बागबेड़ा जलापूर्ति योजना पर खतरे के बादल
बागबेड़ा वृहद जलापूर्ति योजना पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। ट्रीटमेंट प्लांट की जमीन को लेकर की गई शिकायत की जांच करने के लिए विश्व बैंक की टीम 15 दिसंबर को शहर...
बागबेड़ा वृहद जलापूर्ति योजना पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। ट्रीटमेंट प्लांट की जमीन को लेकर की गई शिकायत की जांच करने के लिए विश्व बैंक की टीम 15 दिसंबर को शहर पहुंचेगी।
नाइजीरिया से आ रही विश्व बैंक की टीम सुखराम किस्कू की शिकायत की जांच करेगी। तीन सदस्यों की टीम को नकरात्मक रिपोर्ट मिली तो विश्व बैंक जलापूर्ति योजना की वित्तीय सहायता वापस ले सकता है। हालांकि, उपायुक्त अमित कुमार की मानें तो जलापूर्ति योजना के लिए सरकारी जमीन पर निर्माण कार्य चल रहा है। लगभग 70 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इस योजना से लगभग दो लाख आबादी लाभान्वित होगी। निर्माण कार्य करने वाले सभी मजदूर भी स्थानीय हैं।
विश्व बैंक की टीम इमराना जलाल के नेतृत्व में टीम पहुंचने की जानकारी मिलने के बाद प्रशासनिक हलके में खलबली मची हुई है। ग्रामीणों का आरोप है कि ये जिला संविधान की पांचवीं अनुसूची में है। बिना ग्राम प्रधान की अनुमति के किसी भी योजना के लिए जमीन नहीं ली जा सकती।
तीन दिन तक होगी जांच
जांच टीम 15 दिसंबर को गिदीझोपड़ी के लोगों के साथ बैठक करेगी। 16 दिसंबर को पंचायत प्रतिनिधियों के साथ और 17 दिसंबर को उपायुक्त, अंचल अधिकारी, एडीसी और जिला कल्याण अधिकारी और के साथ बैठक होगी। 18 दिसंबर को रांची में स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट के साथ और पेयजल विभाग के सचिव और प्रोजेक्ट डायरेक्टर के साथ भी बैठक होगी।
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