न लाइट है ना संकेत बोर्ड, हादसे में जा रही जान
हजारीबाग के चौपारण से गोरहर तक एनएच-2 के सिक्सलेन चौड़ीकरण का काम 2019 में शुरू हुआ था, लेकिन छह साल बाद भी अधूरा है। निर्माण कार्य की धीमी गति और ठेकेदार की लापरवाही के कारण 62 लोगों की जान जा चुकी...

हजारीबाग के चौपारण से गोरहर तक एनएच-2 के सिक्सलेन चौड़ीकरण का काम वर्ष 2019 में शुरू हुआ था। छह साल बाद भी यह परियोजना अधूरी है, इससे यहां के लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। तकरीबन हर एक दो दिन में हादसे होते हैं। निर्माण कार्य की धीमी गति और ठेकेदार की लापरवाही के कारण कई लोगों की जान जा चुकी। बोले हजारीबाग कार्यक्रम में हिन्दुस्तान के साथ अपनी पीड़ा साझा की। हजारीबाग। चौपारण और बरकट्ठा में निर्माणाधीन फ्लाइओवर भी लोगों की समस्याओं को बढ़ा रहे हैं। इस सड़क पर रोजाना दुर्घटनाएं हो रही है और हादसे में अबतक कई लोगों की जान भु जा चुकी है। बावजूद इसके निर्माण कार्य धीमी गति से ही चल रहा है। चौपारण चट्टी में नाली निर्माण नहीं होने के कारण बारिश के दिनों में घरों और दुकानों में पानी भर जाता है। सड़क के किनारे खोदे गए गड्ढों को खुला छोड़ दिया गया है, जो दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। सड़क निर्माण धीमी रफ्तार के कारण चौपारण के आसपास के इलाकों में यातायात व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है। लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
छह सालों में 62 लोगों की जा चुकी है जान, सैकड़ों वाहन क्षतग्रिस्त: चौपारण से गोरहर तक निर्माणाधीन जीटी रोड पर पिछले छह वर्षों में धीमी गति के निर्माण और ठेकेदार की लापरवाही के कारण 62 लोगों की जान चली गई है, जबकि सैकड़ों लोग घायल और अपंग हो गए हैं। संवेदक द्वारा सुरक्षा उपायों की कमी और लापरवाही के कारण दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई है।
स्थानीय लोगों ने कई बार प्रशासन से सड़क निर्माण कार्य में तेजी लाने और सुरक्षा उपायों को बढ़ाने की मांग की है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
नाम बदला, काम वही, सड़क निर्माण में गड़बड़झाला : सिक्सलेन सड़क चौड़ीकरण में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक कंपनी, जिसे पहले ब्लैकलस्टिेड किया गया था उस कंपनी ने अपना नाम बदलकर उसी परियोजना पर काम करना जारी रखा। फरवरी 2018 में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को चोरदाहा से गोरहर तक 71 किलोमीटर के सड़क को छह लेन में चौड़ा करने का 999 करोड़ रुपये का काम सौंपा था। रिलायंस ने राजकेशरी को उपठेकेदार बनाया। 30 महीने में सड़क निर्माण का काम पूरा होना था, लेकिन समय सीमा में काम पूरा नहीं होने के कारण राजकेशरी को ब्लैकलस्टिेड कर दिया गया। इसके बाद उसी कंपनी को कौशल इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम से फिर से काम सौंप दिया गया।
दुर्घटना के बाद घंटों सड़क जाम, यात्रियों को परेशानी : चौपारण से गोरहर के बीच निर्माणाधीन जीटी रोड पर आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं ने यात्रियों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है।
हर छोटी-बड़ी दुर्घटना के बाद सड़क पर वाहनों की लंबी कतार लग जाती है, जिससे घंटों तक जाम लगा रहता है। पुलिस को जाम खुलवाने में घंटों मशक्कत करनी पड़ती है, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी होती है।
दनुआ घाटी और घटनाएं : दनुआ घाटी एक अबूझ पहेली बन गई है, जहां हर एक-दो दिन में सड़क हादसे होते हैं और हर दो-चार दिन में एक-दो जानें चली जाती हैं। वाहन क्षतग्रिस्त हो रहे हैं, लेकिन दनुआ की स्थिति को सुधारने वाला न तो एनएचएआई है और न ही पुलिस प्रशासन। दनुआ से गुजरने वाले वाहनों को मौत के मुंह से होकर गुजरना पड़ता है।
