एमजीएम हादसा : जांच टीम ने पूछा- श्रीचंद के बीएसटी पेपर व्हाइटनर क्यों लगाया, इतने सालों से क्यों रोका
एमजीएम अस्पताल साकची में शनिवार को हुए हादसे के बाद, जांच टीम ने मंगलवार को अस्पताल में निर्माण एजेंसी से सवाल किए। उन्होंने मृत मरीजों के कागजात देखे और निर्माण प्रक्रिया में खामियों पर सवाल उठाए।...

एमजीएम अस्पताल साकची में शनिवार को हुए हादसे के बाद मंगलवार को दूसरे दिन भी टीम जांच करने अस्पताल पहुंची। टीम ने अस्पताल में निर्माण कर रही एजेंसी से कई सवाल पूछे। पहले टीम अधीक्षक कार्यालय में गई और मृत मरीजों के कागजात देखे। एसडीओ ने श्रीचंद का बीएसटी पेपर (इलाज के कागजात) देखा। पर्ची पर व्हाइटनर लगा हुआ था। उन्होंने पूछा कि व्हाइटनर क्यों लगा है। कई लिखी चीजें साफ नहीं नजर आ रही थीं। सवाल किया गया कि इतने सालों से मरीज को यहां क्यों रोका गया था। इसपर अधीक्षक डॉ. आरके मंधान ने कहा कि कई बार छुट्टी दी गई लेकिन फिर दूसरी बीमारी के बहाने से अस्पताल आ जाते थे।
मरीज कमेटी के सदस्यों ने यह भी सवाल उठाए कि क्या इस भवन को कभी खतरनाक घोषित किया गया था। घटनास्थल का निरीक्षण के दौरान एडीसी ने जांच टीम के सदस्य और भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता से पूछा कि क्या वे कभी इस भवन को देखने आए थे। आए थे तो कितने दिन पहले। इसपर वे ठीक से जवाब नहीं दे सके। टीम ने पाया कि जिस भवन का हिस्सा गिरा है, उस भवन के उसी हिस्से के नीचे लोहे का रॉड लगाकर सपोर्ट दिया गया है। वहीं, गिरने वाले हिस्से के बाद एक नवनिर्मित भवन के लिए एक गड्ढा खोदा गया था। ऐसे में उनलोगों ने सवाल उठाया कि जब बगल में भवन बनाया जा रहा था तो बीच की दूरी को देखते हुए सावधानी क्यों नहीं बरती गई। इतना ही नहीं, जब लोहे के रॉड का भवन के नीचे सपोर्ट दिया गया था तो कोई खतरा महसूस हुआ होगा तभी तो उनलोगों ने सपोर्ट दिया था। इसकी जानकारी अस्पताल प्रशासन या जिला प्रशासन को निर्माण कंपनी ने क्यों नहीं दी। उस दौरान निर्माण कंपनी के अधिकारी नहीं थे तो जांच टीम लौट गई और निर्माण कंपनी के अधिकारी को अपने कार्यालय में बुलाया और बात की। जांच टीम के प्रमुख एडीसी भगीरथ प्रसाद ने कहा कि वह मंगलवार को कई बैठकों के कारण रिपोर्ट नहीं तैयार कर पाए हैं। प्रयास होगा कि बुधवार को रिपोर्ट तैयार कर उपायुक्त को सौंप देंगे। प्राचार्य और कार्यपालक अभियंता को टीम में रखने पर सवाल पांच सदस्यीय जांच टीम में एमजीएम के प्राचार्य भी हैं, जो कि मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के व्यवस्था के जिम्मेवार भी होते हैं। वहीं, भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता भी इस कमेटी में शामिल हैं, जो अस्पताल ही नहीं किसी भी सरकारी भवन के मरम्मत या कंडम घोषित करने का निर्णय लेते हैं। ऐसे में लोगों ने सवाल उठाया कि ये दोनों भी दोषी हो सकते हैं। ऐसे में इनलोगों को जांच टीम में क्यों रखा गया है। ऐसे में जांच रिपोर्ट कैसे पारदर्शी होगी। एडीसी ने कहा कि चूंकि मैं टीम का नेतृत्व कर रहा हूं तो इस रिपोर्ट को मैं ही बनाऊंगा।
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