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बदलता जमशेदपुर : जमशेदपुर में शहरीकरण की रफ्तार तेज, डेढ़ दशक में 300 प्रतिशत जनसंख्या वृद्धि

झारखंड की औद्योगिक राजधानी जमशेदपुर ने 15 वर्षों में 300 प्रतिशत जनसंख्या वृद्धि दर्ज की है। शहर का क्षेत्रफल भी 8 किमी से बढ़कर 15 किमी हो गया है। इस तेज़ शहरीकरण के कारण रीयल एस्टेट में बूम आया है,...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरFri, 4 April 2025 06:42 PM
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बदलता जमशेदपुर : जमशेदपुर में शहरीकरण की रफ्तार तेज, डेढ़ दशक में 300 प्रतिशत जनसंख्या वृद्धि

झारखंड की औद्योगिक राजधानी जमशेदपुर ने 15 वर्ष में अभूतपूर्व विस्तार देखा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2008 से 2023 के बीच शहर की जनसंख्या में 300 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इस दौरान शहरी क्षेत्रफल 8 किमी के दायरे तक सीमित था, लेकिन अब 15 किमी के दायरे तक पहुंच गया है। शहरीकरण की इस तेज रफ्तार के कारण जहां रीयल एस्टेट सेक्टर में बूम आया, वहीं बुनियादी ढांचे और जनसुविधाओं की भारी कमी अब भी बनी हुई है। जिला प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक, 2008 में जमशेदपुर और आसपास की आबादी 8.5 लाख थी, जो 2023 तक बढ़कर 15.3 लाख हो गई। इतनी तेजी से बढ़ती जनसंख्या ने शहर की भौगोलिक संरचना को पूरी तरह बदल दिया है। टाटा यूआईएसएल की रिपोर्ट के अनुसार, डेढ़ दशक में आवासीय कॉलोनियों की संख्या 45 से बढ़कर 217 हो गई। इस दौरान मल्टीस्टोरी अपार्टमेंट्स और हाई-राइज़ बिल्डिंग्स का निर्माण तेजी से हुआ।

संपत्ति की बढ़ती कीमतें और रीयल एस्टेट में बूम

शहरीकरण के कारण जमीन की मांग बढ़ी। परिणामस्वरूप संपत्ति की कीमतों में भी जबरदस्त उछाल रही। रीयल एस्टेट एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार, 2008 में जिस जमीन का मूल्य ₹औसतन 2500 प्रति वर्ग फुट था, वह 2023 में ₹5,000 प्रति वर्ग फुट हो गया। बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स और शहर में रीयल एस्टेट निवेशकों की संख्या बढ़ी है, जिससे प्रॉपर्टी की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। ग्रामीण इलाकों में 32 से अधिक कॉलोनियां बस गई हैं। मानगो में बालीगुमा, पारडीह, सोनारी से लेकर डोबो होते हुए कांदरबेड़ा, स्टेशन रोड पर परसूडीह, सुंदरनगर तक शहर का विस्तार हुआ है, जहां दर्जनों नए मोहल्ले विकसित हो गए हैं। शहरों की जगह बड़ी आबादी ग्रामीण इलाकों की ओर शिफ्ट होने लगी है। यहां मल्टीस्टोरी भवन तक बनने लगे हैं। स्थिति ये है कि इन इलाकों में दर्जनों नई कॉलोनियों की बसावट हो चुकी है। सरकारी और निजी शिक्षण संस्थान खुले हैं। बड़े-बड़े वाहनों, ज्वेलरी और कपड़ों के ब्रांडेड आउटलेट के खुलने से जमशेदपुर ये इलाके व्यवसायिक हब बन चुके हैं।

बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी

शहर का अनियोजित विस्तार कई बुनियादी ढांचागत समस्याओं को जन्म दे रहा है। नगर निगम और प्रशासनिक रिपोर्ट के अनुसार 60 प्रतिशत नए इलाकों में अबतक सीवरेज सिस्टम नहीं पहुंचा। 45 प्रतिशत सड़कें कच्ची हैं। 78 प्रतिशत नए इलाकों में सार्वजनिक परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं है। प्रति 50 हजार लोगों पर सिर्फ एक सरकारी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र उपलब्ध है।

