Hindi NewsJharkhand NewsJamshedpur NewsNDA Strengthens Urban Voter Base in Kolhan Despite Mixed Election Results

गांवों में सेंधमारी से चूका एनडीए, शहर में दिखाया दम

एनडीए ने कोल्हान में तीन सीटों पर जीत दर्ज की है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि शहरी मतदाताओं में उनकी पकड़ मजबूत है। जमशेदपुर पूर्वी और पश्चिमी सीटों पर भाजपा और जदयू के उम्मीदवारों को शहरी मतदाताओं...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरSun, 24 Nov 2024 05:46 PM
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एनडीए को कोल्हान में भले ही मनमाफिक चुनाव परिणाम नहीं मिला हो, लेकिन तीन सीटों पर जीत दर्ज कर गठबंधन ने यह साफ कर दिया कि शहरी मतदाताओं में उनकी पकड़ मजबूत है। जमशेदपुर पूर्वी और जमशेदपुर पश्चिमी सीट को एनडीए के लिए चुनाव की घोषणा के बाद से लगातार कठिन माना जा रहा था, लेकिन दोनों सीटों पर शहरी आबादी ने जिस तरह भाजपा व जदयू पर मतों की बारिश की है, वह एनडीए के लिए राहत देने वाली है। सिर्फ शहरी क्षेत्र की सीटों पर ही नहीं, बल्कि अर्द्ध शहरी व शहर से सटी सीटों पर भी एनडीए प्रत्याशियों ने इंडिया के प्रत्याशियों को जबरदस्त चुनौती दी। पूर्वी विधानसभा सीट पिछले चुनाव (2019) में भाजपा के हाथ से निकलकर निर्दलीय सरयू राय के पाले में चली गई थी। तब तक इस सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता था। 2019 में भाजपा प्रत्याशी रहे पूर्व सीएम रघुवर दास की हार के बाद इस बार इस सीट को भाजपा के लिए कठिन सीट माना जा रहा था, लेकिन शहरी मतदाताओं ने दोबारा भाजपा पर अपना प्यार लुटाया। जमशेदपुर पश्चिमी में भी एनडीए के जदयू प्रत्याशी का चुनाव चिह्न सिलेंडर होने के कारण आशंका जताई जा रही थी कि मामला फंस सकता है, लेकिन यहां भी भाजपा के पारंपरिक वोटरों ने सिलेंडर ही कमल है, के नारे को सफल बनाकर सरयू को जिता दिया। चंपाई सोरेन की सीट पर आधे वोटर शहरी हैं और आधे ग्रामीण। पहले वे झामुमो में रहते ग्रामीण वोटों से जीतते थे, इस बार शहरी वोटरों ने भी उन्हें कमल छाप पर वोट दिया। इसी तरह पोटका विधानसभा सीट पर भी भले भाजपा प्रत्याशी मीरा मुंडा हार गईं, लेकिन जब शहर से सटे बागबेड़ा, कीताडीह, घाघीडीह की ईवीएम खुली तो मीरा मुंडा ने झामुमो प्रत्याशी से 23 हजार तक की बढ़त ले ली थी। उधर, घाटशिला में भी शहरी वोटरों की ईवीएम की गिनती शुरू होते ही भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन कई राउंड तक झामुमो के रामदास सोरेन से आगे रहे। इससे यह साफ हो गया कि भले ही भाजपा ग्रामीण क्षेत्रों में सेंधमारी नहीं कर पाई, लेकिन शहरी क्षेत्रों में इस बार पार्टी की पकड़ पूरी तरह मजबूत दिखी।

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