Hindi Newsझारखंड न्यूज़जमशेदपुरSir Dorabji Tata The Visionary Behind India s First Steel Plant and More

पिता के सपने को साकार किया सर दोराबजी टाटा ने

सर दोराबजी टाटा ने भारत के पहले इस्पात संयंत्र की स्थापना कर औद्योगिक क्रांति की शुरुआत की। उन्होंने टाटा पावर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस और कई प्रमुख ट्रस्टों की स्थापना की। 1920 के ओलंपिक में भारत...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरTue, 27 Aug 2024 06:02 PM
share Share

इतिहास में अक्सर चर्चित व्यक्तियों के नाम ही सुर्खियों में रहते हैं लेकिन उन समर्पित लोगों को कम ही याद किया जाता है जो पर्दे के पीछे रहकर अद्वितीय कार्य करते हैं। सर दोराबजी टाटा भी ऐसे ही एक महान व्यक्ति थे जिनकी दूरदर्शिता ने उनके पिता के मजबूत और समृद्ध भारत के सपने को साकार किया। सर दोराबजी ने चुनौतीपूर्ण छोटानागपुर इलाके में भारत के पहले इस्पात संयंत्र की स्थापना का नेतृत्व किया जो देश की औद्योगिक यात्रा की शुरुआत थी। उनके नेतृत्व ने टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (अब टाटा स्टील) की स्थापना के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी देखरेख में कंपनी ने 2,90,000 टन इस्पात का उत्पादन किया जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों के युद्ध प्रयासों में बेहद अहम साबित हुआ। इस उल्लेखनीय योगदान के सम्मान में ब्रिटिश सरकार ने लौहनगरी का नाम साकची से बदलकर जमशेदपुर रखा जो सर दोराबजी की दूरदृष्टि और विरासत को श्रद्धांजलि है।

पत्नी ने डायमंड जुबिली को गिरवी रख दी

उनकी दूरदृष्टि और दृढ़ संकल्प अद्वितीय थे। उन्होंने विकास और विस्तार की आवश्यकता को गहराई से समझा और युद्ध के बाद के दौर में टाटा स्टील को पांच गुना विस्तार कार्यक्रम के माध्यम से आगे बढ़ाया। कंपनी की सफलता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता इतनी मजबूत थी कि उन्होंने और उनकी पत्नी लेडी मेहरबाई ने कठिन समय में कंपनी को बचाने के लिए अपना व्यक्तिगत धन, जिसमें लेडी मेहरबाई का जुबली डायमंड भी शामिल था, गिरवी रख दिया। उनके देश के औद्योगिक विकास में अपार योगदान के लिए उन्हें 1910 में नाइटहुड से सम्मानित किया गया।

टाटा पावर की स्थापना की

सर दोराबजी भारत के प्राकृतिक संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहते थे। उन्होंने टाटा हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर सप्लाई कंपनी, आंध्र वैली पावर सप्लाई कंपनी और टाटा पावर कंपनी नामक तीन कंपनियों की स्थापना की जिन्हें मिलाकर आज टाटा पावर के नाम से जाना जाता है।

इंडियन इन्स्टीट्यूट ऑफ साइंस की स्थापना की

उन्होंने बेंगलुरू में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की स्थापना की जो आज एक प्रमुख संस्थान बन गया है और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने तथा भारत में नवाचार की संस्कृति को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट की स्थापना

सर दोराबजी ने सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और इसके अन्य ट्रस्टों की स्थापना की। इन ट्रस्टों के माध्यम से टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च और नेशनल सेंटर फॉर द परफॉर्मिंग आर्ट्स जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं की स्थापना की गई।

1920 के एंटवर्प ओलंपिक में भारत की पहली ओलंपिक टीम को वित्तीय सहायता प्रदान की

खेलों के प्रति उनकी लगन भी उतनी ही उल्लेखनीय थी। उन्होंने 1920 के एंटवर्प ओलंपिक में भारत की पहली ओलंपिक टीम को वित्तीय सहायता प्रदान की और भारत की वैश्विक खेल मंच पर उपस्थिति को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके समर्पण ने भारत की ओलंपिक यात्रा की नींव रखी.सर दोराबजी टाटा का निधन 1932 में हुआ, लेकिन उनकी छोड़ी गई विरासत आज भी प्रेरणा का स्रोत है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें