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एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण में फंसा वनभूमि का पेच

जमशेदपुर में एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण की मंजूरी के बावजूद, एनएचएआई को 2.18 हेक्टेयर वनभूमि लौटाने में कठिनाई हो रही है। एनएचएआई ने वन विभाग से अपवाद की मांग की है, ताकि मार्च 2027 तक निर्माण कार्य...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरFri, 22 Nov 2024 05:36 PM
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जमशेदपुर में एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण की मंजूरी मिलने के बाद वनभूमि का पेच केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग का पीछा नहीं छोड़ रहा है। एनएचएआई की ओर से अधिग्रहित वनभूमि के एवज में 2.18 हेक्टेयर जमीन लौटाई जानी है, लेकिन एनएचएआई को पूरे झारखंड में जमीन नहीं मिल पा रही है। इससे निर्माण कार्य लटक गया है। ऐसी परिस्थिति में एनएचएआई ने वन विभाग को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि उसे अपवाद परिस्थिति बताकर वन विभाग मंजूरी दे, ताकि निर्धारित समय पर एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण पूरा किया जा सके। एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण मार्च 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य है। वन विभाग के क्लीयरेंस के बिना निर्माण संभव नहीं हो पाएगा। पिछले दिनों वन विभाग ने एनएचएआई को पत्र लिखकर 2.18 हेक्टेयर जमीन हस्तानांतरण करने की मांग की थी। इसमें कहा गया था कि कॉरिडोर के निर्माण के लिए लगभग 2.18 हेक्टेयर जमीन दी गई है, जिसके एवज में उतनी ही जमीन वन भूमि वापस करनी है। हस्तानांतरित जमीन के एवज में राज्य के किसी भी क्षेत्र में वन विभाग को जमीन दी जा सकती है, लेकिन जमीन लौटने के मामले में एनएचएआई की तरफ से अबतक कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। नियमानुसार वन भूमि हस्तानांतरित करने के बाद ही एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण आरंभ किया जा सकता है।

पारडीही से बालीगुमा तक बनेगा कॉरिडोर

काली मंदिर-डिमना चौक-बालीगुमा खंड पर 10 किमी लंबे 4 लेन वाले एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण के लिए 936.26 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी गई है। स्थानीय यातायात को अलग कर सुरक्षा बढ़ाने और जमशेदपुर में भीड़ कम करने के लिए इस परियोजना के तहत सड़क को 4 लेन सिंगल-एलिवेटेड कॉरिडोर के रूप में विकसित करने की परिकल्पना की गई है।

सड़क जाम से मिलेगी मुक्ति

लंबे समय से इस एलिवेटेड कॉरिडोर की जरूरत महसूस की जा रही थी। इससे पारडीह काली मंदिर से डिमना चौक के बीच की आबादी के लिए सहूलियत होगी, क्योंकि एनएच-33 पर एलिवेटेड कॉरिडोर होने से स्थानीय आबादी को प्रभावित किए बगैर गाड़ियां आगे निकल जाएंगी। शहर के हिस्से को छुए बिना ही बंगाल, ओडिशा फिर घाटशिला, बहरागोड़ा के लिए वाहन निकल जाएंगे। इससे मानगो की एक बड़ी आबादी को सहूलियत होगी।

एनएचएआई 2.18 हेक्टेयर वनभूमि नहीं लौटा पा रहा है। उसने आग्रह किया है कि अपवाद परिस्थिति बताते हुए उसे फॉरेस्ट क्लीयरेंस दी जाए। उसके आग्रह पत्र को आला अफसरों के पास भेजा जाएगा, ताकि विचार हो सके। प्रमंडल स्तर पर क्लीयरेंस देने का प्रावधान नहीं है।

-सबा आलम अंसारी, डीएफओ, दलमा सह जमशेदपुर वन प्रमंडल

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