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एमजीएम में डॉक्टर बढ़े, फिर भी आपॅरेशन के लिए लंबा इंतजार

एमजीएम अस्पताल में कई डॉक्टरों को प्रोन्नति मिली है, लेकिन मरीजों को ऑपरेशन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। हड्डी रोग और नेत्र रोग विभाग में डॉक्टरों की कमी के कारण बैकलॉग बढ़ गया है। मरीजों को...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरWed, 15 Jan 2025 05:42 PM
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एमजीएम अस्पताल में पिछले दिनों कई डॉक्टरों को प्रोन्नति मिली और कई डॉक्टर भी बढ़े, लेकिन ऑपरेशन के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। हालांकि कुछ विभागों में डॉक्टरों की कमी भी हुई है। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। एमजीएम अस्पताल के हड्डी रोग विभाग में भर्ती फनीभूषण ने बताया कि 5 दिसंबर को वे यहां भर्ती हुए और एक महीने के बाद 8 जनवरी को हिप रिप्लेसमेंट की सर्जरी हुई। बताया कि कई लोगों ऑपरेशन के लिए कतार में थे, इसलिए उनके ऑपरेशन की तिथि नहीं मिल पा रही थी। इसी तरह सोनू सिंह चार दिसंबर को भर्ती हुए, लेकिन उनके हिप रिप्लेसमेंट का ऑपरेशन नौ जनवरी को हुआ। कई लोगों का ऑपरेशन था, इसलिए उन्हें देर से ऑपरेशन का समय मिला। विनोद पोद्दार 17 दिन से भर्ती हैं और उनके हाथ का ऑपरेशन होना है, लेकिन अब ऑपरेशन का समय मिला है। इस तरह बुधवार को उनका ऑपरेशन होना है। लेकिन बबलू उरांव का पैर टूटा है और वे रविवार को भर्ती हुए हैं। उनके पैर का ऑपरेशन होना है लेकिन अबतक उन्हें तिथि नहीं मिली है।

नेत्र विभाग में एक ही यूनिट में ऑपरेशन, यहां भी बैकलॉग

नेत्र रोग विभाग में तो एक भी मरीज को भर्ती नहीं किया जा रहा है। विभागाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने बताया कि उंगली चोटिल होने के कारण वे ऑपरेशन नहीं कर पा रहे हैं। उनका करीब 15 मरीजों का बैकलॉग है। उन्होंने बताया कि वे जल्द ही उन मरीजों को बुलाएंगे और उनका ऑपरेशन करेंगे। उन्होंने बताया कि विभाग में दो अन्य डॉक्टर हैं। इसमें एक एसोसिएट प्रोफेसर के पास भी एक यूनिट है। बावजूद इसके दूसरे मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है।

सबसे अधिक ऑपरेशन फिर भी सप्ताह भर वेटिंग

सर्जरी विभाग में तो मरीजों को करीब एक सप्ताह तक इंतजार करना पड़ता है, जबकि यहां रोज सबसे अधिक ऑपरेशन होते हैं। विभाग के अध्यक्ष डॉ. एचआर खान ने बताया कि उनके यहां नौ डॉक्टर थे, जिनमें से एक को प्राचार्य बनाया दिया गया। तथा चार असिस्टेंट प्रोफेसर को प्रोन्नति देकर दूसरी जगह भेज दिया गया। इसके बावजूद हमलोग काफी प्रयास करते हैं। इतना अधिक ऑपरेशन रोज करने के बाद भी मरीजों को सप्ताह भर तक इंतजार करना पड़ता है।

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