मैथिली साहित्य लेखन में अभिरुचि पैदा करें : दरिहरे
मैथिली साहित्य लेखन और काव्य पाठ में अभिरूचि पैदा करें। इस दिशा में योजनाबद्ध तरीके से काम करने की जरूरत है। यह बातें मैथिली साहित्य सम्मान से अलंकृत श्याम दरिहरे ने बुधवार को मैथिली सम्मान दिवस...
मैथिली साहित्य लेखन और काव्य पाठ में अभिरूचि पैदा करें। इस दिशा में योजनाबद्ध तरीके से काम करने की जरूरत है। यह बातें मैथिली साहित्य सम्मान से अलंकृत श्याम दरिहरे ने बुधवार को मैथिली सम्मान दिवस समारोह में कहीं।
मिथिला सांस्कृतिक परिषद की ओर से विद्यापति भवन गोलमुरी में मैथिली की तिरूहता लिपि और मिथिलाक्षर के विकास में विशिष्ट योगदान के लिए पांच व्यक्तियों का सम्मान हुआ। वक्ताओं ने राज्य सरकार से मैथिली को जेपीएससी में शामिल करने की मांग की।
श्याम दरिहरे के दीप प्रज्वलन और जय जय भैरवी भगवती वंदना से समारोह शुरू हुआ। विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता सुधांशु कुमार विशिष्ट अतिथि थे। अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के अध्यक्ष डॉ. रवींद्र कुमार चौधरी ने स्वागत, महासचिव ललन चौधरी ने संचालन किया। परिषद के अध्यक्ष लक्ष्मण झा ने अध्यक्षता और पंकज झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. अशोक अविचल ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि बड़े संघर्ष के बाद 8 जनवरी 2004 को मैथिली को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। अभी भी राज्य स्तर पर अपेक्षित सम्मान नहीं मिल सका है।
इनका हुआ सम्मान
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान की संरक्षक आभा मिश्र, अल्पना कुमारी, राघव मिश्र, विक्रमादित्य सिंह एवं पंकज कुमार राय को सम्मानित किया गया। समारोह में पीएन झा, शंकर पाठक, अशोक कुमार झा पंकज, अमलेश झा, भगवान झा, विभास चौधरी ,अन्नपूर्णा झा, नवकांत झा, शिशिर कुमार झा, प्रमोद कुमार झा, धर्मेश कुमार झा, राजेश कुमार झा, दिलीप झा मौजूद थे।
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