22 साल बाद पसरा ड्रग्स का काला कारोबार
वर्ष 1996-97 में जमशेदपुर में ड्रग्स के कारोबार ने पैर पसारा था। तब शंकर मुखी और सोनकर गिरोह का इस धंधे में वर्चस्व था। इसकी जद में धतकीडीह और जुगसलाई का इलाका होता...
वर्ष 1996-97 में जमशेदपुर में ड्रग्स के कारोबार ने पैर पसारा था। तब शंकर मुखी और सोनकर गिरोह का इस धंधे में वर्चस्व था। इसकी जद में धतकीडीह और जुगसलाई का इलाका होता था।
धतकीडीह तब आदित्यपुर मुस्लिम बस्ती जैसा हुआ करता था। लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध और पुलिस की कार्रवाई के बाद सभी तस्कर जेल भेज दिए गए और इसका परिणाम था कि शहर में अचानक उफान पर आया ड्रग्स का कारोबार थम गया।
16 से 24 साल उम्र के बीच के युवा इसकी जकड़ में : हेरोइन का नशा करने वालों में 90% ऐसे हैं, जिनकी उम्र 16 से 24 वर्ष के बीच की है। इसमें 20 प्रतिशत छात्र हैं तो 80 प्रतिशत गिरोह बंदी वाले युवक हैं। 10 प्रतिशत ड्रग्स सेवन करने वाले वैसे एडिक्ट हैं, जो 45 वर्ष तक की उम्र के हैं। ये लोग इतने आदी हैं कि यदि नशा न करें तो इनके शरीर में आने वाले खिंचाव से इनका पूरा परिवार परेशान हो जाता है। कितने डॉली खड़े हो गए ड्रग्स के बाजार में : हेरोइन की तस्करी में पहले डॉली एक ब्रांड नाम होता था। लेकिन उसके जेल जाने के बाद कई डॉली ड्रग्स के बाजार में आ खड़े हुए। पुलिस ने भी मान लिया कि डॉली जेल गई, मतलब ड्रग्स खत्म। लेकिन उसके विपरीत यह कारोबार और बढ़ता गया। आदित्यपुर मुस्लिम बस्ती में 80% ड्रग पेडलर महिलाएं हैं।
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