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कोल्हान विश्वविद्यालय में चेक पर फर्जी हस्ताक्षर कर 1.59 करोड़ का फर्जीवाड़ा

कोल्हान विश्वविद्यालय में 1.59 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। पंजाब नेशनल बैंक के खाते से दो कंपनियों के नाम पर राशि ट्रांसफर की गई। कुलसचिव ने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई है। बैंक से...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरWed, 19 Feb 2025 05:53 PM
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कोल्हान विश्वविद्यालय में चेक पर फर्जी हस्ताक्षर कर 1.59 करोड़ का फर्जीवाड़ा

कोल्हान विश्वविद्यालय में चेक पर फर्जी हस्ताक्षर कर 1.59 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। टाटा कॉलेज चाईबासा स्थित पंजाब नेशनल बैंक के खाते से 1 करोड़ 58 लाख 96 हजार 8 सौ रुपये आरटीजीएस के माध्यम से दो अलग-अलग कंपनियों के नाम पर दो अलग-अलग अकाउंट में ट्रांसफर किए गए हैं। टाटा कॉलेज का उक्त बैंक खाता कोल्हान विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किया जाता है और इस चेक पर कोल्हान विवि के कुलसचिव व वित्त पदाधिकारी के हस्ताक्षर के बिना किसी भी तरह की निकासी नहीं की जा सकती है। विश्वविद्यालय के कुलचसचिव ने इस मामले मुफस्सिल थाने में एफआईआर दर्ज करा दी है। पुलिस जांच कर रही है कि फर्जीवाड़ा करने वालों तक विश्वविद्यालय का चेक कैसे पहुंचा और इतनी सफाई से कुलसचिव व वित्त पदाधिकारी का नकली हस्ताक्षर कर फर्जीवाड़ा कैसे किया गया।

कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. पुरुषोत्तम सियाल ने बताया कि पंजाब नेशनल बैंक का कोल्हान विश्वविद्यालय शाखा टाटा कॉलेज के प्रशासनिक भवन में ही स्थित है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा उक्त भुगतान का कोई भी आदेश निर्गत नहीं किया गया है। परंतु जिस चेक के आधार पर आरटीजीएस किया गया है, उन पर विश्वविद्यालय के दोनों ही पदाधिकारियों का फर्जी हस्ताक्षर है और बैंक द्वारा बिना जांच-पड़ताल किए भुगतान कर दिया गया।

रामगढ़ और कटक की दो कम्पनियों को भेजी गई राशि

खाते से रामगढ़ और कटक की दो कम्पनियों को आरटीजीएस कर राशि भेजी गई है। 4 फरवरी को रुपये ट्रांसफर किए गए हैं। कुलसचिव ने बताया कि पंजाब नेशनल बैंक के शाखा प्रबंधक ने टाटा कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. एससी दास को 1 करोड़ 58 लाख 96 हजार 8 सौ रुपये दोनों कंपनियों को भेजे जाने की सूचना दी, तब मामला संज्ञान में आया। पैसे ट्रांसफर होने की जब जानकारी मिली तो हड़कंप मच गया। इसके बाद तत्काल कार्रवाई करते हुए टाटा कॉलेज के प्रभारी प्रिंसिपल डॉ. दास ने कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलसचिव और वित्त पदाधिकारी को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी। वित्त पदाधिकारी डॉ. बीके सिंह ने मामले की जांच की तो फर्जीवाड़ा का पता चला। बैंक से जानकारी मिली कि जिन दो कंपनियों के नाम पर रुपये ट्रांसफर किए गए हैं, उनमें से राधा रानी इंटरप्राइजेज, ओडिशा-कटक की कंपनी है। जबकि गदूसरी कंपनी शानू चिंता इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, झारखंड के रामगढ़ की कम्पनी है। 67 लाख 47 हजार 500 का भुगतान राधा रानी इंटरप्राइजेज के आईडीएफसी बैंक कटक और 91 लाख 49 हजार 300 रुपये का भुगतान शानू चिंता इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, बैंक ऑफ बड़ौदा रामगढ़ को किया गया है।

बैंक से मांगा गया सीसीटीवी फुटेज

मामले में पंजाब नेशनल बैंक से सीसीटीवी फुटेज की मांग की गई है, ताकि फर्जीवाड़ा करने वाले की पहचान हो सके। मैनेजर को पत्र लिखकर जानकारी मांगी गई है कि किस आधार से पैसों को दूसरे खातों में भेजा गया। कुलसचिव ने बताया कि इस मामले की जानकारी राज्यपाल सह कुलाधिपति कार्यालय और मानव संसाधन विभाग को भी दे दी गई है। वहीं, विश्वविद्यालय ने पंजाब नेशनल बैंक को पत्र प्रेषित कर भुगतान पर रोक लगाने और राशि विश्वविद्यालय को लौटाने का आग्रह किया है।

खाता अनफ्रीज करने को दिया गया फर्जी पत्र

मामले की जानकारी देने के लिए टाटा कॉलेज ने विश्वविद्यालय को जो पत्र लिखा है, उसमें कुछ दस्तावेज भी संलग्न किए गए हैं। संलग्नों में एक फर्जी पत्र भी संलग्न किया गया है, जो टाटा कॉलेज, चाईबासा के लेटर पैड पर विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों क्रमशः कुलसचिव एवं वित्त पदाधिकारी का फर्जी हस्ताक्षर कर फर्जी पत्र निर्गत करते हुए उक्त बैंक खाता संख्या को अनफ्रीज करने हेतु ब्रांच मैनेजर को पत्र निर्गत किया गया है। इस पत्र के कारण बैंक ने इतनी बड़ी राशि होने के बावजूद मोबाइल पर कंफर्मेशन लिए बिना भुगतान कर दिया।

क्या है विश्वविद्यालय का खाता ‘ए

विश्वविद्यालय प्रत्येक कॉलेज के लिए अलग-अलग खाता ‘ए खोलता है, जिसमें कॉलेज को विभिन्न स्रोतों से आने वाली राशि जमा होती है। इसमें कॉलेज के छात्रों द्वारा नामांकन या परीक्षा शुल्क, स्पोर्ट्स, कंटीजेंसी आदि मदों या सरकार या यूजीसी से पैसा आता है। इसमें से कॉलेज खुद राशि की निकासी नहीं कर सकता है। कॉलेज को जब भी खाता ‘ए से राशि को खर्च करनी होती है तो विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर कॉलेज द्वारा खोले गए खाता ‘बी में मांगता है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव बैंक के मैनेजर के नाम से प्राचार्य को पत्र जारी करते हैं। जिसमें किसी खास मद में निश्चित राशि स्वीकृत करने की बात लिखी होती है। इसके बाद बैंक उस खाता संख्या ‘ए से कॉलेज के खाता संख्या ‘बी में पैसा ट्रांसफर करता है।

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