शिव महापुराण के श्रवण से दूर होते हैं सभी प्रकार के भय : बृजनंदन शास्त्री
मानगो एनएच-33 स्थित वसुंधरा एस्टेट में श्री त्रिशूल शिव महापुराण कथा का समापन हवन, पूजन और भंडारे के साथ हुआ। किरण-उमा शंकर शर्मा और शर्मा परिवार ने मुख्य यजमान के रूप में पूजा की। हजारों श्रद्धालुओं...
मानगो एनएच-33 स्थित वसुंधरा एस्टेट में चल रहे सात दिवसीय श्री त्रिशूल शिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ का का बुधवार को हवन, पूजन और भंडारा के साथ समापन हुआ। सातों दिन मुख्य यजमान के रूप में किरण-उमा शंकर शर्मा सहित समस्त शर्मा परिवार ने पूजा की। हजारों श्रद्धालुओं ने भंडारा (प्रसाद) ग्रहण किया। सात दिन की कथा का मुख्य प्रसंग रहा कि महादेव को जल और बिल्वपत्र अर्पित करें, ताकि भगवान शंकर प्रसन्न हों और भक्तों के सभी कार्य सिद्ध हो। भगवान शिवजी की अनेक लीलाएं हैं। शिव महापुराण की कथा श्रवण से सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं। बुधवार को व्यास पीठ से कथावाचक स्वामी बृजनंदन शास्त्री ने त्रिपुरा वघ, तारकासुर वध, त्रिशुल, त्रिपुंड एवं कार्तिकेय चरित्र का प्रसंग विस्तार से सुनाया। उन्होंने कहा कि भगवान शिवजी के एक बाण से तीनों त्रिपुरों का नाश होते ही सभी देवता भोलेनाथ की जय-जयकार करने लगे और उसी समय सभी देवी-देवताओं ने भोलेनाथ को त्रिपुरारी के नाम से पुकारा। भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरा का वघ किया था। इस कारण इस पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते है। इसदिन घरों एवं मंदिरों में दीयों की आरास बनाकर उनकी पूजा की जाती है और आनंदोत्सव मनाया जाता है।
महाराज ने कहा कि भगवान शिव की पूजा से मनुष्य जीवन के भवसागर को पार कर सकता है व मोक्ष पा सकता है। कालों के काल हैं महाकाल शिवशंकर भोलेनाथ। शिव महापुराण की कथा श्रवण करने से सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान शिव को बेलपत्र और रूद्राक्ष अत्यंत प्रिय हैं। बेलपत्र में अखंड लक्ष्मी का वास होता है। भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने और रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य को कई लाभ मिलते हैं। रुद्राक्ष मानसिक तनाव से मुक्ति देता है। महाराज श्री ने बताया कि भगवान शिव की आराधना में बेल पत्र यानि बिल्व पत्रों का विशेष महत्व है। आस्था के साथ शिवलिंग पर बिल्व पत्र अर्पित करने पर हर मनोकामना पूर्ण होती है।
इनका रहा योगदान
सात दिवसीय शिवकथा महोत्सव को सफल बनाने में प्रमुख रूप से उमाशंकर शर्मा, कृपाशंकर शर्मा, रामाशंकर शर्मा, गिरजाशंकर शर्मा, कृष्णा शर्मा उर्फ काली शर्मा, संतोष शर्मा, विश्वनाथ शर्मा, रामानन्द शर्मा, अनिल कुमार, चंदन कुमार समेत शर्मा परिवार के सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
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