कशिश उर्दू में इतनी है कि हर दिल में समां जाए
साहित्यिक संस्था शायकीन ए अदब ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय भाषा दिवस पर आजादनगर संस्था के कार्यालय में साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया। अध्यक्षता शाकिर अजीमाबादी ने...
साहित्यिक संस्था शायकीन ए अदब ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय भाषा दिवस पर आजादनगर संस्था के कार्यालय में साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया। अध्यक्षता शाकिर अजीमाबादी ने की।
कार्यक्रम का आगाज अशरफ अली अशरफ ने अपनी काव्य रचना कशिश उर्दू में इतनी है कि हर दिल में समा जाए से किया। कवि रुहूल जमील ने भी अपने शेर द्वारा प्रतिक्रिया व्यक्त की, जब तलक जिन्दा हैं शायेक के घराने वाले, खुद ही मिट जाएंगे उर्दू को मिटाने वाले। कवि महशर हबीबी ने भी अपनी मात्र भाषा पर प्रतिक्रिया प्रकट की। उर्दू का हो फाजिल की हो हिंदी का वह पंडित, इंसाफ कलम में हो तराजू जुबां पर। मुख्य अतिथि डॉ. नूरजमा खान ने अपने वक्तव्य के उर्दू शायरों की चर्चा की तथा क्रांतिकारी प्रभाव देने वाले कवियों को श्रद्धांजिल दी। संचालन महताब अनवर व धन्यवाद ज्ञापन सलीम गौसी ने किया। मौके पर हाफिज सैफुज्जमा, जमशेद रहबर, मो.अब्बास, मुमताज अहमद , मो. मोइन व अन्य माजूद रहे।
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