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पके केले के छिलके से ऑर्गेनिक खाद बनाने सहित वैज्ञानिक तकनीक से खेती का किसान ले रहे प्रशिक्षण

जामताड़ा के किसान पके केले के छिलकों से ऑर्गेनिक खाद बनाएंगे और खेती में उसका उपयोग करेंगे। तिलका मांझी कृषि महाविद्यालय की 21 छात्राएं किसानों को प्रशिक्षण दे रही हैं। यह प्रशिक्षण केंद्र सरकार के...

Newswrap हिन्दुस्तान, जामताड़ाSat, 1 March 2025 04:16 AM
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पके केले के छिलके से ऑर्गेनिक खाद बनाने सहित वैज्ञानिक तकनीक से खेती का किसान ले रहे प्रशिक्षण

जामताड़ा, प्रतिनिधि। जामताड़ा के किसान अब पके केले के छिलके से ऑर्गेनिक खाद बनाएंगे और उसका उपयोग खेतों में करेंगे। यही नहीं ऐसे कई तकनीक किसानों को सिखाई जा रही है। जिसका उपयोग हुआ खेती में कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। इस प्रशिक्षण के लिए जामताड़ा जिले के रानीडीह तथा मोहरा गांव का चयन किया गया है। वही प्रशिक्षण देने की जिम्मेवारी तिलका मांझी कृषि महाविद्यालय की छात्राओं को दी गई है। पिछले पांच दिनों से इन कॉलेज की 21 छात्राएं गांव के विभिन्न टोला में घूम-घूम कर ग्रुप बनाकर महिला तथा पुरुष किसानों को प्रशिक्षण दे रही है। यही नहीं प्रैक्टिकल के माध्यम से भी किसानों को तकनीकी जानकारी दी जा रही है। ताकि वह बेहतर ढंग से प्रशिक्षण प्राप्त कर सके और दी जा रही है। जानकारी के उपयोग अपने खेती कार्य में कर सकें।

रीवा कार्यक्रम के तहत दिया जा रहा है प्रशिक्षण : कृषि विज्ञान केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार की रीवा कार्यक्रम के तहत किसानों को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार प्रत्येक दिन सुबह लड़कियों की टीम गांव में पहुंचती है और फिर किसानों को अलग-अलग विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाता है और प्रैक्टिकल भी कराया जा रहा है ताकि किसान उसके बारे में जान सके। यही नहीं किसानों के बीच पंपलेट का भी वितरण हो रहा है। प्रशिक्षण देने वाली सभी लड़कियां बीएसई एग्रीकल्चर की छात्राएं हैं। कृषि विज्ञान केंद्र की प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि सरकार द्वारा पढ़ाई के दौरान ग्रामीण कार्य अनुभव विषय के तहत यह कार्य करवाया जा रहा है ताकि विद्यार्थी खुद ग्रामीण क्षेत्र की खेती के बारे में जान सके और किसानों को वैज्ञानिक तकनीक से खेती के बारे में उनके गांव में ही जाकर जानकारी दे सके। इस दौरान जल संचय को लेकर भी किसानों को जागरूक किया जा रहा है।

किसानों में है खुशी: कई किसानों ने बताया कि उनके गांव में आकर जिस प्रकार से बताया जा रहा है और प्रशिक्षण में ऐसे सामानों का उपयोग हो रहा है जो हमारे गांव में आसानी से उपलब्ध हो जाता है इसलिए यह समझने में भी काफी सहूलियत होती है और किसन आसानी से बताए गए जानकारी का उपयोग अपने खेती कार्य में कर सकते हैं।

क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक: कृषि विज्ञान केंद्र जामताड़ा की प्रधान वैज्ञानिक डॉ सुप्रिया सिंह ने कहा कि तिलका मांझी कृषि महाविद्यालय की छात्राएं जामताड़ा आई हुई है। वह रानीडीह तथा मोहरा गांव में प्रत्येक दिन जाकर प्रशिक्षण भी देती हैं और खुद भी प्रेक्टिकल करती है। ताकि किसानों को उसका लाभ मिल सके।

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