Hindi Newsझारखंड न्यूज़जमशेदपुरIncreasing Patient Numbers at MGM Hospital Burn Unit Demand Separate Super Specialty Status

एक डॉक्टर के भरोसे एमजीएम का बर्न वार्ड, नहीं बन पाया विभाग

एमजीएम अस्पताल की बर्न यूनिट में पिछले एक साल में 337 मरीज इलाज के लिए आए हैं, लेकिन यह विभाग अब तक अलग सुपर स्पेशलिटी विभाग नहीं बन सका है। डॉक्टरों का कहना है कि इसे अलग दर्जा मिलने से मरीजों को...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरSun, 17 Nov 2024 05:52 PM
share Share

एमजीएम अस्पताल की बर्न यूनिट में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। एक साल में यहां कुल करीब 337 मरीज इलाज के लिए आए। बावजूद इसके आज तक यह विभाग नहीं बन सका। जबकि इसके लिए कई वर्षों से मांग की जा रही है। ऐसा नहीं होने का खामियाजा सीधे-सीधे मरीज को भुगतना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, भविष्य के लिए भी नए डॉक्टर नहीं तैयार हो रहे हैं। एमजीएम अस्पताल साकची में जले हुए मरीज आते हैं तो उन्हें सर्जरी विभाग की बर्न यूनिट में भर्ती कराया जाता है। यह बर्न यूनिट अस्पताल की ही बिल्डिंग में दूसरे तल पर इसे बनाया गया है। इस यूनिट में प्लास्टिक सर्जन की जरूरत होती है, लेकिन यहां मात्र एक एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में प्लास्टिक सर्जन डॉ. ललित मिंज हैं।

यूनिट के इंचार्ज डॉ. ललित मिंज ने बताया कि कई वर्ष से वे लगातार स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर मांग कर चुके हैं कि बर्न यूनिट को सर्जरी विभाग से अलग कर एक अलग सुपर स्पेशलिटी विभाग के रूप में दर्जा दिया जाए, लेकिन आजतक इस पर काम आगे नहीं बढ़ा। डॉक्टर मिंज ने बताया कि कुछ खास विभाग सिर्फ सुपर स्पेशलिटी विभाग के रूप में ही खोले जाते हैं, जिसमें बर्न विभाग भी एक है।

नए पद करने होंगे सृजित

उन्होंने बताया कि यहां बर्न यूनिट चलाने के लिए टीम वर्क करना होगा। इसके लिए मैन पावर को बढ़ाना होगा। इसमें विभाग के लिए प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर सहित अन्य कई पदों को सृजित करना होगा। इसके खुलने से यहां मरीज को सरकारी अस्पताल में तथा इलाज की बेहतर सुविधा मिल सकेगी। जले हुए मरीज का ऑपरेशन फिलहाल सर्जरी विभाग में किया जाता है। पहले इन मरीजों के ऑपरेशन के लिए सर्जरी विभाग से कई दिन गुहार के बाद ऑपरेशन थिएटर को बर्न यूनिट के लिए दिया जाता था, ताकि इन मरीजों का ऑपरेशन हो जाए। लेकिन यह कितने दिनों बाद मिलता था कोई ठीक नहीं है। लेकिन काफी अनुरोध के बाद अब हर गुरुवार को ऑपरेशन थिएटर बर्न यूनिट के मरीजों के ऑपरेशन के लिए आरक्षित कर लिया गया है। बावजूद इसके एक दिन में सभी ऑपरेशन नहीं हो पाते हैं और ऐसे में मरीजों को एक सप्ताह का फिर इंतजार करना होता है। अपना विभाग होता तो उसके ऑपरेशन थिएटर में मरीज का तत्काल ऑपरेशन किया जा सकता था। इतना ही नहीं, डॉक्टरों की संख्या बढ़ जाती तो मरीज की और बेहतर ढंग से देखभाल और इलाज हो सकता था।

भविष्य के लिए तैयार होंगे डॉक्टर

विभाग बन जाने से प्लास्टिक सर्जरी की भी पढ़ाई शुरू हो सकेगी। इससे हर साल प्लास्टिक सर्जरी के डॉक्टर भी यहां तैयार होते। मरीज को बेहतर इलाज के लिए निजी अस्पताल में जाने की जरूरत नहीं होती और न ही ज्यादा पैसे खर्च होते, बल्कि सरकारी अस्पताल में मुफ्त में उनका इलाज हो सकता था। डॉ. मिंज ने बताया कि वे अगले 3 साल में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। उसके बाद फिर से यह पूरी यूनिट सर्जरी विभाग में ही मिल जाएगी, क्योंकि उनके अलावा और कोई प्लास्टिक सर्जन नहीं है।

सबसे अधिक मरीज महिला

यहां आने वाले हर तरह के मरीजों में सबसे अधिक महिला मरीज ही पहुंचती हैं। वह भी ग्रामीण क्षेत्र से, जो बाहर इलाज कराने नहीं जा सकतीं। एक साल में यहां करीब 133 मरीज पहुंचीं। इसमें अधिकतर गांवों में खाना बनाते समय जलती हैं। वहीं, कुछ अन्य कारणों से जल जाती हैं तो कुछ के साथ आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने में जल जाती हैं। अभी पटाखे से जलने की कई घटनाओं के बाद बच्चे यहां भर्ती हुए हैं।

एक साल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या

मरीज 1 नवंबर 2023 से अबतक मरीजों की संख्या

महिलाएं 133

बच्चियां 44

(एक से 13 वर्ष)

पुरुष 80

बच्चे 80

(एक से 13 वर्ष)

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें