सात समंदर पार से मेहमान परिंदे पहुंचे चांडिल डैम, बढ़ी रौनक
सात समंदर पार सैकड़ों की तादाद में साइबेरियन पक्षी हजारों मील की सफर तय कर के चांडिल डैम पहुंचे हैं। साइबेरियन पक्षी के पहुंचने से चांडिल डैम की खुबसुरती में चार चांद लग गया है। साइबेरियन...
सात समंदर पार सैकड़ों की तादाद में साइबेरियन पक्षी हजारों मील की सफर तय कर के चांडिल डैम पहुंचे हैं। साइबेरियन पक्षी के पहुंचने से चांडिल डैम की खुबसुरती में चार चांद लग गया है। साइबेरियन पक्षी की मौजुदगी पर्यटकों के लिए आकर्षक का केंद्र बन गया है। इसे साइबेरियन क्रेन भी कहा जाता है। साइबेरियन पक्षी की मौजुदगी पर्यटकों को काफी लुभा रहा है तथा सुखद अनुभूति प्रदान कर रही है।
हर वर्ष की भांति ठंड के दस्तक देते ही सैंकड़ो की तदाद में साइबेरियन क्रेन पक्षी दिसंबर माह में चांडिल डैम पहुंचते है तथा फरवरी माह के बाद वापस अपने वतन लौट जाते हैं। चांडिल डैम की आबोहबा साइबेरियन पक्षी को काफी भाती है। चांडिल डैम में साइबेरियन पक्षी की मौजुदगी एवं इसके कलरव से क्षेत्र रोमांचित हो जाता है। साइबेरियन क्रेन के आने से इन दिनों चांडिल डैम की खुबसूरती दोगुनी हो गई है।
वर्ष 2012 से आ रहे है साइबेरियन पक्षी: गोप
चांडिल बांध मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहकारी समिति के अध्यक्ष नारायण गोप ने बताया कि वर्ष 2012 से साइबेरियन पक्षी प्रतिवर्ष दिसबंर में चांडिल डैम पहुंचते हैं। चांडिल डैम में मछली एवं मछलियों को दी जाने वाली चारा को साइबेरियन पक्षी बड़े चाव से खाते हैं। साइबेरियन पक्षी का कोई शिकार नहीं करे इसके लिए समिति इन विदेशी मेहमानों की सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहती है। उन्होंने सरकार से चांडिल डैम एवं आसपास के क्षेत्रों को बर्ड सेंचूरी घोषित करने की मांग की।
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