चार साल में नहीं बना एमजीएम अस्पताल में कार्डियो सेंटर
एमजीएम अस्पताल में चार साल से कार्डियो सेंटर का निर्माण नहीं हो पाया है। 2019 में प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन फाइल ठंडे बस्ते में चली गई। हृदय रोगियों को निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है। कैथ लैब...
एमजीएम अस्पताल में चार साल बाद भी कार्डियो सेंटर नहीं बन सका है। इसके लिए वर्ष 2019 में प्रस्ताव तैयार कर मुख्यालय को भेजा गया था, लेकिन इसकी फाइल ठंडे बस्ते में चली गई। ह्रदय रोग से ग्रसित गरीब मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है। बता दें कि जिले में हृदय रोगियों के इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल में कार्डियो सेंटर खोलने की योजना बनी थी। इस पर काफी काम भी हुआ, लेकिन सेंटर अबतक तैयार नहीं हो सका। हृदय रोगियों को रिम्स या निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है।
एमजीएम अस्पताल के पीजी भवन में मेडिसिन विभाग को शिफ्ट कर वहां आईसीसीयू खोलने की योजना थी। इसमें कैथ लैब भी बननी थी। इसके लिए तैयार प्रस्ताव को सरकार से मंजूरी भी मिल चुकी है। कोरोना के कारण भवन हैंडओवर नहीं करने पर काम आगे नहीं बढ़ सका। कोरोना के बाद फिर से सरकार ने इस मामले पर ध्यान दिया और इसे आउटसोर्सिंग पर चलाने की योजना बनी। इसके लिए एजेंसी भी नियुक्त की गई। एजेंसी ने भवन निरीक्षण भी किया, लेकिन मामला फिर सुस्त पड़ गया।
निरीक्षण करने आई थी टीम
एमजीएम अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि काफी समय से ही कैथ लैब की आवश्यकता थी, जिसके लिए प्रस्ताव भेजा गया। एजेंसी की टीम निरीक्षण करने आई थी, लेकिन काम आगे नहीं बढ़ सका। कार्डियो सेंटर खुलने से मरीजों की जान बचाई जा सकती है। विदित हो कि पूर्व एमजीएम कॉलेज कैंपस में कैथ लैब के लिए एक पूरी बिल्डिंग बनाई गई है, लेकिन वह भवन लंबे समय तक खाली रहा और वहां लैब की स्थापना की दिशा में कोई ठोस परिणाम निकलकर नहीं आया।
कार्डियो सेंटर बनाने का मामला पहले आया था। काफी दिन तक इसकी चर्चा नहीं हुई। सरकार फिर से इसके लिए काम कर रही है। जल्द ही टीम निरीक्षण करने आने वाली है। फिलाहाल, इसकी तिथि तय नहीं है। टीम के आने पर हर संभव प्रयास होगा कि यहां कोर्डियो सेंटर खुल जाए।
डॉ. शिखा रानी, अधीक्षक, एमजीएम अस्पताल
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