Hindi NewsJharkhand NewsJamshedpur NewsStruggles of Shaundik Community in Jamshedpur Demand for ST Status and Employment Opportunities

बोले जमशेदपुर : न रोजगार, न सरकारी सहायता, हाशिये पर जीवन जीने को मजबूर

जमशेदपुर में शौण्डिक समाज की स्थिति दयनीय है। कृषि पर निर्भर यह समाज नौकरी और ठेका मजदूरी करने को मजबूर है। जाति प्रमाण पत्र न मिलने के कारण वे शिक्षा और नौकरी से वंचित हैं। 1500 परिवारों की मांग है...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरMon, 10 March 2025 04:52 AM
share Share
Follow Us on
बोले जमशेदपुर : न रोजगार, न सरकारी सहायता, हाशिये पर जीवन जीने को मजबूर

जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम) में 1.25 लाख की आबादी वाले शौण्डिक (सूढ़ी) समाज की स्थिति बेहतर नहीं है। कृषि पर निर्भर रहने वाले इस समाज के लोग नौकरी या ठेका मजदूरी तक अपनी जिंदगी की गाड़ी को किसी तरह खींच रहे हैं। सरकार और प्रशासन से सहयोग नहीं मिलने के कारण युवा पीढ़ी ठेका मजदूरी करने और घर में मूढ़ी बनाने का काम करने को विवश है। जमशेदपुर शहर में इनकी आबादी 1100 के करीब है। हिन्दुस्तान ने समाज की समस्याओं को जानने का प्रयास किया तो उनका दर्द उभरकर सामने आया। अस्सी साल से शहर में रहे शौण्डिक समाज की स्थिति कभी अच्छी नहीं रही। जमशेदपुर में 1500 परिवार वाले समाज के लोग जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल करने की मांग कर रहे हैं। इनका कहना है कि करीब आठ दशक यहां स्थायी तौर पर रहने के बावजूद आज भी सुविधाओं से वंचित हैं। वे झारखंड के मूलवासी हैं, लेकिन आज भी जाति प्रमाण पत्र पहीं मिला। जाति प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण स्थानीय कंपनियों में ही ठेका मजदूरी या अन्य नौकरी करने को विवश हैं। उनके पास खतियानी जमीन नहीं होने के कारण वे झारखंड में सारी सुविधाओं से वंचित हैं। उनके बच्चों को पढ़ाई और नौकरी में लाभ नहीं मिल रहा है, जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। समाज के ही कुछ लोगों ने संगठन बनाकर लोगों को एकजुट करने के साथ ही उनका हक दिलाने के लिए आंदोलन करने की दिशा में पहल जरूर की, लेकिन कोई फायदा नहीं हो सका। एक बार फिर समाज के लोगों ने आंदोलन का रुख अख्तियार किया है और स्थानीय विधायक पूर्णिमा साहू से मिलकर सूढ़ी समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने को लेकर सहयोग करने और विधानसभा में आवाज उठाने का आग्रह भी किया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति दयनीय

शहरी क्षेत्र में समाज के लोग थोड़ी बेहतर स्थिति में हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी स्थिति दयनीय है। कई बार लोगों के पास पहनने के लिए कपड़े तक नहीं होते। लोगों का कहना है कि सामाजिक संस्थाओं द्वारा कंबल वितरण का कार्य भी शहरी क्षेत्र में ही किया जाता है, जबकि ज्यादा जरूरत ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को है। वैसे ग्रामीण क्षेत्र में शौण्डिक समाज के लोगों की संख्या ज्यादा नहीं है, लेकिन वे आर्थिक रूप से संपन्न भी नहीं हैं। समाज का अपना कोई भवन भी नहीं है।

100 साल से रह रहे हैं, लेकिन अपनी जमीन नहीं

मूल रूप से समाज के लोग कृषि कार्य करते रहे हैं। चूंकि शुरुआती समय से पूर्वज दूसरे के खेतों में बंटइया पर काम करते थे और इस कारण उनकी अपनी जमीन नहीं हो सकी। आज भी ग्रामीण क्षेत्र में इनकी स्थिति यही है। कई लोग होटलों में छोटा-मोटा काम करते हैं तो कई लोग ठेला लगाकर जीविकोपार्जन करते हैं। वैसे तो समाज के लोग यहां 100 साल से भी ज्यादा समय से रह रहे हैं, लेकिन अपनी जमीन नहीं होने, अनाबाद बिहार सरकार की जमीन पर बसने, हाउसिंग या फिर टाटा लीज की जमीन पर रहने के कारण इनका खतियान नहीं बन पाया, जिसका उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।

