बोले जमशेदपुर: गोविंदपुर में ड्रेनेज ध्वस्त, नल का पानी पीने लायक नहीं
गोविंदपुर क्षेत्र हमेशा से विकास की कमी से जूझता रहा है। यहां जलापूर्ति, शिक्षा, और ड्रेनेज सिस्टम की समस्याएं गंभीर हैं। लोग सुविधाओं के अभाव में परेशान हैं और स्थानीय प्रशासन से सुधार की उम्मीद कर...
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जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र में आने वाला गोविंदपुर क्षेत्र हमेशा बदहाल स्थिति में रहा है। हमेशा इस क्षेत्र में विकास की आवाज उठती रही है, लेकिन स्थिति अबतक बहुत नहीं सुधरी है। यह क्षेत्र आज भी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है। यहां साल 1962 में आवास बोर्ड की ओर से हाउसिंग क्वार्टर बनाए गए थे। इसके बाद से यहां लगातार निजी आवास भी बनते गए और वर्तमान में आबादी काफी बढ़ गई है। आबादी के हिसाब से सुविधाओं में किसी तरह का परिवर्तन नहीं आया। आपके प्रिय अखबार हिन्दुस्तान ने क्षेत्र के लोगों से यहां की समस्याओं को लेकर बात की तो कई ऐसी बातें सामने आईं, जिसका समाधान तो हो सकता था, पर न जनप्रतिनिधियों ने इस ओर ध्यान दिया और न ही प्रशासन ने।
गोविंदपुर में वर्ष 1962 में आवास बोर्ड ने सिंगल क्वार्टर बनाने की शुरुआत की थी। उस वक्त टाटा मोटर्स (तब टेल्को) का आवास बोर्ड के साथ समझौता था। इसके तहत आवास बोर्ड के क्वार्टर कंपनी के कर्मचारियों को रहने के लिए दिए जाते थे। रिटायरमेंट के बाद उन्हें क्वार्टर खाली करना होता था और इसी आधार पर उनका फाइनल सेटलमेंट किया जाता था। हालांकि, बदलते समय के साथ इन क्वार्टर पर कब्जा होने लगा और इसके बाद आवास बोर्ड ने लोगों को एक रकम लेकर क्वार्टर अलॉट करना शुरू कर दिया। पहले 99 साल की लीज पर इसे दिया जाता था और अब एकमुश्त रकम लेकर फ्री होल्ड किया जाने लगा, यानी लोगों को क्वार्टर का मालिकाना दिया जाने लगा। हालांकि, आज भी सभी क्वार्टर का मालिकना नहीं दिया गया है। यहां एक बात यह भी है कि आवास बोर्ड द्वारा इन क्वार्टर के निर्माण के बाद से एक बार भी इनकी मरम्मत नहीं कराई गई है। लोग अपने स्तर से इसकी मरम्मत करवा रहे हैं। हालांकि, इन क्वार्टर के किराए में समय के अनुसार कोई खास वृद्धि नहीं हुई है। शुरुआत में लोग महज 8 रुपये किराया देते थे, जो आज बढ़कर 47 रुपये पर पहुंच गया है।
गोविंदपुर ¸में शुरुआती दौर में करीब 2300 क्वार्टर बने। इनमें सिंगल, डबल और एलआजी सहित 7 श्रेणियों में आवास का निर्माण किया गया था। वर्तमान में क्षेत्र में 4500 से ज्यादा घर बन चुके हैं और यहां की आबादी करीब 50 हजार तक पहुंच गई है। उस वक्त ड्रेनेज की सही व्यवस्था थी। पाइपलाइन को कई जगह ड्रेनेज टैंक बनाकर जोड़ा गया था, लेकिन अब सारे भर चुके या तो ध्वस्त हो गए हैं। कई जगह तो इसपर कब्जा भी हो चुका है। इन क्वार्टर के फ्री होल्ड होने की स्थिति में भी वहां निर्माण के लिए आवास बोर्ड से नक्शा पास करवाना होता है।
पाइप के जरिए नाले में बहाई जा रही गंदगी
गोविंदपुर के लोगों की सबसे अहम और गंभीर समस्या ड्रेनेज सिस्टम की ही है। यहां सही और व्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम नहीं है। पहले के बने ड्रेनेज सिस्टम ध्वस्त हो चुके हैं और अब लोगों ने पाइपलाइन बिछाकर उसे सीधे नाले से जोड़ दिया है। स्थिति यह है कि पूरे गोविंदपुर क्षेत्र का कचरा इन पाइप के जरिए नाले में ही जाकर गिरता है। इससे नाला पूरी तरह गंदा हो गया है, जो प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा है। हालांकि बाद के समय में निजी आवास बनाने वाले लोगों ने घर में सीवरेज टैंक बनवा लिया है।
