कई यादें जुड़ी हुई हंै। यह परियोजना देश विदेश के कई बड़े प्लांट को वाश कोल आपूर्ति की है। रोजगार मुहैया कराने के साथ-साथ यहां के बाजार में रौनक भी थी। इससे आकर्षित होकर तब के बड़े फिल्म निर्माता निर्देशक यश चोपड़ा यहां शूटिंग के लिए आए थे। धनबाद में 1975 के चासनाला के खान दुर्घटना पर आधारित बनाई गई फिल्म काला पत्थर की 1979 में शूटिंग गिद्दी वाशरी परियोजना के प्लांट के साथ स्लरी पॉन्ड में किया था। तब शूटिंग के लिए यहां फिल्म अभिनेता शत्रुध्न सिन्हा अन्य कलाकारों के साथ पहुंचे थे। इतना ही नहीं गिद्दी वाशरी को देखने के लिए 15 अगस्त, 26 जनवरी और विश्वकर्मा पूजा में खास करके लोग गिद्दी आते थे। क्योंकि तब आम लोगों को वाशरी में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। उक्त होली डे को अधिकारी के परमिशन से वाशरी प्लांट में घूमने दिया जाता था।
2018-19 में सर्वाधिक 56 करोड़ रुपए का हुआ था घाटा
गिद्दी वाशरी परियोजना का वितीय वर्ष 2018-19 में 56 करोड़ रुपए का सर्वाधिक घाटा हुआ था। 1970 में स्थापित गिद्दी वाशरी परियोजना परियोजना के इतिहास में वितीय वर्ष 2018-19 में 56 करोड़ रुपए का सर्वाधिक घाटा हुआ था। वहीं वितीय वर्ष 2019-20 में अगस्त महीने तक 16 करोड़ रुपए घाटा हो गया। इसके बाद सितंबर महीना से परियोजना का उत्पादन रोक दिया गया। इसके बाद में अक्तूबर 2020 में वाशरी बंद ही कर दी गई। इसके पहले वितीय वर्ष 2015-16 में 29 करोड़ 14 लाख का घाटा हुआ था।
लोगों ने कहा- लोकल सेल जल्द चालू कराएं
प्रबंधन ट्रेड यूनियन बीसीकेयू, प्रबंधन और प्रशासन के साथ 23 मई 1998 को हुए समझौता को लागू करे। साथ ही गिद्दी वाशरी के 516 दंगल के हजारों मजदूरों को वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराए, ताकि वह अपनी जिंदगी बसर ढंग से कर सके।
—आरडी मांझी, भाकपा माले केंद्रीय सदस्य
गिद्दी वाशरी परियोजना के लोकल सेल में काम करने वाले 516 दंगल के मजदूरों को वैकल्पिक रोजगार दिए जाने के लिए क्षेत्र के अन्य कोलियरी के लोकल सेल में प्रबंधन गाड़ी की संख्या बढ़ाए। ताकि गिद्दी वाशरी लोकल सेल से बेरोजगार हुए लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सके।—सुंदरलाल बेदिया, प्रखंड अध्यक्ष भाकपा माले
गिद्दी वाशरी परियोजना लोकल सेल के दंगल में डाड़ी, चूरचू, मांडू, पतरातू, बड़कागांव के हजारों लोग जुड़े हुए थे। गिद्दी वाशरी के बंद होने से यहां के दंगल से जुड़े सभी मजदूर बेरोजगार हुए है। इन मजदूरों के रोजगार के लिए प्रबंधन और सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए।—सईद अंसारी
गिद्दी वाशरी परियोजना जब चालू था, तब गिद्दी क्षेत्र में दूसरे जगह और राज्य से लोग यहां रोजगार पाने आते थे। पर स्थिति विपरित हो गई। अब गिद्दी क्षेत्र के लोगों को दूसरे राज्य और जगहों पर रोजगार पाने के लिए सस्ते दर पर जाना पड़ रहा है। प्रबंधन रोजगार उपल्ब्ध कराए। -हरि प्रसाद
गिद्दी वाशरी परियोजना के बंद होने से वाशरी लोकल सेल से जुड़े लोगों के रोजी रोजगार पर संकट आ गया है। इसका उनके बाल बच्चों के जीवन यापन पर भी असर पड़ा है। ऐसे में क्षेत्रीय प्रबंधन गिद्दी वाशरी लोकल सेल के बेरोजगार मजदूरों को वैकल्पिक रोगजार उपलब्ध कराए।-रामकिशुन मुर्मू
गिद्दी वाशरी के बंद होने से वाशरी लोकल सेल में काम करने वाले मजदूरों के साथ-साथ गिद्दी रेलीगढ़ा, गिद्दी सी और जहां के मजदूर काम करने आते थे वहां के दुकानदारों का कारोबार प्रभावित हुआ है। इसलिए वाशरी के दंगल के मजदूरों को किसी अन्य कोलियरी में रोजगार से जोड़ा जाए।-काली मांझी
गिद्दी वाशरी परियोजना का सीटीओ दिला कर वाशरी लोकल सेल चालू किया जाए ताकि परियोजना के स्टॉक में जमा स्लरी और रिजेक्ट का उठाव किया जा सके। ताकि वाशरी लोकल सेल के मजदूरों को काम मिल सके। इससे प्रबंधन को भी करोड़ों रुपए का लाभ होगा।-खेमलाल बेदिया
प्रबंधन वर्ष 1998 में बीसीकेयू, क्षेत्रीय प्रबंधन और प्रशासन के बीच हुए समझौता को लागू करे। ताकि
गिद्दी वाशरी के बेरोजगार हुए दंगल के मजदूरों को क्षेत्र के विभिन्न कोलियरी से जोड़कर रोजगार उपलब्ध कराए, ताकि वे अपना परिवार का भरण-पोषण कर सकें।
—इस्लाम अंसारी, वाशरी लोकल सेल कर्मी
गिद्दी वाशरी परियोजना के बंद होने से वहां के लोकल सेल के मजदूरों के समक्ष रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है। इसके चलते कई लोग रोजगार की तलाश में दूसरे जगह चले गए। कुछ खेती बारी से जुड़ कर किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं।
—फागू बेदिया, लोकल सेल कर्मी
गिद्दी वाशरी परियोजना लोकल सेल के बेरोजगार हुए मजदूरों के समक्ष रोजगार का संकट है। यहां के मजदूर रोजगार के लिए इधर उधर भटकते हैं। इसलिए क्षेत्रीय प्रबंधन वाशरी लोकल सेल मजदूरों को तीन पक्षीय समझौता के अनुसार वैकल्पिक रोगजार देने की व्यवस्था करे।—हरखू बेदिया, लोकल सेल कर्मी
गिद्दी वाशरी बंद होने के बाद से वाशरी लोकल सेल से जुड़े मजदूरों के समक्ष रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है। इसे दूर करने के लिए क्षेत्रीय प्रबंधन को वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था करने की जरूरत है। इसके लिए क्षेत्र के यूनियन नेताओं राजनीतिक दल के नेताओं को दबाव बनाने की जरूरत है। युनूस अंसारी, लोकल सेल कर्मी
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