भक्ति ही भवसागर से पार लगाने का एकमात्र माध्यम : बांके बिहारी
अग्रवाल सम्मेलन द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन, बांकेबिहारी गोस्वामी ने कश्यप मुनि और देवहूति के विवाह, उनके पुत्र-पुत्रियों के जन्म और भगवान कपिल मुनि के अवतार की कथा सुनाई। आचार्य ने...
अग्रवाल सम्मेलन की ओर से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को अष्टोतर शत श्रीमद्भागवत कथा का प्रारंभ करते हुए बांकेबिहारी गोस्वामी ने कश्यप मुनि एवं देवहूति के विवाह संपन्न होने, उनको पुत्र पुत्रियों के जन्म एवं उनके सात अलग अलग ऋषि पुत्रों के साथ विवाह होने का प्रसंग सुनाया। भगवान के अंश भूत रूप के प्रादुर्भाव की कथा एवं कश्यप पत्नी देवहूति के यहां भगवान ने स्वयं कपिल मुनि के रूप में अवतार लेने की भी कथा का भी विस्तार से वर्णन किया। आचार्य ने सती चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाजा। शिव के क्रोध से मृत्यु को प्राप्त दक्ष प्रजापति के पुनः जीवित होकर यज्ञ की पुर्णाहुति किये जाने तक का वर्णन विस्तार से बताया। धरुव के जन्म आदि के साथ धरुव चरित्र पर विस्तार से कथा कही। आचार्य ने कहा कि भगवान की भक्ति करने से सब कुछ पाना संभव है, भगवान की भक्ति ही भवसागर से पार लगाने का एकमात्र माध्यम है। इस अवसर पर अंकित अग्रवाल, लाला मूनका, अंकुश जवानपुरिया, सुनील देबुका, लिपू शर्मा, दीपक पारीक, नेहा चौधरी, कमल किशोर अग्रवाल, ओमप्रकाश रिंगसिया, सांवरमल अग्रवाल, राजेश गढ़वाल, शुरभी शाखा, श्याम सखी उपस्थित रहे। इसस पहले साकची के प्रभु दयाल भालोटिया सभागार धालभूम क्लब ग्राउंड में सुबह छह बजे से वृंदावन से पधारे 125 पुरोहितों के द्वारा यजमानों के नाम गोत्र का उच्चारण कर श्रीमद्भागवत पुराण का मूल पाठ वाचन किया गया। इसके बाद पुरोहितों ने पूजा करायी गयी और सभी यजमानों ने सपत्नीक सामूहिक हवन में भाग लिया। कथा स्थल पर श्री टाटानगर गौशाला द्वारा एक सांकेतिक गौशाला निर्मित की गई है। यहां श्रद्धालु तुला दान कर रहे हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।