कैबिनेट में कोल्हान के संथाल व हो समाज को साधने की कोशिश
झारखंड सरकार ने कोल्हान क्षेत्र के बड़े वोट बैंक को साधने के लिए दो नए मंत्रियों की नियुक्ति की है। इनमें से एक मंत्री संथाल आदिवासियों और दूसरे मंत्री हो जनजाति का प्रतिनिधित्व करते हैं। दीपक बिरुआ...
झारखंड की सत्ता में कोल्हान का खास महत्व रहा है। यही कारण है कि हेमंत सोरेन ने कैबिनेट के जरिए कोल्हान के बड़े वोट बैंक को साधने की पूरी कोशिश की गई है। यहां से दो मंत्री बनाए गए हैं। दोनों झारखंड मुक्ति मोर्चा कोटा से मंत्री बने हैं। एक मंत्री संथाल आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करते हैं तो वहीं दूसरे मंत्री कोल्हान के हो जनजाति का प्रतिनिधित्व करते हैं। कोल्हान में इन्हीं दो जनजातियों की बहुलता है और अधिकतर सीटों पर इनके वोट जीत-हार का फैसला करते हैं। चाईबासा समेत पश्चिमी सिंहभूम एवं सरायकेला-खरसावां क्षेत्र के अधिकतर विधानसभा सीटों पर हो जनजाति का ठीक-ठाक वोट बैंक है। झामुमो की सरकार में चाईबासा के विधायक दीपक बिरुआ को लगातार तीसरी बार मौका दिया गया है। यहां राजनीतिक रूप से भी दीपक बिरुआ ने विधानसभा चुनाव में एनडीए को रोकने में अहम भूमिका निभाई थी और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के झारखंड मुक्ति मोर्चा से दल बदल कर एनडीए में जाने के बावजूद झामुमो को बहुत नुकसान नहीं होने दिया। हेमंत सोरेन ने चंपाई के पार्टी छोड़ने के बाद दीपक बिरुआ को कोल्हान में डैमेज कंट्रोल के लिए प्रमुख चेहरा बनाया था। इसी तरह घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन भी संथाल समाज में अच्छी पकड़ रखते हैं। इस कारण यहां के संथाल वोटर भी रामदास सोरेन के मंत्री बनाए जाने से उत्साहित हैं। चंपाई के पार्टी छोड़ने के बाद रामदास सोरेन पार्टी के लिए अहम चेहरा बन गए हैं। बड़े आदिवासी नेता के रूप में झामुमो ने उन्हें चंपाई की कमी को पाटने के लिए प्रोजेक्ट किया है। इसलिए लगातार दोबारा उन्हें मंत्री बनाया गया है।
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