टाटा मोटर्स में स्थायीकरण पर कोरोना का साया
टाटा स्टील के बाद टाटा मोटर्स में भी बोनस वार्ता की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। बोनस के बारे में यूनियन नेता और कर्मचारी जानते हैं कि इस बार बाजार अच्छा नहीं है, उत्पादन भी कम हुआ है तो यह पिछले साल...
टाटा स्टील के बाद टाटा मोटर्स में भी बोनस वार्ता की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। बोनस के बारे में यूनियन नेता और कर्मचारी जानते हैं कि इस बार बाजार अच्छा नहीं है, उत्पादन भी कम हुआ है तो यह पिछले साल जैसा नहीं रहेगा। परंतु उनकी मुख्य चिंता वर्षों से अस्थायी कर्मचारी (बाईसिक्स) के रूप में काम करने वालों को स्थायी कराने की है।
कोरोना में लगातार लंबे समय तक उत्पादन ठप रहने से हुए नुकसान के कारण इस बार कंपनी की स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में पिछले साल की तरह 306 का स्थायीकरण करा पाना चुनौतीपूर्ण साबित होगा। हालांकि इस स्थिति को भांपकर ही यूनियन नेताओं ने सोमवार को बैठक कर इस मुद्दे पर देर तक चर्चा की। लेकिन परिणाम को लेकर यूनियन नेता भी आश्वस्त नहीं हैं।
पिछले साल अधिकतम बोनस रहा था 49 हजार
जहां तक टाटा मोटर्स में बोनस का सवाल है, वह भी इस बार कम ही रहेगा। पिछले साल 12.9 प्रतिशत बोनस मिला था। इस बार कर्मचारियों के भीतर ही चर्चा है कि पिछली बार से कम रहेगा। 2018 में यह 12.2 प्रतिशत रहा था। इस बार बोनस 10 प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है। पिछले साल बोनस की अधिकतम राशि 49 हजार, जबकि न्यूनतम 19 हजार रुपये थी। औसत बोनस 38,200 रुपये था।
कमिंस की सेहत भी ठीक नहीं
टाटा मोटर्स की सहोदर कंपनी टाटा कमिंस भी ऑटोमोबाइल कंपनी है, जिसका बोनस समझौता टाटा मोटर्स के साथ ही होता है। चूंकि देश ही नहीं, पूरी दुनिया में ऑटोमोबाइल सेक्टर की स्थिति खराब है। जाहिर है इसका असर इस कंपनी पर भी पड़ा है। इस कारण कमिंस में बोनस घटना तय है। वैसे इस कंपनी में बोनस का फार्मूला बना हुआ है और उसके आधार पर पिछले साल इस कंपनी में 18.75 प्रतिशत बोनस मिला था, जो रुपये में अधिकतम 79,022 जबकि न्यूनतम 24,800 रहा था।
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