शुरू होगा डोर-टू-डोर कचरा उठाव
क्षेत्र में कचरे की समस्या भी काफी गंभीर है। हर गली और मोड़ पर आपको कचरे के अंबार दिख जाएंगे। हालांकि जिला परिषद द्वारा इस समस्या से निजात दिलाने की दिशा में पहल की गई है। इसके लिए जमशेदपुर अक्षेस द्वारा डोर-टू-डोर कचरा उठाव की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस प्रक्रिया से क्षेत्र के लोगों को कचरे की समस्या से निजात मिल सकेगी, लेकिन लोगों को भी अपने स्तर से प्रयास करने होंगे और बाहर कचना फेंकने से बचना होगा।
वीर शिवाजी पार्क पर हो गया कब्जा
क्षेत्र में बच्चों के खेलने के लिए कोई मैदान नहीं है। एक चिल्ड्रेन पार्क था, जिसपर कब्जा होता जा रहा है। ऐसे में बच्चों को खेलने और स्थानीय लोगों को उठने-बैठने और टहलने को लेकर समस्या हो रही है। गोविंदपुर हाट बाजार के पास वीर शिवाजी पार्क है। इस पार्क में चहारदीवारी नहीं है। जिला परिषद द्वारा चहारदीवारी बनाने का प्रयास हुआ तो स्थानीय लोगों ने ही विरोध कर दिया। अब पार्क में बस और दूसरे वाहन खड़े किए जा रहे हैं। वहीं, एक तरफ जानवर बांधकर कब्जा कर लिया गया है।
हाट-बाजार में व्यवस्था नहीं, हो रहा अतिक्रमण
यहां एक हाट-बाजार भी है, जहां सप्ताह में दो दिन सब्जी और अन्य दूसरे सामान की दुकानें सजती हैं। यहां करीब 500 दुकानदार दुकानें लगाते हैं। इनमें महिलाएं भी होती हैं, लेकिन यहां शौचालय और पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। इस कारण दूरदराज से आने वाले किसानों और दुकानदारों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। इतना ही नहीं, हाट बाजार की जमीन पर भी कब्जा कर लिया गया है और धीरे-धीरे अतिक्रमण का दायरा बढ़ता जा रहा है। अगर इसी तरह चलता रहा तो आने वाले दिनों में हाट बाजार की जमीन भी अतिक्रमण के कारण खत्म हो जाएगी।
बाजार से खरीदकर पानी पीते हैं लोग
यहां सबसे गंभीर समस्या पानी की है। गोविंदपुर जलापूर्ति योजना के जरिए क्षेत्र में पाइपलाइन के जरिए जलापूर्ति की व्यवस्था की गई है। हालांकि आज भी करीब 20 प्रतिशत घरों में पानी का कनेक्शन नहीं पहुंचा है। जिन घरों में पानी मिल रहा है, वे भी इससे संतुष्ट नहीं हैं। इसका कारण है कि वे इस पानी का पीने के लिए उपयोग नहीं कर सकते, क्योंकि पानी की गुणवत्ता सही नहीं है। सप्लाई वाटर का उपयोग केवल नहाने और कपड़ा धोने के लिए ही किया जाता है। पीने के लिए लोग बाजार से पानी खरीदकर लाते हैं। एक और समस्या है कि पाइपलाइन में वॉल्व नहीं लगाया गया है, जिस कारण ऊपर के क्वार्टर या घरों में पानी नहीं पहुंच पाता है। यही नहीं, कई एरिया में एजेंसी द्वारा कनेक्शन भी नहीं दिया गया है। इतना ही नहीं, पिछले 5 वर्षों में टंकी की सफाई भी नहीं हुई है।
कंज्यूमर आईडी नहीं बना, कैसे दें पानी का शुल्क
अभी विभाग द्वारा सर्कुलर जारी कर प्रति माह 100 रुपये के हिसाब से पानी का किराया लेने की सूचना दी गई है। यह राशि 2019 से वसूलने की बात कही गई है। लोगों का कहना है कि उस वक्त तो योजना सही तरीके से शुरू भी नहीं हुई थी। यही नहीं, लोगों का कंज्यूमर आईडी भी नहीं बना है। ऐसे में राशि कैसे और किस आधार पर ली जाएगी, यह तय नहीं है। इसे लेकर भी लोगों में आक्रोश है।
शिक्षा व्यवस्था की हालत ठीक नहीं
