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आदिवासियों को हिन्दू बता भ्रमित करने की हो रही कोशिश : माझी परगना

आदिवासी समाज के माझी बाबा और परगना बाबाओं की आपातकालीन बैठक में आदिवासी समुदाय के विकास और प्रमोद पेठकर के विवादास्पद बयान की निंदा की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि आदिवासी धर्म सरना है और...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरThu, 19 Sep 2024 12:17 PM
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आदिवासी समाज के माझी बाबा, परगना बाबाओं की आपातकालीन बैठक देश पारगना बैजू मुर्मू की अध्यक्षता में हुई। नारवा में हुई बैठक में आदिवासी समुदाय के सर्वांगीण विकास शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक रोजगार, पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था तथा पारंपरिक ग्राम सभा को मजबूत करने पर चर्चा की गई। तत्पश्चात आरएसएस के सहयोगी संगठन वनवासी कल्याण आश्रम के आखिल भारतीय प्रचार एवं मीडिया संचार प्रमुख प्रमोद पेठकर द्वारा दिए गए कथित बयान की निंदा की गई। अपने बयान में प्रमोद ने कहा था कि सभी जनजातियां हिंदू हैं। सरना धर्म से जोड़कर सनातन और सारना में विभाजन की कोशिश हो रही है। इस बयान को आदिवासी समाज ने हास्यास्पद और आदिवासियों को जबरन हिंदू सनातानी धर्म में धर्मांतरित करने की कोशिश वाला बयान बताया। पारगना बाबा ने कहा कि आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद के नेता बार-बार आदिवासियों को हिंदू बता रहे हैं, जिसका हम आदिवासी समाज कड़ी शब्दों में निंदा करते हुए विरोध करते हैं। प्रमोद पेठकर को शायद मालूम नहीं कि आदिवासी जानजातियों का धर्म सरना है। आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद, बीजेपी के लोगों को तो आदिवासी बोलने में भी शर्म आती है। आदिवासियों को वनवासी बोलकर अपमान करते हैं। इनको पता होना चाहिए कि हम इन्सान द्वारा बनावटी मूर्ति पूजा को मान्यता नहीं देते, साथ ही कई पारंपरिक रीति रिवाज, पूजा पद्धति, जन्म से मरण तक का विधि विधान निश्चित रूप से हिंदू-मुस्लिम, सिख, ईसाई समुदायों से अलग है। अगर पेठकर को आदिवासियों के बारे में जानकारी चाहिए तो में झारखंड के आदिवासियों के अगुवा माझी, पारगना, मानकी, मुंडा आदि से मिलें। हम उन्हें गांव गांव घुमाएंगे। कहा कि आदिवासी कल्याण आश्रम जैसे कई संगठन बनाकर भोले-भाले आदिवासियों को गुमराह करना बंद किया जाए। हम न हिन्दू हैं, न मुस्लिम है व न सिख व ईसाई। आदिवासी सिर्फ आदिवासी था, है और रहेगा। आदिवासियों के धर्म के साथ छेड़छाड़ करना बंद होना चाहिए। बैठक में तोरोप पारगना हरिपोदो मुर्मू, सुशील कुमार हांसदा, दसमत हांसदा, मानिज पुन्ता मुर्मू, लखन मार्डी, लेदेम किस्कू, देश पारानिक दुर्गा चरण मुर्मू, जायरेत बिरेन टुडू आदि शामिल थे।

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