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टाटा पर दो हजार करोड़ की देनदारी, दो कमेटियां गठित

टाटा लीज का नवीकरण 31 दिसंबर 2025 तक होना है। राज्य सरकार ने 11 महीने पहले से इस पर काम शुरू कर दिया है। दो समितियों का गठन किया गया है जो लीज शर्तों का उल्लंघन और राजस्व का आकलन करेंगी। टाटा स्टील पर...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरSat, 18 Jan 2025 05:59 PM
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टाटा लीज का नवीकरण इस साल होना है, क्योंकि 31 दिसंबर 2025 तक ही वर्तमान लीज की अवधि है। हालांकि राज्य सरकार इसको लेकर 11 महीने पहले ही बेहद सक्रिय हो गई है। इस मामले को लेकर दो कमेटियों का गठन किया गया है। एक कमेटी के प्रमुख कोल्हान के प्रमंडलीय आयुक्त हरि कुमार केसरी बनाए गए हैं। इसमें पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त अनन्य मित्तल और एडीसी भगीरथ प्रसाद शामिल हैं। दूसरी कमेटी एडीसी ने गठित की है। इस कमेटी के प्रमुख धालभूम के एलआरडीसी गौतम कुमार, जमशेदपुर के सीओ मनोज कुमार, सीआई और दो राजस्व उप निरीक्षक शामिल हैं। दो दिन तक कोल्हान आयुक्त हरि कुमार केसरी ने चाईबासा में टाटा लीज को लेकर प्रशासनिक स्तर पर विचार-विमर्श किया। इसके बाद ही कमेटी गठित की गई। इससे पूर्व राजस्व मंत्री दीपक बिरुवा ने कोल्हान आयुक्त के साथ बैठक कर उन्हें टाटा लीज नवीकरण की प्रक्रिया शुरू करने और उसके संबंध में अपनाई जाने वाली रीति नीति को लेकर जरूरी निर्देश दिए। आरंभिक आकलन के बाद पता चला कि टाटा स्टील पर करीब दो हजार करोड़ का बकाया है। यह बकाया कृषि विकास सेस और स्वास्थ्य सेस मद में है। असंगठित मजदूरों के स्वास्थ्य बीमा मद में भी कंपनी ने हर साल 25 करोड़ रुपये की देनदारी नहीं चुकाई है।

आयुक्त वाली कमेटी देखेगी लीज शर्तों का उल्लंघन

आयुक्त की अध्यक्षता वाली कमेटी इस बात की समीक्षा करेगी कि टाटा स्टील ने लीज शर्तों का उल्लंघन किया है या नहीं। अगर किया है कि तो किन-किन शर्तों का उल्लंघन हुआ। इस उल्लंघन का क्या असर पड़ा और इससे कितना वित्तीय नुकसान हुआ। दूसरी कमेटी लीज के राजस्व का वर्तमान दर से आकलन करेगी। हलका वार राजस्व का आकलन किया जाना है। इस कमेटी को फिलहाल दो सप्ताह में यह काम पूरा करने का निर्देश दिया गया है। एलआरडीसी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इस पर काम शुरू कर दिया है। कमेटी की पहली बैठक हो गई है। टाटा स्टील के लैंड विभाग के एक अधिकारी को भी कमेटी ने अपनी मदद के लिए रखा है।

लीज व सबलीज एक कर किया आकलन

बताया जाता है कि टाटा स्टील लीज पर पहले से काम कर रही है। हालांकि उसने लीज और सबलीज दोनों को एक कर राजस्व का आकलन किया है। जिला प्रशासन इससे सहमत नहीं है। वह दोनों को अलग-अलग कर राजस्व का आकलन करेगा।

10852 एकड़ का होना है लीज नवीकरण

सरकार और टाटा स्टील के बीच कुल 10852.27 एकड़ जमीन का लीज समझौता होगा। जनवरी 1956 में टाटा स्टील को 12708.89 एकड़ जमीन का लीज 40 वर्षों के लिए दिया गया था। इसकी अवधि 31 दिसंबर 1995 को समाप्त हो गई। परंतु 15 वर्ष तक लीज नवीकरण टलता रहा। झारखंड बनने के बाद 20 अगस्त 2005 को तत्कालीन सरकार ने भूतलक्षी प्रभाव से 30 साल के लिए 10852.27 एकड़ जमीन का ही लीज नवीकरण समझौता किया था। उस समय 1786.89 एकड़ जमीन को लीज से बाहर कर दिया गया था। यह 86 बस्ती वाली जमीन थी, जिस पर अवैध बस्तियां बस चुकी थीं। इसी जमीन में से टाटा स्टील ने सबलीज पर आम लोगों, कंपनियों, तरह-तरह के संस्थान आदि को जमीन दे रखी है।

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