बच्चों ने सजायी ज्यामितीय आकारों में बालवाटिका
हजारीबाग के नमन विद्या मंदिर में बच्चों को फूलों की बालवाटिका के माध्यम से ज्यामितीय आकारों की समझ बढ़ाई जा रही है। नई शिक्षा नीति के तहत, बच्चे न केवल फूलों को संवारते हैं, बल्कि अनुशासन और रचनात्मक...
हजारीबाग, वरीय संवाददाता। हजारीबाग के नमन विद्या मंदिर में फूलों की बालवाटिका सजाकर ज्यामितीय आकारों की समझ बढ़ा रहे हैं बच्चे। इसके साथ वे इससे जिंदगी का अनुशासन भी सीख रहे हैं। यहां बच्चों के अनुशासन का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वे न केवल फूलों को संवारते हैं, बल्कि अनुशासन ऐसा निभाते हैं कि उनकी एक पंखुड़ी तक नहीं तोड़ते। नई शिक्षा नीति के तहत बालवाटिका पाठ्यक्रम के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने का यहां अनूठा प्रयास किया जा रहा है। इस पहल में बच्चों को फूलों और उनकी डिजाइनों के जरिये विभिन्न आकारों और आकृतियों को समझाया जाता है। यह शिक्षण पद्धति न केवल बच्चों के ज्ञान में वृद्धि करती है, बल्कि उनके रचनात्मक और तार्किक कौशल को भी विकसित करती है।
नई शिक्षा नीति का उद्देश्य पारंपरिक शिक्षण पद्धतियों को रोचक और व्यावहारिक बनाना है। बालवाटिका पाठ्चक्रम के माध्यम से बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा देने पर जोर दिया गया है। इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को त्रिभुजाकार आयताकार, वृत्ताकार, समचतुर्भुज, पट्भुज, समद्विबाहु त्रिभुज, विषमबाहु त्रिभुज और अन्य ज्यामितीय आकारों का ज्ञान दिया जाता है। फूलों की पंखुड़ियों, डिज़ाइनों और उनकी सरवनाओं का उपयोग कर बच्चों को इन आकृतियों का अध्ययन कराया जाता है। इसके साथ ही उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि ये आकृतियां हमारे दैनिक जीवन में कहां और कैसे उपयोगी होती है। इस परिसर की स्वच्छता और सुव्यवस्था ने गहराई से प्रभावित किया। कहीं कचरा, न ही किसी तरह की अव्यवस्था।
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