बंगाल की ओर बढ़ रहा बाघ, दलमा की सड़क पर मिला पंजे का निशान
दलमा क्षेत्र से एक बाघ गोबरघुसी की ओर बढ़ गया है। शनिवार को बाघ के पंजे के निशान दलमा के विभिन्न स्थानों पर मिले हैं। वन अधिकारियों का मानना है कि बाघ पहाड़ी इलाके में रहना पसंद नहीं करता और संभावित...
दलमा क्षेत्र से बाघ बाहर निकलक कर गोबरघुसी की ओर बढ़ गया है। शनिवार को दलमा के चिमटी से लेकर छिपकी, कुम्हारा और गोबरघुसी के रास्ते में 10 से अधिक जगहों पर पंजे के निशान मिले हैं। दलमा वन्यजीव अभयारण्य के वन अधिकारियों का मानना है कि पहाड़ी इलाके का परिवेश बाघ के अनुकूल नहीं है। बाघ हमेशा मैदानी इलाके में रहना चाहते हैं। दलमा पहाड़ी जंगल हैं, जहां बाघ को विषम परिस्थितियों को सामाना करना पड़ता है। जानकारों का मानना है कि बाघ गोबरघुसी के रास्ते पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के जंगल की ओर निकल सकता है। वह एलिफेंट कॉरिडोर की ओर बढ़ता जा रहा है, जहां पुरुलिया के मैदानी जंगल में प्रवेश कर सकता है। बामनी में लगाए गए कैमरे
दलमा के आसपास के गांवों में कैमरे लगाए गए हैं। जिन रास्तों में पंजे के निशान मिले हैं, उन रास्तों में कैमरे लगाए जा रहे हैं, ताकि बाघ की तस्वीर हाथ लग सके। इससे बाघ की प्रजाति का पता लगाया जा सकता है। फिलहाल, बामनी के पास कैमरा लगाया गया है।
खत्म नहीं हुआ दहशत
दलमा और आसपास के इलाके के ग्रामीणों के बीच अबतक बाघ का दहशत खत्म नहीं हुआ है। लोग अंधेरे में घरों में दुबक जाते हैं तथा हर आहट को बड़ी बेसब्री से भांपने की कोशिश करते हैं। उनके जेहन में बाघ घूमता रहता है। आठ जनवरी को पहली बार सरायकेला के विभिन्न गांवों में बाघ के पंजे के निशान मिले थे। वन विभाग के कर्मचारी बाघ की तलाश कर रहे हैं, जबकि कैमरे में बाघ की तस्वीर कैद नहीं हुई है।
बाघ की गतिविधि अबतक कैमरे में कैद नहीं हो पाई है। पंजे के निशान जिस दिशा में मिले हैं, उससे लगता है कि बाघ दलमा से बाहर निकल गया है।
-सबा आलम अंसारी, डीएफओ, दलमा वन्यजीव अभयारण्य
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