मातृभाषा हमें संस्कृति और परंपराओं से जोड़ती है : डॉ. धंजल
साकची ग्रेजुएट कॉलेज के हिन्दी विभाग की ओर से अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य...
साकची ग्रेजुएट कॉलेज के हिन्दी विभाग की ओर से अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में मंगलवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर कॉलेज प्राचार्या डॉ. डीके धंजल उपस्थित थी। डॉ. डीके धंजल ने व्याख्यान में कहा कि मातृभाषा वह जड़ है जो हमें अपनी संस्कृति और परम्पराओं से जोड़कर रखती है।
मुख्य वक्ता प्रो. राकेश पांडेय ने कहा कि मातृभाषा व्यक्ति की सहज अभिव्यक्ति है। कोई भी व्यक्ति अपनी भावनाओं को सहज और सरल तरीके से रखना चाहता है तो उसे अपनी मातृभाषा का प्रयोग करना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ हमें अपनी संस्कृति से जोड़े रखती है बल्कि अपने व्यक्तित्व को निखारने में भी योगदान देती है।
हिन्दी विभागध्यक्ष डॉ. मुकुल खंडेलवाल ने भी अपनी मातृभाषा राजस्थान के इतिहास, लोकोक्तियों के बारे में बताया। डॉ. अनुभा जायसवाल ने भारतेंदु की पंक्तियों के माध्यम से मातृभाषा के महत्व को बताया। संगोष्ठी में प्रियंका कुमारी ने हिन्दी में कविता सुनाया। जया सिंह ने भोजपुरी, मामुनी दास ने बंग्ला, कंचन कुमारी ने मगही भाषा में गीत सुनाए। संगोष्ठी का संचालन रेशमी श्रीवास्तव तथा धन्यवाद ज्ञापन पुतुल कुमारी ने किया। इस अवसर पर प्रिया कुमारी, शैल कुमारी, पुजा कुमारी, नेहा कुमारी, दीपा कुमारी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थीं।
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