एमजीएम में अब मरीजों मिलेगा पनीर टिक्का और ड्राई मंचूरियन
राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में शाकाहारी मरीजों के लिए मेनू में बदलाव किया गया है। अंडे की जगह पनीर टिक्का और ड्राई मंचूरियन दिया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने इस आदेश के तहत नाश्ते और दोपहर के भोजन में...

एमजीएम सहित राज्यभर के सभी सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए मेनू में बदलाव किया गया है। अब शाकाहारी मरीजों को अंडे की जगह पनीर टिक्का और ड्राई मंचूरियन देने का आदेश जारी किया गया है। यह शाकाहारी मरीजों को अंडा या अंडा करी की जगह विकल्प देने का प्रावधान है। इस संशोधन से राज्यभर के शाकाहारी मरीज लाभान्वित होंगे। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों के लिए आदेश जारी किया है। स्वास्थ्य विभाग ने मेनू में संशोधन करते हुए नाश्ते में रविवार को अंडे की जगह वेज ड्राई मंचूरियन, सोमवार को ड्राई सोयाबीन चिली, मंगलवार को पनीर टिक्का, बुधवार को सोयाबीन हलवा, गुरुवार को ड्राई सोयाबीन चिली, शुक्रवार को पनीर टिक्का और शनिवार को सोयाबीन हलवा देने का निर्देश दिया है। वहीं, दोपहर के भोजन में अंडा करी की जगह रविवार को पनीर पोटैटो और बुधवार को सोयाबीन पनीर देने का आदेश जारी किया गया है।
बता दें कि हिन्दुस्तान अखबार ने एमजीएम अस्पताल के मेनू में अंडे का विकल्प नहीं होने और मरीजों को मिलने वाले भोजन में कमियों को लेकर प्रमुखता से उजागर किया था। 23 जनवरी 2025 को अंडा वाले दिन नहीं बनती सब्जी, शाकाहारी परेशान, 26 जनवरी को एमजीएम में वार्ड व ट्रॉली में नहीं चस्पा है मेनू, और 31 जनवरी को मरीजों को मिल रहा चावल, शूगर बढ़ने से दो बार टला ऑपरेशन शीर्षक से खबरें प्रकाशित की गई थी। इसके बाद स्थानीय विधायक सरयू राय ने अस्पताल का निरीक्षण किया और कई खामियां पाई और स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र भेजा।
मुख्यालय स्तर से जांच के बाद सुधार के दिए गए थे निर्देश
मामले की मुख्यालय स्तर से जांच कराई गई और सुधार के निर्देश दिए गए। निर्देशों के बाद तत्कालीन अधीक्षक के आदेश पर शुगर के मरीजों को दिन में भी रोटी दी जाने लगी, ताकि वे शीघ्र स्वस्थ हो सकें। साथ ही, मरीजों को मेनू की जानकारी देने के लिए किचन सहित अस्पताल परिसर में विभिन्न स्थानों पर बड़े अक्षरों में मेनू बोर्ड पर चस्पा किया गया। खामियों की जांच में यह भी सामने आया कि मेनू में अंडे का कोई शाकाहारी विकल्प नहीं था। यह त्रुटि सिर्फ एमजीएम अस्पताल में नहीं बल्कि राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में पाई गई, क्योंकि मेनू का प्रारूप मुख्यालय से जारी हुआ था, जिसे स्थानीय स्तर पर बदला नहीं जा सकता था। इस कारण रोज़ाना हजारों मरीजों को परेशानी हो रही थी और उनके अधिकारों का हनन भी हो रहा था।
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