चौपारण से चोरदाहा तक सड़क चौड़ीकरण की प्रक्रिया पिछले 5 वर्षों से लंबित है। लोगों को उम्मीद थी कि सड़क चौड़ीकरण में तकनीकी कमियों को दूर किया जाएगा ताकि हादसों पर नियंत्रण पाया जा सके। दनुआ घाटी में सड़क हादसे अखबारों की सुर्खियां बन गए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं हो रहा है।
अंधे मोड़ और तीव्र ढलान के कारण घाटी में हमेशा दुर्घटना की रहती है आशंका
चालकों को घाटी पार करना किसी चुनौती से कम नहीं है। हर दिन यहां से हजारों वाहन गुजरते हैं। लेकिन सड़क की स्थिति बेहद खराब है। अंधे मोड़ और तीव्र ढलान के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है भारी वाहनों के फंसने से जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। दुर्घटना के बाद कई घंटों तक यातायात बाधित रहता है। इससे यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। प्रशासन की अनदेखी के कारण यह घाटी जानलेवा बन चुकी है।
घाटी के कई हिस्सों में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं , संकेत बोर्ड भी नहीं
दुर्घटनाओं के बावजूद यहां यातायात प्रबंधन की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है।घाटी के कई हस्सिों में स्ट्रीट लाइट तक नहीं लगी है। रात के समय यहां से गुजरना बेहद जोखिम भरा होता है। सुरक्षा संकेतों और बैरिकेडिंग की भारी कमी है। जिससे वाहन चालक असमंजस में पड़ जाते हैं। एनएचएआई और पुलिस प्रशासन की ओर से कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सड़क को दुरुस्त करने और यातायात नियमों को लागू करने की मांग उठ रही है।
वर्षों से अधूरा पड़ा है काम, सड़क किनारे खोदे गए गड्ढे बने जानलेवा
सड़क निर्माण में तकनीकी खामियां लगातार बनी हुई हैं। घाटी में सिक्सलेन का काम वर्षों से अधूरा पड़ा है। निर्माण कार्य में लापरवाही से सड़क पर गड्ढे और असमतल भाग बढ़ते जा रहे हैं। जिससे हादसे होना आम हो गया है। बारिश के दिनों में सड़क पर जलभराव के कारण फिसलन बढ़ जाती है । जिससे वाहन नियंत्रण खो देते हैं कई बार स्थानीय लोगों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपा लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
खतरनाक घाटी बनी जानलेवा
दनुआ घाटी में सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। हर दो-चार दिन में कोई न कोई बड़ा हादसा हो रहा है। वाहन चालकों के लिए यह घाटी सबसे खतरनाक साबित हो रही है। सड़क की स्थिति खराब होने से दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। प्रशासन की लापरवाही के कारण सुधार कार्य ठप पड़ा है। कई बार लोगों ने एनएचएआई से समाधान की मांग की लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। घाटी से गुजरने वाले हर वाहन चालक को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है।
समयाएं
1. परियोजना को शुरू हुए छह साल हो चुके हैं, फिर भी यह अभी तक पूरी नहीं हुई है।
2. चौपारण और बरकट्ठा तक फ्लाईओवर का निर्माण का काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
3. चौपारण चट्टी में नाली निर्माण नहीं होने से बारिश में घरों व दुकानों में पानी भर जाता है।
4. सड़क के किनारे खुले गड्ढे और अधूरे निर्माण स्थल दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं।
5. संवेदक द्वार धीमी गति से निर्माण कार्य करने से लोगों को होती है काफी परेशानी।
सुझाव
1. सरकार को ठेकेदार पर दबाव डालकर निर्माण कार्य में तेजी लाने का प्रयास करना चाहिए।
2. फ्लाईओवर का निर्माण जल्द पूरा किया जाना चाहिए ताकि यातायात को सुचारू हो सके।
3. चौपारण चट्टी में नाली निर्माण कार्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