क्षेत्र में शिक्षा की व्यवस्था भी दुरुस्त नहीं है। यहां 2 हाईस्कूल हैं। लोगों का कहना है कि हर क्षेत्र की तरह यहां भी एक सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस खुलना चाहिए, ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। यहां कोई प्लस 2 स्कूल न होने के कारण भी परेशानी होती है। बच्चों को दूसरे क्षेत्रों में जाना पड़ता है। हालांकि, कुछ निजी स्कूल हैं।
समस्या
- क्षेत्र में नहीं है सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस।
- जलापूर्ति योजना का पानी नहीं है पीने के लायक।
- क्षेत्र के पार्क और मैदान पर होता जा रहा है कब्जा।
- उच्च शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं होने से परेशानी।
- ड्रेनेज सिस्टम की सही व्यवस्था नहीं।
सुझाव
- क्षेत्र में खुलना चाहिए सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस।
- हाट को पूरी तरह व्यवस्थित किया जाना चाहिए।
- पार्क और सार्वजनिक जगहों से हटना चाहिए अतिक्रमण।
- पानी सप्लाई की व्यवस्था हो दुरुस्त, लीकेज रोका जाए।
- भौतिक सत्यापन के बाद ही वसूला जाए पानी का शुल्क।
क्षेत्र में कई तरह की समस्याएं हैं। सड़कों को दुरुस्त कराया जा रहा है। जलापूर्ति योजना की व्यवस्था सही नहीं है। भौतिक सत्यापन कर शुल्क वसूला जाना चाहिए। सार्वजनिक स्थलों को भी अतिक्रमण मुक्त कर बेहतर बनाने की जरूरत है।
डॉ. पारितोष सिंह, जिला परिषद सदस्य
पानी की सप्लाई घरों तक तो है, पर सप्लाई का पानी पीने लायक नहीं है, इसलिए हर महीने पैसे खर्च कर पानी खरीदना पड़ता है।
सतबीर
ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह खराब हो चुका है। कचरा नाले में बहाया जा रहा है, जिससे बदबू और गंदगी फैल रही है। प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए।
श्याम किशोर
हाट-बाजार में शौचालय और पानी की व्यवस्था नहीं है। महिलाएं दुकान लगाने आती हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाएं न होने से दिक्कत होती है।
एएन सिंह
यहां प्लस टू स्कूल नहीं है, जिससे बच्चों को दूर जाना पड़ता है। सरकार को जल्द से जल्द एक सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस खोलना चाहिए।
अखिलेश कुमार
पहले यह इलाका बहुत अच्छा था, लेकिन अब अनियंत्रित निर्माण और अन्य अव्यवस्था के कारण स्थिति खराब हो गई है।
मनोरंजन मिश्रा
बच्चों के खेलने के लिए कोई सुरक्षित पार्क नहीं बचा। वीर शिवाजी पार्क पर कब्जा कर लिया गया है, जिससे बच्चों को खेलने की जगह नहीं मिल रही।
अशोक सिंह
हाट-बाजार पर अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। अगर इसे रोका नहीं गया तो कुछ वर्षों में बाजार पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
राणा सिंह
2019 से पानी का शुल्क मांगा जा रहा है, लेकिन कंज्यूमर आईडी तक नहीं बन पाया है। एक साथ शुल्क देना संभव नहीं है।
अधर चंद्र दास
सरकार ने जलापूर्ति योजना शुरू की, लेकिन कई घरों तक पानी नहीं पहुंच रहा। बिना वॉल्व के पाइपलाइन में प्रेशर नहीं बनता, जिससे ऊपरी मंजिलों में पानी नहीं आता।
रवींद्र कुमार
अभी तक सभी क्वार्टर फ्री होल्ड नहीं किए गए हैं। हमें मालिकाना हक मिलना चाहिए, ताकि हम बिना किसी परेशानी के अपने घर का नवीनीकरण कर सकें।
मनोज गुप्ता
सफाई और जल निकासी की व्यवस्था बहुत खराब है। जलभराव और गंदगी से बीमारियां फैलने का खतरा बना रहता है।
चंद्रशेखर
हम लगातार प्रशासन से इन समस्याओं पर बात कर रहे हैं। हमारी मांग है कि सरकार जल्द से जल्द गोविंदपुर की बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त किया जाए।
तरुण प्रमाणिक
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