मरचोई में साल 2010 और घोड़सीमर के समीप सकरी नदी पर 2017 में बने पुल पर बड़े-बड़े गड्ढे
- हमेशा होती हैं दुर्घटनाएं - बारिश में पुल का सातवां पिलर दो फीट नीचे
सतगावां, निज प्रतिनिधि। प्रखंड में बने पुल जानलेवा साबित हो रहा है। मरचोई में साल 2010 और दूसरे घोड़सीमर के समीप सकरी नदी पर बने पुल साल 2017 में निर्माण हुआ था, जो जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है। पुल पर आने-जाने वाले लोगों को हमेशा डर बना रहता है। भारी वाहन के आवागमन से उत्पन्न हुए कंपन के कारण कभी भी पुल क्षतिग्रस्त हो सकता है। मीरगंज के सकरी नदी पर बना पुल पर बने बड़ा गड्ढा जानलेवा साबित हो रहा है। रोज यहां पर छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं हो रही हैं। खासकर बाइक सवार लोगों को ज्यादा परेशानी होती है। कटैया और मीरगंज पंचायत के दुमदुम स्थित घोड़सिमर से मीरगंज कानीकेंद जोड़ने वाली सकरी नदी पर स्थित पुल से दो पंचायत का लगभग 30 हजार आबादी लाभान्वित है। दूसरी तरफ मरचोई में सकरी नदी पर 14 साल पहले में मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना अंतर्गत नौ करोड़ की लागत से पुल बना है। इसमें 19 पिलर है। इस पुल में लगे लोहे के गटर को चोर काटकर ले गए। इसके कारण बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं। गड्ढा इतना खतरनाक हो गया है कि कभी भी हादसा हो सकता है। मरचोई पुल निर्माण कार्य में भारी गड़बड़ी के कारण पहले ही बारिश में पुल का सातवां पिलर दो फीट नीचे धंस गया था। इसके बाद ठेकेदारों की नींद खुली और पुल को पुनः जल्दी-जल्दी लेवलिंग कर खानापूर्ति कर दी गई थी। ग्रामीणों का कहना है कि पुल कभी भी क्षतिग्रस्त हो सकता है। दोनों पुल पर बने गड्ढे से दुर्घटनाएं होती रहती है। इसके बाद भी विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया है।
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पुल बदहाल स्थिति में पहुंच गया है
साल 2017-18 में करोडों रुपए की लागत से 32 पिलर का घोसिमर स्थित सकरी नदी का पुल निर्माण में प्राक्कलन के अनुसार कार्य नहीं किया गया है। उक्त पुल निर्माण कार्य में भारी गडबडी बरती गई। इसके कारण पुल बदहाल स्थिति में पहुंच गया है। पुल के उपरी सतह पर लगे लोहे के गटर की चोरों ने चोरी कर लेने के कारण पुल पर बड़े-बडे गड्ढे हो गए हैं।
स्थानीय, धर्मेंद्र कुमार
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पुल पर आवाजाही करने वालों को लगा रहता है डर
पूल निर्माण के तीन से चार वर्ष के बाद ही क्षतिग्रस्त हो गया है। इसके बावजूद अभी तक प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। आवाजाही करनेने वाले ग्रामीणों को डर लगा रहता है।
स्थानीय, रामावतार चौधरी
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