दिव्यांगों के दीये को मिलेगा ग्लोबल मार्केट
अब जमशेदपुर के बौद्धिक दिव्यांगों द्वारा बनाए गए सामान को ग्लोबल मार्केट मिलेगा। जी हां जमशेदपुर के धतकीडीह स्थित संस्था पैरेंट्स एसोसिएशन ऑफ मेंटली हेंडीकैप्ड ऑफ जमशेदपुर ने दिव्यांगों द्वारा बनाए...
अब जमशेदपुर के बौद्धिक दिव्यांगों द्वारा बनाए गए सामान को ग्लोबल मार्केट मिलेगा। जी हां जमशेदपुर के धतकीडीह स्थित संस्था पैरेंट्स एसोसिएशन ऑफ मेंटली हेंडीकैप्ड ऑफ जमशेदपुर ने दिव्यांगों द्वारा बनाए गए सामान की बिक्री के लिए अमेजन जैसी ग्लोबल कंपनी के साथ करार किया है। संस्था द्वारा निर्मित डिजाइनदार दीये और खुश्बूदार मोमबत्ती को देश के घर-घर तक पहुंचाई जाएगी। पिछले 17 सालों से संस्था की ओर बौद्धिक दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उनकी कला कौशल को बढ़ाने के लिए समय-समय पर कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। फिलहाल संस्था में कुल 30 बौद्धिक दिव्यांग हैं, जो मोमबती और डिजाइनदार दीये बनाने का हुनर सीख रहे हैं। इसमें ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मल्टीप्ल डिसेबिलिटी तथा मेंटल रिटार्डेशन से पीड़ित दिव्यांग काम करते हैं। इसके एवज में प्रतिमाह 900 से 1200 रुपये बतौर परिश्रमिक दी जाती है। मोमबत्ती और दीये की बिक्री के लिए शहर के कॉर्पोरेट ऑफिस से लेकर स्कूलों में प्रदर्शनी लगाई जाती है। जिसमें एक्सएलआरआई, टीसीई, एसबीआई मुख्य ब्रांच, यूसील, डीबीएमएस, नरभेराम, राजेन्द्र विद्यालय और एमएनपीएस आदि स्कूलों में दिवाली के पहले प्रदर्शनी लगाई जाती है। साथ ही, लोगों से दिव्यांगो द्वारा बनाए गए सामान का इस्तेमाल करने की अपील भी की जाती है। ताकि दिव्यांगों के लिए आमदनी का जरिया बन सके। संस्था में लगभग तीन सौ से अधिक अभिभावक निबंधन कराकर बौद्धिक दिव्यांग सदस्य बन चुके हैं। संस्था की ओर से पूरी कोशिश की जाती है कि दिव्यांगों को नए-नए स्किल से जोड़कर उन्हें व्यस्त रखा जाए। ताकि इनके अकेलेपन को दूर करने के साथ इनका मानसिक विकास हो सके। बौद्धिक दिव्यांगो के द्वारा रंग-बिरंगी और अलग-अलग आकृति की दो सौ प्रकार की मोमबतियां बनाई जाती हैं। इस बार दिवाली को लेकर जाफरी लगे दीये का निर्माण किया गया है। इसकी खासियत है कि हवा के दवाब में दीये नहीं बुझ पायेगा।
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