ओबीसी नहीं, एसटी का दर्जा मिले

शौण्डिक समाज के लोगों का कहना है कि अगर सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं मिला तो समाज विलुप्त हो जाएगा। अभी शौणिडक समाज ओबीसी के एनेक्सचर 1 में है, ऐसे में इन्हें आरक्षण का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। उनका कहना है कि समाज के लोग पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा में एसटी श्रेणी में आते हैं। उन्होंने झारखंड में भी एसटी का दर्जा मिले।

कार्यक्रम के जरिए एकजुट करने का प्रयास

समाज के लोगों को एकजुट करने का प्रयास किया जा रहा है। एकजुट न होने के कारण कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, बीच-बीच में मिलन समारोह और अन्य कार्यक्रमों के जरिए समाज के लोगों का जुटान होता है। इस दौरान बेहतर काम करने वाले समाज के लोगों का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्हें सम्मानित भी किया जाता है।

समस्या

- मूलवासी होने, लेकिन अपनी जमीन न होने से नहीं है खतियान

- जाति प्रमाण पत्र नहीं बनने से शिक्षा और नौकरी में परेशानी

- पढ़ाई के बाद भी ठेकेदारी में काम और ठेला पर सामान बेचना मजबूरी

- किसी कार्यक्रम के लिए समाज के पास नहीं है अपना भवन

- समाज के लोगों के उत्थान के लिए नहीं मिल रही सरकारी मदद

सुझाव

- शौण्डिक समाज के उत्थान की जिम्मेवारी सरकार को ही लेनी होगी।

- पश्चिम बंगाल की तर्ज पर शौण्डिक समाज को एसटी का दर्जा मिलना चाहिए।

- झारखंड में सर्वे सेटलमेंट लागू हो, ताकि खतियान बन सके।

- जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल और सुलभ करना चाहिए।

- कारोबार आदि के लिए भी सरकारी मदद मिलनी चाहिए।

शौण्डिक समाज के लोग अनाबाद बिहार सरकार, टाटा लीज और हाउसिंग की जमीन पर रह रहे हैं। इस कारण इनका खतियान नहीं बन रहा है। ऐसे में समाज के युवाओं को नौकरी और शिक्षा में परेशानी हो रही है। सरकार को जल्द सर्वे सेटलमेंट लाना चाहिए।

नंदलाल साहू

शौण्डिक समाज के लोग आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं, इनके उत्थान की दिशा में सरकार को पहल करने की जरूरत है, अन्यथा यह समाज विलुप्त हो जाएगा।

अरुण कुमार, पूर्व अध्यक्ष

समाज के लोगों को किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिलती। हालांकि, मिलन समारोह और अन्य कार्यक्रमों के जरिए समाज को एकजुट करने का प्रयास किया जा रहा है। कार्यक्रमों में समाज के लोगों को सम्मानित भी किया जाता है।

सुनील गुप्ता

शौण्डिक समाज के लोगों के उत्थान के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए। लोन की व्यवस्था भी आसान करनी चाहिए, ताकि वे कोई रोजगार कर सकें।

शिवम कुमार

जाति प्रमाणपत्र न बनना गंभीर समस्या है। इस कारण समाज के बच्चों को पढ़ाई में परेशानी उत्पन्न हो रही है। इसपर ध्यान देने की जरूरत है।

मोहनलाल साहू

समाज का अपना कोई भवन न होने के कारण कार्यक्रम आदि करने में समस्या होती है। इस कारण समाज के लोगों को एकजुट करने में भी दिक्कत होती है।

सूर्यकांत गुप्ता

समाज के लोग ठेकेदारी और दूसरे छोटे-मोटे काम करते हैं। आसान दर पर बैंक से लोन मिलने पर वे अपना कोई कारोबार भी कर सकेंगे।

सुहाना

यहां 100 वर्ष से भी ज्यादा पहले से लोग रहते आ रहे हैं, लेकिन अपनी जमीन तक नहीं खरीद सके। इस कारण खतियान नहीं है। ऐसे में प्रमाण पत्र बनाने की सरल व्यवस्था होनी चाहिए।

शशिभूषण

हमने विधायक से भी अपनी मांगों को सदन मे उठाने की गुहार लगाई है। देखना है कि सरकार कब तक समाज की परेशानियों पर ध्यान देती है।

रामलाल

सभी समाज का अपना एक भवन है, लेकिन शौण्डिक समाज की ओर किसी का ध्यान नहीं है। समाज के लोगों के आर्थिक रूप से संपन्न न होने के कारण उन्हें हाशिए पर रखा जा रहा है।

अनिल कुमार

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।