दिवाली पर बिष्टूपुर में सबसे ज्यादा 108 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण
दिवाली पर जामशेदपुर के सभी इलाकों में ध्वनि प्रदूषण तय मानक से अधिक दर्ज किया गया। बिष्टूपुर में 108.4 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया, जबकि टीएमएच के पास 76.5 डेसिबल था। साइलेंस जोन में भी...
दिवाली पर शहर के लगभग सभी इलाकों में तय मानक से अधिक ध्वनि प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया। इसमें सबसे अधिक बिष्टूपुर में ध्वनि प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया। त्योहार पर प्रशासन के आदेश की धज्जियां उड़ी। पटाखे चलाने के निर्धारित समय का भी ध्यान नहीं रखा गया। बिष्टूपुर में सबसे ज्यादा 108.4 डेसिबल और टीएमएच के पास सबसे कम 76.5 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण दर्ज किया गया। टीएमएच का इलाका साइलेंस जोन में आता है, लेकिन यहां भी रात 12 बजे तक ध्वनि प्रदूषण तय मानक से डेढ़ गुना ज्यादा था। रिहायशी क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण का स्तर दिन में 55 और रात में 45 डेसिबल होना चाहिए। झारखंड प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (प्रदूषण नियंत्रण पर्षद) ने दीपावली पर कई जगहों में शाम छह से रात 12 बजे तक ध्वनि और वायु प्रदूषण की जांच की। चार सदस्यों वाली विशेष टीम ने ध्वनि मापक यंत्रों का इस्तेमाल कर हर घंटे प्रदूषण स्तर की जांच की।
अस्पताल और अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों के आसपास के क्षेत्रों को साइलेंस जोन घोषित किया गया है। ऐसे इलाकों में दिन में 50 और रात में 40 डेसिबल से अधिक ध्वनि नहीं होनी चाहिए। टीएमएच के पास सामान्य दिनों में ध्वनि का स्तर 59 डेसिबल रहता है। बोर्ड के अनुसार, साइलेंस जोन में ध्वनि प्रदूषण बढ़कर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया।
गोलमुरी में 28 डेसिबल घटा, साकची में 10 डेसिबल की वृद्धि
गोलमुरी चौक पर 76.9 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण पाया गया, जो पिछले वर्ष से 28 डेसिबल कम है। साकची में यह 106.4 डेसिबल तक पहुंच गया, जो पिछले साल 97.37 डेसिबल था। आदित्यपुर औद्योगिक केंद्र एस टाइप में 107 डेसिबल रहा। पिछले साल यह 96 डेसिबल था।
मानगो का एक्यूआई 222 पर पहुंचा
दीपावली की रात करीब 10 बजे मानगो में एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 222 पर पहुंच गया। एक दिन पहले मानगो का एक्यूआई 206 था। दीपावली की रात हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 221.8 थी। पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है। विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता है। हवा में इसका स्तर 0 से 50 रहे तो अच्छा माना जाता है। अत्यधिक पटाखों के फूटने से एक्यूआई का स्तर बढ़ गया था।
निजी एप से ध्वनि प्रदूषण मापने और बोर्ड के डिवाइस से मापने में थोड़ा बहुत अंतर आता है। विशेष टीम की जांच रिपोर्ट कंपाइल करने के बाद जारी की जाएगी। इसके बाद वास्तिवक आंकड़े का पता चल सकेगा।
राम प्रवेश कुमार, क्षेत्रीय पदाधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण पर्षद
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