रतन टाटा ने हमेशा राष्ट्र को हर चीज से ऊपर रखा : हरीश भट्ट
रतन टाटा ने अपने करियर में नैतिकता और लोगों के प्रति सम्मान को प्राथमिकता दी। उन्होंने टाटा फाइनांस के फ्रॉड में ग्राहकों के पैसे की रक्षा की और नैनो कार की कीमत में वृद्धि नहीं की। हरीश भट्ट ने...
देश के दिग्गज उद्योगपति रहे रतन टाटा ने हमेशा अपने राष्ट्र को हर चीज से ऊपर रखा। उनके अनुसार, लोगों के साथ सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार करना नैतिकता का मूलभूत सिद्धांत है। साथ ही लोगों के प्रति करुणा दिखाना, जरूरतमंदों की मदद और आराम के लिए हरसंभव प्रयास करना नैतिक उत्तरदायित्व हैं। रतन टाटा ने भारत के लाखों लोगों को प्रेरित किया है। उन्होंने अपने करियर और जीवन दोनों में हमेशा सही काम करने की सच्ची इच्छाशक्ति रखी। ये बातें टाटा समूह के सलाहकार और निदेशक हरीश भट्ट ने शुक्रवार को एक्सएलआरआई जमशेदपुर में बिजनेस एथिक्स पर आयोजित 32वें जेआरडी टाटा ओरेशन में कहीं। उन्होंने सही काम करना-रतन टाटा की विरासत विषय पर व्याख्यान दिया। हरीश भट्ट ने व्यवसाय में नैतिकता और सही काम करने के अर्थ पर रतन टाटा के विचारों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यवसाय के संचालन में नैतिकता पहली जरूरी चीज होती है। नैतिक रूप से सही होने के साथ ही साथ कानून का अनुपालन भी आवश्यक है। इसके साथ इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि व्यवसाय में सभी हितधारकों के प्रति निष्पक्षता का भाव हो, न कि केवल कंपनी के राजस्व पर ध्यान केंद्रित किया जाए। इससे पूर्व एक्सएलआरआई के अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन, एक्सएलआरआई के निदेशक फादर एस जॉर्ज एसजे, एक्सएलआरआई के डीन (अकादमिक) डॉ. संजय पात्रो और जेआरडी टाटा सेंटर फॉर बिजनेस एथिक्स के अध्यक्ष फादर कुरुविल्ला पंडिकट्टू एसजे ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
टाटा फाइनांस में करीब 500 करोड़ का फ्रॉड हुआ, पर किसी का पैसा नहीं डूबने दिया
हरीश भट्ट ने कहा कि रतन टाटा अपने कड़े फैसलों के लिए हमेशा जाने जाते थे। उनके फैसलों के केंद्र में हमेशा नेशन फर्स्ट रहता था। लोगों के साथ कमिटमेंट को हमेशा उन्होंने निभाया, भले ही इसके लिए आर्थिक रूप से नुकसान ही क्यों न उठाना पड़ा हो। नैतिकता और मूल्यों के साथ उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने एक उदाहरण के तौर पर कहा कि वर्ष 2000 में टाटा फाइनांस में करीब 500 करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ। ग्राहकों को पैसे डूबने को लेकर डर सता रहा था। बोर्ड मीटिंग में इसकी जानकारी होने के साथ ही रतन टाटा ने ही सबसे पहले खुलकर कहा कि टाटा फाइनांस में फ्रॉड हुआ है। लेकिन, ग्राहकों को डरने की आवश्यकता नहीं। उनकी मेहनत की एक-एक पाई को टाटा ग्रुप वापस करेगा। इसके बाद टाटा ग्रुप ने करीब 600 करोड़ देकर एक-एक ग्राहक के पैसे लौटाए।
नैनो को लेकर रतन टाटा ने निभाया वादा
नैनो को लेकर रतन टाटा ने घोषणा की थी कि वे उपभोक्ताओं को एक लाख रुपये में नैनो कार देंगे। किसी वजह से प्लांट पश्चिम बंगाल में नहीं लगकर गुजरात में लगा। नए सेटअप के साथ ही वर्षों तक प्रोजेक्ट के लटकने के बाद नैनो मैन्यूफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ गया, इसके बाद भी रतन टाटा ने नैनो की कीमत नहीं बढ़ाई। उन्होंने लोगों से एक लाख में नैनो कार देने का जो वादा किया था, उसे पूरा किया। इसी प्रकार टाटा इंडिका को जब लांच किया गया तो शुरुआती दिनों में इसमें कई प्रकार की परेशानियां आईं। उसे ठीक किया गया। उसके बाद फिर से लांच किया गया। उन्होंने ग्राहकों का साथ कभी नहीं छोड़ा। भारत और इस देश के लोगों के प्रति उनका कमिटमेंट ही उन्हें रतन टाटा बनाता है।
बिजनेस एथिक्स स्थापित करना आज की जरूरत
जेआरडी टाटा सेंटर फॉर बिजनेस एथिक्स के चेयरपर्सन कुरुविल्ला पंडिकट्टू एसजे ने समारोह में कहा कि बिजनेस एथिक्स को स्थापित करना आज की जरूरत है। उन्होंने बताया कि 1991 में एक्सएलआरआई का जेआरडी टाटा एथिक्स ओरेशन शुरू किया गया। इसका उद्देश्य बिजनेस मैनेजमेंट के छात्रों को एथिक्स के प्रति जवाबदेह बनाना था। एक्सएलआरआई भारत का एकमात्र बिजनेस स्कूल है, जिसमें एक प्रसिद्ध उद्योगपति जेआरडी टाटा के नाम पर बिजनेस एथिक्स के लिए समर्पित कार्यक्रम है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।