झील में फिर से जलकुंभी की भरमार, सोमवार से होगा जलसत्याग्रह
कटकमसांडी में नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा वैदिक विधि से की गई। पूजा के बाद मां को शक्कर और पंचामृत का भोग अर्पित किया गया। आचार्य जयनन्द कुमार पांडेय के अनुसार, मां चंद्रघंटा की आराधना...
कटकमसांडी, प्रतिनिधि। नवरात्र के तीसरे दिन भगवती के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की वैदिक विधि विधान से पूजा-अर्चना की गयी ।पूजा के बाद माता को अन्य भोग के अलावा शक्कर और पंचामृत का भोग अर्पण किया गया। पूजा अर्चना और आरती के बाध प्रसाद का वितरण किया गया। कटकमसांडी शारदीय दुर्गा मंदिर के आचार्य जयनन्द कुमार पांडेय और ज्योतिष तथा कर्म कांड के विद्वान पंडित सुमन कुमार वत्स ने बताया कि देवी पुराण व महात्म्य के अनुसार मां चंद्रघंटा के वंदन से मन को परम सूक्ष्म ध्वनि सुनाई देती है जो मन को बहुत शांति प्रदान करती है। चूंकि इनका वर्ण स्वर्ण जैसा चमकीला है और यह हमेशा आसुरिक शक्तियों के विनाश के लिए सदैव तत्पर रहती हैं, इसलिए इनकी आराधना करने वाले को भी अपूर्व शक्ति का अनुभव होता है। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को तेज और ऐशवर्य की प्राप्ति होती है साथ ही शक्कर और पंचामृत का भोग अर्पण करने से माता भक्तों को दीर्घायु का वरदान देती है। कटकमसांडी और कटकमदाग प्रखंड के करीब 35 से 40 गांवों में माता की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जा रही । विभिन्न समिति द्वारा जहां रात्रि में प्रवचन का कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं ।वहीं कई जगहों पर रात्रि जागरण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।