4. गड्ढों को तुरंत भरा जाना चाहिए और नर्मिाण स्थलों पर सुरक्षा उपायों को बढ़ाया जाना चाहिए।
5. एनएचएआई को ठेकेदार के काम पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।
इनकी भी सुनिए
सड़क निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए मैंने पदभार संभालते ही हर मंगलवार को समीक्षा बैठक आयोजित करना शुरू कर दिया है। सड़क निर्माण कार्य मे तेजी आई है। दनुआ घाटी में सुरक्षा सुनिश्कित चरने के लिए रखरखाव का काम किया गया है।
-मनोज कुमार पांडेय, पीडी, एनएचएआई हजारीबाग
ठेकेदार की लापरवाही के कारण सड़क निर्माण कार्य धीमी गति से चल रहा है। इस मामले को विधानसभा में उठाया है और
एनएचएआई और संबंधित ठेकेदार से बात की है ताकि सड़क चौड़ीकरण का कार्य जल्द से जल्द पूरा हो सके। सड़क निमार्ण में देरी के कारण स्थानीय लोगों को भारी असुविधा हो रही है।
-मनोज यादव, बरही विधायक
लोगों ने कहा - हमेशा बना रहता है हादसे का डर
यह सड़क हमारे लिए अभिशाप बन गई है। हर दिन दुर्घटनाएं होती हैं। सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जाती है। सरकार को जल्द से जल्द इस सड़क का निर्माण
कार्य पूरा करवाना चाहिए। -बिरेन्द्र रजक
मेरे भाई की मौत इसी सड़क पर हुई थी। ठेकेदार की लापरवाही ने मेरे का घर उजाड़ दिया। इस सड़क पर यात्रा करना बहुत जोखिम भरा है। हर समय डर लगा रहता है। छह साल में भी निर्माण पूरा नहीं हुआ है। -विक्की यादव
फ्लाईओवर अब केवल बैनर और पोस्टर टांगने के काम आ रहा है। किसी का भी ध्यान इसे पूरा करने पर नहीं है और इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। अक्सर लोगों को जाम झेलनी पड़ती है। -राजेश यादव
सड़क पर कोई चेतावनी संकेत या बैरिकेडिंग नहीं है, जिससे रात के समय दुर्घटनाओं की संभावना और भी बढ़ जाती है। निर्माण कार्य के दौरान छोड़े गए गड्ढे और मलबा भी दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। -मो सत्तार अंसारी
सड़क निर्माण की धीमी रफ्तार के कारण हमें आने-जाने में बहुत परेशानी हो रही है। इस पर पर अक्सर हादसे होते हैं और इसके कारण घंटों जाम लगता है और लोगों को परेशानी होती है। -देवल यादव
चौपारण में नाली नहीं बनने से बरसात का पानी हमारे घर व दुकानों में घुस रहा है। इससे हमें काफी नुकसान हो रहा है। कई बार प्रशासन से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन समस्या की तस है। -असगर अन्सारी
एनएचआई के आला अधिकारी सड़क निर्माण कार्य को जल्द पूरा कराने के लिए निर्माण कंपनी पर दबाव बनाए। सड़ बनने के बाद हादसों में कमी आएगी। -आलोक कुमार
जीटी रोड की हालत दयनीय हो गई है, जिससे लोगों को भारी परेशानी हो रही है। आए दिन जाम और दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
-मो. मकबूल अंसारी
फ्लाईओवर का अधूरा काम जल्द से जल्द पूरा होना चाहिए, ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके। ठेकेदार और एनएचआई की मिलीभगत के चलते निर्माण् में देरी हो रही है।
-दिलीप राणा
जीटी रोड के किनारे रहना एक अभिशाप बन गया है। दुर्घटनाओं में गरीब लोगों की जान जा रही है। यदि रिलायंस कंपनी अपने दम पर काम करती, तो यह परियोजना बहुत पहले पूरी हो जाती। -बिरेन्द्र चनद्रवंशी
सड़क निर्माण कार्य मे लापरवाही के कारण राहगीरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जल छिड़काव न करने के कारण उड़ती धूल राहगीरों की आंखों में जलन होती है। -दीपक गुप्ता
सड़क निर्माण कार्य में सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी की जा रही है, जिसके कारण प्रतिदिन छिटपुट दुर्घटनाएं हो रही हैं। कंपनी द्वारा जगह-जगह पहले लगाए गए सेफ्टी गार्ड हटा दिए गए हैं। -अरविंद
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