जाति प्रमाणपत्र को कहां से लाएं 75 साल पुराना प्रमाण
जमशेदपुर में जाति प्रमाण पत्र की कमी से लोग परेशान हैं। अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के लोगों के बच्चे आरक्षण के लाभ से वंचित हैं। जाति प्रमाण पत्र के लिए 1950 और 1978 के पहले का प्रमाण मांगा जा रहा...
शहर में बसे काफी लोगों का जाति प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है। इससे लोग परेशान हैं। इस वजह से उनके बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। इससे लोग परेशान हैं। अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के लोग जाति प्रमाणपत्र विहीन हैं। इसकी वजह से ऐसे परिवारों के बच्चे शैक्षणिक आरक्षण के लाभ से वंचित हैं। जाति प्रमाण पत्र नहीं बनने का मूल कारण प्रमाण है। उनसे 1950 और 1978 के पहले का प्रमाण मांगा जा रहा है। लोगों का कहना है कि 75 साल पुराना दस्तावेज वे कहां से लाएंगे। 1991 की जनसंख्या के अनुसार पूर्वी सिंहभूम की आबादी 16.13 लाख थी, जो अब करीब साढ़े 27 लाख पहुंच चुकी है। इस प्रकार अब यह लगभग दोगुनी हो चुकी है। परंतु अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए जाति प्रमाणपत्र बनाने के लिए निवासित होने की तिथि 10 अगस्त 1950 और पिछड़े वर्ग के लिए यह तिथि 1978 है। जबकि यहां बसे लोगों की बड़ी तादाद ऐसी है, जो इसके बाद बसे हैं। इसके कारण वे उस मानक पर खरे नहीं उतर रहे, जिसके आधार पर जाति प्रमाणपत्र जारी होता है। दिलचस्प यह है कि तिथि का निर्धारण 25 फरवरी 2019 को हुआ है। यही नहीं, पुराने सारे प्रमाणपत्रों को अमान्य कर दिया गया है।
रजक समाज ने सौंपा ज्ञापन, जाति प्रमाण पत्र देने की मांग की
रजक समाज जमशेदपुर ने अनुसूचित जाति में आने वाली धोबी सहित 22 जातियों को जाति प्रमाणपत्र जारी करने में आ रही दिक्कतों को लेकर एक बार फिर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। अध्यक्ष अजय कुमार रजक के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन में 10 अगस्त 1950 के पूर्व से रहने की शर्त के बजाय स्थानीय जांच के आधार पर प्रमाणपत्र निर्गत कराने की मांग की है। रजक समाज का कहना है कि उनके पुरखे टाटा स्टील के बुलावे पर 1950 से पहले शहर में आए थे। उन्हें कंपनी ने धोबी घाट बनाकर दिया। घाट के पास ही घर बनाकर वे रोजी-रोटी कमा रहे थे। तब न तो राशन कार्ड था, न वोटर कार्ड था और न छपा हुआ बिजली बिल ही मिलता था। उनलोगों की नौकरी लगी नहीं और गरीब होने के कारण जमीन खरीद नहीं सके। इसके कारण 1950 के पहले से बसे होने का प्रमाण देना संभव नहीं है। ज्ञापन सौंपने वाले प्रतिनिधिमंडल में अशोक चौधरी, रामलाल रजक, शिव रजक, विमल रजक और धनंजय लाल शामिल थे।
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