निजी क्षेत्र की सेवाएं बढ़ने से रोजगार के द्वार खुले

जमशेदपुर में व्यापार-कारोबार और खरीदारी के तरीके भी काफी बदल गए हैं। पहले फूड, दवा, ऑनलाइन शॉपिंग, ओला-उबर सहित कई ऑनलाइन सेवाएं नहीं थीं, पर आज इनकी धमक से लोगों का जीवन आसान हो हुआ है। खरीदारी का तरीका भी बदला है। इससे बड़ी संख्या में रोजगार के द्वार भी खुले हैं।

बेहतर कनेक्टिंग मार्ग बनने से हो रहा विस्तार

शहर के विस्तार में सबसे अहम भूमिका मुख्य और कनेक्टिंग मार्गों का निर्माण है। डेढ़ दशक पहले मानगो के पारडीह, बालीगुमा, सुंदरनगर, घाघीडीह, परसूडीह, छोटागोविंदपुर आदि इलाकों की मुख्य सड़कें बदतर थीं। कई जगह कालीकरण वाली सड़कें तो थीं, लेकिन वह जर्जर थीं। कई जगह सड़कों पर गड्ढे हुआ करते थे। लेकिन धीरे-धीरे इन मार्गों का निर्माण शुरू हुआ। कालीकरण सड़कों के निर्माण से शहर से ग्रामीण इलाकों तक पहुंचना आसान हो गया है। पहले सड़कें दुरुस्त नहीं होने के कारण इन इलाकों में लोगों का आना-जाना कम होता था। अधिकांश निजी वाहन पर ही आने-जाने की विवशता थी, लेकिन अब धीरे-धीरे इन इलाकों में लोगों ने रहना शुरू किया है।

परिवहन सुविधाओं में विस्तार

समय के साथ परिवहन सुविधा का विस्तार हुआ है। डेढ़ दशक पहले तक शहर में जहां सिर्फ डीजल ऑटो और रिक्शा चलते थे। शाम ढलने के बाद लोग डिमना रोड, पारडीह चौक, बालीगुमा, परसूडीह, छोटा गोविंदपुर आदि जगह पर जाने के लिए सोचना पड़ता था। ऑटो नहीं मिलते थे। लेकिन आज शहर में 16 हजार से अधिक ऑटो अलग-अलग मार्गों पर चल रहे हैं। इसके अलावा ई-रिक्शा, प्री-पेड ऑटो और ओला-उबर जैसी सेवाएं भी हैं।

योजनाबद्ध विकास की जरूरत

शहर की तेज़ी से बढ़ती आबादी को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि योजनाबद्ध विकास के बिना यह अनियंत्रित शहरीकरण भविष्य में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। बेहतर सड़कें, परिवहन, सीवरेज सिस्टम और स्वास्थ्य सेवाएं विकसित किए बिना इस तेज़ विकास को बनाए रखना मुश्किल होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि योजनाबद्ध विकास के बिना यह अनियंत्रित शहरीकरण भविष्य में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। स्मार्ट सिटी परियोजनाओं और बुनियादी ढांचे में निवेश की आवश्यकता पर ज़ोर दिया जा रहा है।

किन-किन इलाके में क्या-क्या बना

1. मानगो : नेचर पार्क, बिग बाजार, होटल, अंचल कार्यालय, स्मार्ट सिटी, आयलेक्स, एमजीएम कॉलेज व अस्पताल डिमना, हाइवे फोर लेन, ट्रांसपोर्टनगर, डिमना-मानगो रोड में फ्लाईओवर बन रहा। अवध डेंटल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, स्वीमिंग क्लब, तुरियाबेड़ा में यूनिवर्सिटी सहित अन्य निर्माण हुए।

2. टाटानगर स्टेशन: बर्मामाइंस में नया गेट बना, जुगसलाई में फ्लाईओवर ब्रिज बना, एफओबी, थर्ड लाइन, जुगसलाई पार्क, लोको में रेलवे अंडर ब्रिज।

3. परसूडीह : कृषि भवन, सदर अस्पताल, जेबीवीएनएल का ट्रांसफॉर्मर वेयर हाउस।

4. छाटोगोविंदपुर: एलिवेटेड पुल का निर्माण, घोड़ाबांधा में थीम पार्क, मोहरदा में ट्वीन सिटी, बड़ाबांकी-पीपला और घोड़ाबांधा को जोड़ने वाली सड़क बनी।

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