Hindi NewsJharkhand NewsJamshedpur NewsDispute Between Private Schools and Education Department Over Book Sales

स्कूलों में किताब बेचने पर शिक्षा विभाग व स्कूल प्रबंधन में ठनी

निजी स्कूलों में नए सत्र की शुरुआत में किताबें बेचने को लेकर स्कूल संचालकों और शिक्षा विभाग के बीच विवाद उत्पन्न हो गया है। शिक्षा विभाग ने स्कूल परिसर में किताबों की बिक्री पर रोक लगाई है, जबकि स्कूल...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरSat, 1 March 2025 05:49 AM
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स्कूलों में किताब बेचने पर शिक्षा विभाग व स्कूल प्रबंधन में ठनी

निजी स्कूलों में नए सत्र की शुरुआत में बच्चों को किताब बेचने के मामले में स्कूल संचालकों और शिक्षा विभाग में ठन गई है। शिक्षा विभाग की ओर से जहां स्कूल परिसर में किताबें बेचने पर रोक लगाने को लेकर पत्र जारी किया गया है तो वहीं निजी स्कूलों ने अदालती आदेश का हवाला देते हुए विभाग के निर्देश पर सवाल उठाए हैं। स्कूलों में किताब बेचे जाने की व्यवस्था को अनैतिक मानने से इनकार कर दिया है। दरअसल, जमशेदपुर के अधिकतर स्कूलों में अबतक नई कक्षा में जाने वाले विद्यार्थियों को किताबें उपलब्ध कराई जाती थीं। स्कूल प्रबंधन का तर्क है कि इससे अभिभावकों को सुविधा होती थी कि वे निर्धारित मूल्य में किताबें सुगमता से प्राप्त कर लेते थे, लेकिन पिछले दिनों जिला शिक्षा पदाधिकारी मनोज कुमार की ओर से निर्देश जारी किया गया कि बार-बार मिल रही शिकायतों के आलोक में विद्यालय अब स्कूल परिसर में किताबें नहीं बेच सकेंगे। इसका जमशेदपुर के निजी स्कूलों की संस्था एसोसिएशन ऑफ झारखंड अएडेड प्राइवेट एजुकेशनल इंस्टीट्यशंस ने विरोध किया।

एसोसिएशन के अध्यक्ष बी. चंद्रशेखर ने कहा कि जिले के कई स्टेकहोल्डर्स (अभिभावक-शिक्षा विभाग) को यह जानकारी ही नहीं कि दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से 21 जून 2018 को जारी सर्कुलर में स्कूलों में एमआरपी मूल्य पर किताबें बेचने को सही ठहराया जा चुका है। बावजूद इसके यहां ऐसे लोगों के दबाव में इस मुद्दे को तूल दिया जा रहा है, जो न अभिभावक हैं और न ही प्रशासनिक पदों पर हैं। स्कूलों पर दबाव बनाया जा रहा है। स्कूल प्रबंधन बिना कारण दबाव में हैं और कई स्कूलों ने किताबें बेचना बंद कर दिया है।

अब दुकान के नाम की पर्ची दे रहे अधिकतर स्कूल

स्कूल संचालकों का कहना है कि बच्चों की किताबें खरीदने में अभिभावकों को सहूलियत हो, इसलिए उनके द्वारा किताबें उपलब्ध कराई जा रही हैं, या फिर किताबों की दुकानों का नाम सुझाया जा रहा है। इसमें न कोई कमीशन है और न ही कोई आर्थिक लेन देन। सो, अब अधिकतर स्कूलों ने विद्यालय परिसर में किताबें बेचना बंद कर अभिभावकों को बुक लिस्ट के साथ दुकानों के नाम के सुझाव वाली पर्ची देना शुरू कर दिया है, जहां से अभिभावक एक साथ लिस्ट में सूचीबद्ध सभी किताबें खरीद सकते हैं।

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