एमजीएम में सत्र लेट होने से पीजी प्रवेश परीक्षा से चूक रहे विद्यार्थी
एमजीएम के एमबीबीएस कोर्स में कई वर्ष से विलंब चल रहा है सत्र अगले तीन
एमजीएम मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस का सत्र लेट होने के कारण छात्र इस बार पीजी की प्रवेश परीक्षा नहीं दे सकें। वे अगले तीन बैच तक पीजी प्रवेश परीक्षा में एक-एक साल देर से शामिल हो सकेंगे। रांची विश्वविद्यालय के एमबीबीएस 2017 के छात्र अबतक दो बार प्रवेश परीक्षा दे चुके हैं। वहीं, एमजीएम मेडिकल कॉलेज के छात्र सिर्फ एक बार ही परीक्षा दे पाए हैं। रिम्स के 2018 बैच के छात्र एक बार प्रवेश परीक्षा दे चुके हैं, जबकि एमजीएम में छात्र इस बार भी परीक्षा नहीं दे सके, क्योंकि अभी इंटर्नशिप चल रही है, जो अक्तूबर में समाप्त होगी।
2019 बैच का 2024 के दिसंबर तक इंटर्नशिप पूरी होनी चाहिए, लेकिन अबतक फाइनल ईयर की परीक्षा भी नहीं दे पाए हैं। अक्तूबर में फाइनल ईयर की परीक्षा होगी। कोल्हान विश्वविद्यालय देर से रिजल्ट जारी करता है, इसलिए रिजल्ट 2024 के दिसंबर तक आ सकेगा। 2025 के दिसंबर में इंटर्नशिप पूरा करेंगे तो ये लोग 2026 की प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। जबकि जहां सत्र समय पर होता वे 2025 में ही प्रवेश परीक्षा में शामिल हो जाते। इस तरह 2020 और 2021 का भी सत्र लेट है। इसलिए इसके भी छात्र सही समय से नहीं, बल्कि एक साल देर से पीजी की प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।
रिम्स में समय सही, एमजीएम में लेट
एक ही राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेज में अगल-अलग ढंग से सत्र चल रहा है। एक ओर, रिम्स का सत्र सही समय से चल रहा है, जबकि एमजीएम मेडिकल कॉलेज का सत्र देर से चल रहा है। इतना ही नहीं, सबसे नए मेडिकल कॉलेज में से एक 2019 में स्थापित हजारीबाग का शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज का भी सत्र सही समय से चल रहा है और वहां के पहले बैच के छात्र बिना एक भी चांस गंवाए सहीं समय से प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। राज्य के अन्य तीन मेडिकल कॉलेज भी नया होने के कारण वहां एमबीबीएस का एक बैच भी अबतक नहीं निकला है।
एक विश्वविद्यालय में मेडिकल कॉलेजों को जोड़ने की मांग
आईएमए जेडीएन के राज्य के सचिव डॉ. राघवेन्द्र ने बताया कि बिहार में सभी मेडिकल कॉलेज एक ही विश्वविद्यालय आर्यभट्ट नॉलेज विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त हैं, जबकि झारखंड में ऐसा नहीं है। उन्होंने बताया कि छात्रों की मांग है कि झारखंड में भी एक ही विश्वविद्यालय से सभी मेडिकल कॉलेजों को जोड़ा जाए और एनएमसी की गाइडलाइन से चलें। इसके लिए वे लोग प्रधान सचिव और मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी मांगों को रखेंगे।
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