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पुस्तक मेले में हिंदी के पांच प्रकाशकों ने नहीं लगाए स्टॉल

साकची रवींद्र भवन में पुस्तक मेले में अंग्रेजी साहित्य की बिक्री बढ़ी है, जबकि हिंदी साहित्य की बिक्री में कमी आई है। इस बार प्रमुख हिंदी प्रकाशकों ने स्टॉल नहीं लगाए हैं। हिंदी पाठकों की संख्या घटने...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरWed, 20 Nov 2024 06:05 PM
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साकची रवींद्र भवन में लगे पुस्तक मेले में अंग्रेजी भाषा के साहित्य की खूब बिक्री हो रही है, वहीं हिंदी भाषा साहित्य की बिक्री घटी है। मेले में इस बार पांच प्रमुख हिन्दी प्रकाशकों ने स्टॉल नहीं लगाए हैं। उनका कहना है कि स्टॉल लगाने पर आने वाला खर्च बिक्री से कहीं ज्यादा है। शहर में हिंदी पाठकों की संख्या भी घटी है। इस वजह से कई प्रकाशकों ने अपना स्टॉल धीरे-धीरे लगाना बंद कर दिया। पुस्तक मेले में लगे 67 में सिर्फ हिंदी के चार स्टॉल राही, नवीन प्रकाशन, श्री कबीर ज्ञान प्रकाशन, सस्ता साहित्य मंडल प्रकाशन के लगे हैं। बाकी हिन्दी, अंग्रेजी और बांग्ला भाषा के मिश्रित 14 स्टॉल हैं। सस्ता साहित्य मंडल प्रकाशन के संजीव कुमार सिंह ने बताया कि हिंदी के पाठक केवल जमशेदपुर में ही कम हैं। इससे पहले पटना, दरभंगा और अन्य स्थानों पर पुस्तक मेले में हिंदी साहित्य के पाठक ज्यादा मिले। बिक्री भी अच्छी हुई। जमशेदपुर में वे 26 साल से स्टॉल लगा रहे हैं। धीरे-धीरे शहर में हिंदी पाठकों की संख्या घट रही है, जबकि अंग्रेजी पाठकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

राजकमल और ज्ञानपीठ का स्टॉल ढूंढते रहे लोग

मेले में इस बार राजकमल प्रकाशन के स्टॉल को लोग ढूंढते रहे। राजकमल प्रकाशन के स्टॉल पर मेले में सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ती थी। हालांकि इस बार वाणी प्रकाशन ने पुस्तकप्रेमियों की जिज्ञासा शांत की। इसके अलावा किताब घर, जागृति पब्लिकेशन, साहित्य दर्पण, भारतीय ज्ञानपीठ जैसे प्रकाशक ने इस बार स्टॉल नहीं लगाया।

हरिवंश की झारखंड चुनौती भी अवसर भी पसंद की जा रही

प्रकाशन के स्टॉल नंबर 29 पर बिक रही राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की झारखंड चुनौती भी अवसर भी लोगों को खूब पसंद आ रही है। अबतक इसकी कई प्रतियां बिक चुकी हैं। स्टॉल के महेश कुमार ने बताया कि यह इस बार नई किताब आई है, जो लोगों को पसंद आ रही है। इस किताब में हरिवंश के लेख और रिपोर्ट संकलित किए गए हैं। 2008 से लेकर 2020 के बीच लिखे गए लेख और रिपोर्ट झारखंड की दशा और दिशा पर प्रकाश डालते हैं। इसमें झारखंड राज्य का गठन, उसकी पृष्ठभूमि, वहां की कार्य पद्धति, बढ़ते अपराध की दशा, राजनीतिक उठापटक और सत्ता से जुड़े लोगों की करामात आदि का विवरण है।

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