एमजीएम : दस वर्षों में भी नहीं बढ़े आईसीयू के बेड
कोल्हान के एमजीएम अस्पताल में पिछले दस वर्षों में मरीजों की संख्या में डेढ़ गुना वृद्धि हुई है, लेकिन आईसीयू में बेड की संख्या नहीं बढ़ी है। गंभीर मरीजों को इमरजेंसी में इलाज करना पड़ता है, जिससे कई...
कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम (महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज) में दस वर्षों में मरीजों की संख्या में डेढ़ गुना तक वृद्धि हुई है। इसके मुकाबले अस्पताल की आईसीयू में बेड नहीं बढ़ाए गए। पिछले एक दशक से यहां 10 बेड पर ही मरीजों का इलाज हो रहा है। वहीं, आईसीयू के मरीजों को इमरजेंसी में रखकर इलाज किया जाता है। कई बार गंभीर मरीजों को सही इलाज नहीं मिलने पर उनकी मौत भी हो जाती है। खासमहाल स्थित सदर अस्पताल का भी यही हाल है। वर्तमान में एमजीएम अस्पताल में 500 बेड है। दस साल पहले यहां बेड की तुलना में कम मरीज पहुंचते थे। ओपीडी में सात से आठ सौ मरीज का इलाज होता था। वहीं, अब 500 बेड वाले अस्पताल में 700 से 800 मरीज भर्ती रहते हैं और ओपीडी में रोजाना 16 सौ मरीजों का इलाज होता है। इनमें 200 से अधिक मरीज सिर्फ इमरजेंसी में इलाज कराने आते हैं। इनमें कई लोग काफी गंभीर होते हैं। कुछ मरीजों को आईसीयू मिल जाता है, लेकिन अन्य लोगों का इमरजेंसी में ही ऑक्सीजन लगाकर इलाज किया जाता है। इमरजेंसी के ऊपर बने गंभीर चिकित्सा केन्द्र में आईसीयू के छह बेड हैं, जबकि चार बेड आईसीसीयू के हैं, जो हृदय से जुड़े मरीजों के इलाज के लिए बनाया गया है। यहां हृदय रोग के एक भी डॉक्टर नहीं हैं।
वेंटिलेटर का नहीं हो रहा उपयोग
एमजीएम अस्पताल की आईसीयू में तीन वेंटिलेटर हैं, लेकिन विशेषज्ञ नहीं होने के कारण इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसके लिए यहां प्रशिक्षिक डॉक्टर, प्रशिक्षित नर्स और कर्मचारी की आवश्यकता है। हालत यह है कि अस्पताल के ही एक डॉक्टर के बेटे को एमजीएम में वेंटिलेटर नहीं मिल सका। उन्हें निजी अस्पताल जाना पड़ा। एनेस्थीसिया विभाग के चिकित्सक डॉ. पवन दत्ता ने बताया कि आईसीयू में ऑक्सीजन की पाइपलाइन में ऑक्सीजन का सेचुरेशन 40-50 फीसदी है, जो कि वेंटिलेटर पर काम करने के लिए कम है। उसे बढ़ाने की जरूरत है। एक डॉक्टर ने बताया कि कई सालों में मात्र दो या तीन बार ही आईसीयू में वेंटिलेटर का उपयोगि किया गया होगा।
सदर अस्पताल की आईसीयू में मात्र दस बेड
जिले के सदर अस्पताल को कई पुरस्कार मिले हैं, लेकिन यहां भी आईसीयू में मात्र दस बेड हैं। यहां जिले के ही नहीं, बल्कि बाहर के भी लोग इलाज कराने आते हैं। यहां के सभी बेड पर वेंटिलेटर लगा है। एक डॉक्टर वेंटिलेटर पर रखे मरीज को देखते हैं। सिविल सर्जन डॉ. साहिर पाल ने बताया कि उनके यहां सभी दस बेड की आईसीयू के लिए वेंटिलेटर उपलब्ध हैं, जिसका उपयोग किया जाता है।
साकची स्थित एमजीएम अस्पताल को डिमना शिफ्ट करना है, लेकिन इसमें देरी हो रही है। एमजीएम के नए भवन में सौ से अधिक बेड की आईसीयू खुल रही है। इसके बाद परेशानी नहीं होगी। अधिक से अधिक मरीजों को बेहतर सुविधा मिल सकेगी।
डॉ. शिखा रानी, अधीक्षक, एमजीएम अस्पताल
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