प्लेसमेंट के एक साल बाद छात्रों की ट्रैकिंग करेंगे संस्थान
कॉलेजों में विद्यार्थियों के प्लेसमेंट की औपचारिकता पर यूजीसी ने चिंता जताई है। नए निर्देशों के तहत, कॉलेजों को एक साल बाद छात्रों की ट्रैकिंग करनी होगी ताकि यह पता चल सके कि अप्रेंटिस आधारित कोर्स...
कॉलेजों में विद्यार्थियों का प्लेसमेंट तो कराया जा रहा है, लेकिन क्या वाकई में ये प्लेसमेंट विद्यार्थियों के करियर को ऊंची उड़ान दे रहे हैं, या फिर प्लेसमेंट का पूरा तामझाम सिर्फ औपचारिकता मात्र रह गया है। इसकी पड़ताल अब सभी कॉलेजों को करनी होगी। इसके लिए यूजीसी की ओर से कॉलेजों को गाइडलाइन जारी की गई है। यह गाइडलाइन वैसे कोर्स को लेकर जारी की गई है, जो अप्रेंटिस आधारित हैं। दरअसल, नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद कॉलेजों में अप्रेंटिस को अनिवार्य किया गया है, ताकि विद्यार्थियों को कुशल यानी स्किल्ड बनाया जा सके। अब यूजीसी की चिंता इस बात को लेकर है कि स्किल्ड बनाने के इस क्रम में कहीं ऐसा तो नहीं कि विद्यार्थियों के लिए ये कोर्स बहुत उपयोगी साबित नहीं हो रहे हों। इसलिए कॉलेजों को अब प्लेसमेंट के एक साल के बाद विद्यार्थियों की ट्रैकिंग करनी होगी और यह पता लगाना होगा कि उन्होंने अप्रेंटिस वाले कोर्स में जो पढ़ाया व सिखाया गया, वह उनके कॅरियर में काम आ रहा है या नहीं। उन कोर्स से लाभ मिल रहा है या नहीं। ट्रैकिंग के बाद विद्यार्थियों के फीडबैंक व सुझाव के आधार पर कोर्स में जरूरी संशोधन करने की कवायद शुरू की जाएगी।
हाल ही में यूजीसी ने अप्रेंटिसशिप इंबेडेड डिग्री प्रोग्राम (एईडीपी) को लेकर जारी पत्र में इस बाबत उल्लेख किया है। दरअसल, एईडीपी को नए डिग्री कोर्स के तौर पर लांच किया जा रहा है, जो पूर्ण रूप से अप्रेंटिश पर केंद्रित होगी। संस्थान ने इस कोर्स को लेकर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से सुझाव मांगे हैं। इसके साथ ही अप्रेंटिस आधार कोर्स के लिए निर्धारित गाइडलाइन जारी की है। इसमें शैक्षणिक संस्थानों की जिम्मेदारी से लेकर उन उद्योगों की भी जिम्मदारी तय की गई है, जहां विद्यार्थी पठन-पाठन काल में अप्रेंटिस के लिए जाते हैं। अब प्लेसमेंट के एक साल बाद विद्यार्थियों की ट्रैकिंग करने का दिर्शा-निर्देश जारी किया गया है।
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