केयू में छात्रों को न रोजगार दिलाने की पहल, न शोध की संभावना
राष्ट्रीय मूल्यांकन व प्रत्यायन परिषद की रिपोर्ट में कोल्हान विश्वविद्यालय की कई व्यवस्थाओं पर गंभीर टिप्पणी की गई है। परिषद ने विश्वविद्यालय की शोध नीति और रोजगार संबंधी कमी पर सवाल उठाए हैं।...
राष्ट्रीय मूल्यांकन व प्रत्यायन परिषद की असेसमेंट रिपोर्ट में कोल्हन विश्वविद्यालय को लेकर कई बिंदुओं पर गंभीर टिप्पणी की गई है। इसमें कोल्हान विश्वविद्यालय की कई व्यवस्था पर सवाल उठते हुए परिषद ने इनमें सुधार को लेकर आवश्यक कदम उठाने पर जोर दिया है। विगत वर्ष परिषद की टीम ने विश्वविद्यालय का भौतिक निरीक्षण किया था। इसमें परिषद ने विश्वविद्यालय में शोध कार्यों को लेकर कोल्हान विश्वविद्यालय की अक्षमता पर सवाल उठाए हैं। टीम ने टिप्पणी की है कि कोल्हान विश्वविद्यालय के पास शोध को बढ़ावा देने के लिए कोई स्पष्ट नीति नहीं है। इसके कारण यहां स्नातक और स्नातकोत्तर के स्तर पर शोध की संभावनाएं नहीं दिखती है। इसी के साथ कमेटी ने विश्वविद्यालय के द्वारा यहां के छात्रों को रोजगार दिलाने की दिशा में भी कोई स्पष्ट नीति नहीं होने पर सवाल उठाए हैं। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कोल्हान विश्वविद्यालय में छात्रों को रोजगार से जोड़ने के लिए भी कोई लिखित नीति नहीं है और न ही प्लेसमेंट को लेकर आवश्यक गतिविधियां होती हैं। इस कारण यहां विद्यार्थियों के प्लेसमेंट का आंकड़ा बहुत खराब है। परिषद की टीम ने कोल्हन विश्वविद्यालय के लोकेशन को लेकर कहा है कि यह जिस जगह पर स्थित है, वहां स्थानीय कंपनियों के साथ साझा अभियान चला कर छात्रों के लिए रोजगार के कई अवसर उपलब्ध कराए जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए विश्वविद्यालय के स्तर पर कोई व्यापक पहल नहीं दिखती है।
शिक्षकों की नियुक्ति पर जताई चिंता
राष्ट्रीय मूल्यांकन व प्रत्यायन परिषद की टीम ने विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर स्वायत्त नहीं होने पर भी चिंता जाहिर की है। कहा है कि देश के अन्य विश्वविद्यालयों की तरह कोल्हान विश्वविद्यालय को शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर स्वायत्तता प्राप्त नहीं है। इस कारण शिक्षक नियुक्ति के लिए झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन का मुंह ताकना पड़ता है। अब तक अधिकतर शिक्षकों की सीटें रिक्त हैं। इसका असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। उन्होंने शिक्षक नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय को नियुक्ति करने की स्वायत्तता देने की वकालत की है।
परिषद ने सात बिंदुओं पर किया मूल्यांकन
परिषद की टीम ने कुल 7 बिंदुओं पर कोल्हान विश्वविद्यालय की समीक्षा की है। इसमें जनजातीय क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए कोल्हान विश्वविद्यालय को आवश्यक बताया है। वहीं, लैब की स्थिति पर भी परिषद की टीम ने चिंता जाहिर की है। आधुनिक क्लास रूम की उपयोगिता को लेकर शिक्षकों की अनभिज्ञता पर भी चिंता जताई है।
निरीक्षण के बाद परिषद की टीम ने सौंपी रिपोर्ट
गौरतलब हो कि पिछले वर्ष परिषद की टीम ने कोल्हान विश्वविद्यालय का भौतिक निरीक्षण किया था, जिसके आधार पर यह रिपोर्ट दी गई है। परिषद की टीम का नेतृत्व बतौर चैयरमैन इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी रेवाड़ी के पूर्व कुलपति प्रो. सुरेंद्र गखर ने किया था, जबकि टीम में समन्वयक के तौर पर बेंगलुरु यूनिवर्सिटी की पूर्व प्रोफेसर विमला एम तथा सदस्य के रूप में यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर के प्रो. खुर्शीद अहमद बट, सुरेश ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी की पूर्व डीन प्रो. अनु पुनिया, गांधीग्राम रूरल इंस्टीच्यूट तमिलनाडु की प्रो. केएस पुष्पा शामिल थे।
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