महज 15 दवाओं के भरोसे चल रहा एमजीएम अस्पताल
कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिलों का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल माना जाने वाला एमजीएम पिछले कई महीनों से दवाओं की भारी किल्लत से जूझ रहा है। आलम यह है कि अस्पताल महज 15 तरह की दवाओं के भरोसे ही चल रहा...
कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिलों का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल माना जाने वाला एमजीएम पिछले कई महीनों से दवाओं की भारी किल्लत से जूझ रहा है। आलम यह है कि अस्पताल महज 15 तरह की दवाओं के भरोसे ही चल रहा है। एमजीएम अस्पताल की ओपीडी डिस्पेंसरी में 56 तरह की दवाएं स्वीकृत हैं, पर वर्तामन में ओपीडी में सिर्फ 15 तरह की ही दवाएं उपलब्ध हैं। दरअसल, एमजीएम में ड्रग कॉरपोरेशन की ओर से की जाने वाली दवाओं की आपूर्ति पिछले करीब एक वर्ष से ठप पड़ी हुई है। दवाओं की आपूर्ति के लिए दो माह पूर्व टेंडर निकाला गया था, पर अब तक टेंडर पूरा होने के बावजूद दवाओं की आपूर्ति नहीं हो सकी है। कमी का आलम ये है कि एमजीएम में पिछले करीब एक माह से गैस और उल्टी तक की दवा उपलब्ध नहीं है। मौसमी बीमारियों का प्रकोप होने के बावजूद इनकी बेसिक दवाएं तक नहीं हैं। मौसमी बीमारियों की दवाओं के नाम पर अधिकतर मरीजों को पैरासिटामॉल, सेफेक्सिम, एजिंथ्रोमाइसिन, कोल्ड सिरप और कुछ एक एंटी बायोटिक ही नसीब हो पा रही हैं। स्किन की दवाएं उपलब्ध हैं। दवाओं की कमी के कारण अस्पताल मरीजों को बाहर से रुपये खर्च करके दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। यह आलम तब है, जबकि एमजीएम ओपीडी में हर दिन करीब 1200 से 1400 मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। इस संबंध में एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी ने कहा कि दवाओं की आपूर्ति के लिए टेंडर किया गया है। टेंडर पूरा हो चुका है। जल्द ही आपूर्ति शुरू हो जाएगी। अस्पताल फंड से भी लोकल स्तर पर दवाओं की आपूर्ति का प्रयास किया जा रहा है।
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