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टाटा के लिए 2024 बेहद चुनौतीपूर्ण रहा : नरेंद्रन

टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेन्द्रन ने 2024 को चुनौतीपूर्ण बताया। चीन की धीमी वृद्धि का वैश्विक स्टील उद्योग पर असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि भारत में स्टील की मांग अच्छी है, लेकिन चीन की स्थिति पर...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरFri, 3 Jan 2025 01:45 AM
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टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेन्द्रन ने कहा कि 2024 कंपनी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। जियो पोलिटिकल स्थिति का कंपनी पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष असर पड़ा। नरेन्द्रन एक जनवरी को सेंटर फॉर एक्सीलेंस में नव वर्ष के स्वागत में आयोजित केक कटिंग समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से चीन में जो स्लो डाउन है, उसका असर पूरी दुनिया पर दिख रहा है। वैश्विक तौर पर स्टील मार्जिन में कमी आई है। अच्छी बात यह है कि भारत में स्टील की मांग अच्छी है। मगर सबसे बड़ी चुनौती यह है कि चीन की स्थिति कब बदलेगी? इसके लिए सरकार को एक्शन लेना होगा। सिटीजन व टिनप्लेट कंपनी के पूर्व एमडी आरएन शर्मा के साथ मिलकर केक काटा।

उन्होंने कहा कि कलिंगानगर, मेरामंडली और दूसरे प्लांट में हम सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं देते। हमारा पूरा फोकस जमशेदपुर पर है। इस तरह से जमशेदपुर और दूसरे प्लांट में सुविधाओं के बीच काफी अंतर है। ऐसे में हमें सोचना होगा कि हम भविष्य में इस गैप को कैसे पाटें? इसके पहले वीपीसीएस चाणक्य चौधरी ने स्वागत भाषण दिया और कहा कि सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट को सफल बनाने के लिए शहरवासियों को सपोर्ट करना होगा। एमडी टीवी नरेन्द्रन, चाणक्य चौधरी ने सीनियर

सुविधाओं में कटौती पर चीन की चुनौतियों का सामना नहीं

सेंटर फॉर एक्लीसेंल में केक कटिंग के बाद एमडी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जमशेदपुर की सुविधाओं में कटौती के मूल्य पर हम चीन की चुनौतियों का सामना नहीं करेंगे। ओडिशा के कलिंगानगर (केपीओ) प्लांट से जमशेदपुर की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि वहां पर चार हजार कर्मचारी हैं और उत्पादन 8 मिलियन टन है, जबकि जमशेदपुर में 11 मिलियन टन के उत्पादन में दोगुना से ज्यादा कर्मचारी हैं। जमशेदपुर में पूरा शहर चलाना पड़ता है, जिसमें काफी निवेश करना पड़ता है। जबकि केपीओ में सौ एकड़ में हमारी हाउसिंग है। इसके बावजूद जमशेदपुर मदर प्लांट होने के चलते हम यहां का ख्याल ज्यादा रखते हैं। वहां के कर्मचारियों को भी लगता है कि जमशेदपुर के कर्मियों को इतनी सुविधा कैसे मिलती है? यह जमशेदपुर की सुविधाओं को कम करने की कीमत पर नहीं होगा।

स्टील की डंपिंग से स्टील सेक्टर प्रभावित

दुनिया भर में चीन द्वारा सस्ते में की जा रही स्टील की डंपिंग से स्टील सेक्टर प्रभावित हुआ है। इसको लेकर अमेरिका, कनाडा और यूरोप ने तत्काल कई कदम उठाए हैं। अपने देश में भी चीन की इस अनैतिक प्रथा को लेकर सेफगार्ड ड्यूटी लगाने की बात चल रही है। उम्मीद है कि सरकार इसपर कोई जल्द फैसला लेगी। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि भारत का स्टील सेक्टर प्रतिस्पर्धी नहीं है, मगर चीन की तरह हम घाटे में भी स्टील नहीं बेच सकते। उन्होंने कहा कि ऐसी बात नहीं है कि यह पहली बार है, जब हमें इन चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है। इसके पहले 2008 और 2015-16 में भी ऐसी चुनौती आई थी और हम उससे उबरे थे।

प्राइवेट निवेश में स्टील इंडस्ट्री देश में सबसे आगे

एमडी ने कहा कि देश में निजी क्षेत्र निवेश में स्टील उद्योग सबसे आगे है। टाटा स्टील समेत देश का पूरा स्टील सेक्टर हर साल 50 हजार करोड़ तक का निवेश करता है, जिसमें केवल टाटा स्टील का निवेश 10 हजार करोड़ के बराबर है। देश में प्राइवेट सेक्टर इन्वेस्टमेंट जरूरी है, क्योंकि यहां पर न केवल लौह अयस्क है बल्कि बाजार भी है। अगर हम इसमें वैल्यू एडिशन करते हैं तो देश में जॉब क्रिएट होगा।

स्टील के दाम बढ़ने पर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च ज्यादा होगा

सरकार को इस बात से झिझक है कि अगर स्टील का दाम बढ़ता है तो उसका असर इन्फ्रास्ट्रक्टर पर पड़ेगा। इसका असर डाउन स्ट्रीम बिजनेस पर पड़ेगा। ऐसे में सरकार भी सोच विचारकर कोई फैसला लेना चाहती है। ऐसा न हो कि स्टील सेक्टर को बचाने के लिए दूसरे सेक्टर को ज्यादा नुकसान हो जाए।

जमशेदपुर में आईएसडब्ल्यूपी में 1500 करोड़ से कॉम्बी मिल

जमशेदपुर में निवेश को लेकर एमडी ने कहा कि हम जल्द ही आईएसडब्ल्यूपी में 1500 करोड़ के निवेश से कॉम्बी मिल लगाने जा रहे हैं। जमशेदपुर के प्लांट का विस्तारीकरण संभव नहीं है। यहां की क्षमता को 11 मिलियन टन से बढ़ाया नहीं जा सकता। ऐसे में जो भी निवेश होगा, वह डाउन स्ट्रीम बिजनेस में ही होगा। 1700 एकड़ में जितना उत्पादन किया जा सकता है, हम कर रहे हैं। इसके अलावा जी ब्लास्ट फर्नेस का अपग्रेडेशन कर क्षमता बढ़ा रहे हैं, मेन्टेनेंस और इमिशन को कम करने के लिए नई तकनीक पर हम निवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा डाउनस्ट्रीम में निवेश जारी रहेगा।

आप हेलमेट नहीं लगाते तो आपसे बेहतर की उम्मीद कैसे

एमडी ने कहा कि शहर को बेहतर बनाने और सुरक्षित रखने के लिए समुदाय को भी सहयोग करना होगा। जहां लोग हेलमेट नहीं लगाते हैं, उनसे शहर को बेहतर रखने की कैसे उम्मीद कर सकते हैं? कंपनी से बाहर आते ही हेलमेट सिर से निकालकर हाथ में रख लेते हैं। शहरवासियों को कंपनी की चुनौती को समझना होगा कि हम किन स्थिति से गुजर रहे हैं? अगर कंपनी की सेहत अच्छी रहेगी तो शहर भी ठीकठाक चलेगा।

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