बोले हजारीबाग:आइए, सौ साल पुरानी लाइब्रेरी को बचाएं, दीमक बर्बाद कर रहे
हजारीबाग। हजारीबाग के संत कोलंबा कॉलेज की लाइब्रेरी, जो कभी ज्ञान का केंद्र हुआ करती थी, आज बदहाली की कहानी बयां कर रही है। धूल खाती किताबें, जर्जर भ

हजारीबाग। हजारीबाग के संत कोलंबा कॉलेज की लाइब्रेरी, जो कभी ज्ञान का केंद्र हुआ करती थी, आज बदहाली की कहानी बयां कर रही है। धूल खाती किताबें, जर्जर भवन, और सुविधाओं की कमी ने छात्रों की रुचि घटा दी है। जरूरत है सौ साल पुरानी लाइब्रेरी को बचाने की। लाइब्रेरी पूरी तरह से बदहाल हो चुकी है। प्लास्टर गिर रहे हैं। बरसात के दिनों में छतों से पानी टपकते रहता है। इसकी शिकायत हुई, मगर कार्रवाई नहीं हो सकी। लाइब्रेरी की लाइब्रेरी में नई शिक्षा नीति की किताबें नहीं हैं। हजारीबाग। संत कोलंबा कॉलेज की लाइब्रेरी की स्थिति काफी चिंताजनक है। छत से प्लास्टर झड़ता है, कमरे की रोशनी कम है। पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं है। छात्रों को घर से पानी लाना पड़ता है। नई शिक्षा नीति के पाठ्यक्रम के अनुसार किताबें नहीं है। इससे छात्रों को परेशानी होती है। सीटों की कमी है। विद्यार्थियों को यहां बैठने में परेशानी होती है। स्लो इंटरनेट स्पीड भी समस्याएं हैं। छात्रों की मांग है कि लाइब्रेरी को पूरे हफ्ते खुला रखा जाए और सुविधाएं बढ़ाई जाएं।
कभी ज्ञान के भंडार रहे पुस्तकालय आज पाठकों की राह तक रहे हैं। संत कोलंबा कॉलेज की लाइब्रेरी भी ऐसी ही बदहाली की कहानी बयां कर रही है। किताबें अलमारी में धूल खा रही हैं। रेफरेंस रूम के दरवाजे महीने भर में मुश्किल से एक-दो बार खुलते हैं और जो छात्र लाइब्रेरी आते भी हैं वे किताबें पढ़ने से ज्यादा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे दिखते हैं। सुविधाओं की भारी कमी ने भी छात्रों की रुचि घटा दी है। लाइब्रेरी के भवन की स्थिति काफी जर्जर हो चुकी है।
छात्र बताते हैं कि पढ़ते -पढ़ते अचानक सिर और किताबों पर प्लास्टर झड़ने लगता है। बारिश में छत टपकती है। इतना नामी कॉलेज है लेकिन लाइब्रेरी की हालत देखकर कोई यकीन नहीं करेगा कि यह इतना बदहाल हो सकता है। शौचालय की सुविधा न होने से छात्राओं को ज्यादा परेशानी होती है। छात्राएं बताती है कि हमें दूर अपने डिपार्टमेंट या कॉमन रूम जाना पड़ता है। लाइब्रेरी के पास ही जगह खाली है, वहां टॉयलेट बनवा देना चाहिए पीने के पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। गर्मी में प्यास लगने पर छात्रों को घर से लाया हुआ पानी ही इस्तेमाल करना पड़ता है।
अगर एक वाटर कूलर लगवा दिया जाए। तो बड़ी राहत मिलेगी नई शिक्षा नीति लागू हुए लंबा समय हो चुका है, लेकिन कॉलेज की लाइब्रेरी में इससे जुड़ी एक भी किताब नहीं है। छात्राएं नाराजगी जताते हुए कहा हम लोग नई शिक्षा नीति पर पढ़ाई करना चाहते हैं। लेकिन लाइब्रेरी में इससे जुड़ी कोई किताब ही नहीं मिलती पाठ्यक्रम बदलते ही किताबें आ जानी चाहिए, लेकिन यहां वर्षों से अपडेट नहीं किया गया है लाइब्रेरी में बैठने की जगह भी कम पड़ रही है।
कई बार सीट न मिलने की वजह से लौटना पड़ता है। कुछ छात्र फर्श पर बैठकर पढ़ने को मजबूर होते हैं। संगम प्रजापति ने बताया कि कॉलेज का वाई-फाई बेहद कमजोर है। कई बार जरूरी फाइल डाउनलोड करनी होती है। इंटरनेट स्पीड इतनी कम होती है कि मजबूरन साइबर कैफे जाना पड़ता है। लाइब्रेरी में पार्किंग की भी सुविधा नहीं है। जिससे छात्रों की गाड़ियां सड़क पर खड़ी करनी पड़ती हैं।
यहां पर नजदीकी अन्नदा और केबी महिला कॉलेज के छात्र ज्यादा पढ़ते हैं। यहां प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों का कहना है की मेन टाउन भी नजदीक है। कभी शॉपिंग के लिए भी जाना होता है तो तनिक भी दूर नहीं लगता है। अन्यथा शॉपिंग के लिए कभी आधा दिन बर्बाद हो जाता था। शाम में एक घंटा पहले निकलते और जरूरी समान भी ले लेते हैं। इसका लोकेशन बहुत बढ़िया है।
यहां के पाठक दशरथ मंडल बताते हैं हम साधारण परिवार से आते हैं। सरकारी नौकरी की तैयारी में जुटे हैं। अगर लाइब्रेरी हर दिन खुले तो पढ़ाई के लिए ज्यादा समय मिलेगा। छात्रों का सुझाव है कि कोई ऐसा प्रबंधन हो जिससे कर्मियों की छुट्टी भी बनी रहे और लाइब्रेरी भी पूरे सप्ताह खुली रहे छात्रों की मांग है कि लाइब्रेरी की छत की मरम्मत की जाए।
लड़कियों के लिए अलग शौचालय बने। पीने के पानी के लिए वाटर कूलर लगे। नई शिक्षा नीति की किताबें जल्द लाई जाएं और बैठने के लिए टेबल-कुर्सियों की संख्या बढ़ाई जाए। लाइब्रेरी का वाई-फाई बेहतर किया जाए, पार्किंग की उचित व्यवस्था हो अगर लाइब्रेरी में सुविधाएं बढ़ाई जाएं और किताबों को अपडेट किया जाए तो यह छात्रों के लिए एक उपयोगी अध्ययन केंद्र बन सकता है कॉलेज प्रशासन को इन मांगों पर जल्द ध्यान देना होगा ताकि संत कोलंबा कॉलेज की लाइब्रेरी फिर से अपने पुराने गौरव को पा सके। पाठकों की कमी से पुस्तकालयों की स्थिति खराब हो गई है।
पाठकों की रहती है कमी
पुस्तकालयों में पाठकों की कमी एक बड़ी समस्या है, और जो पाठक आते भी हैं उन्हें भी पुस्तकालयों में पाठ्य सामग्री के अलावा अन्य पुस्तकों में कोई रुचि नहीं है।
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और सिलेबस की पढ़ाई के अलावा, पुस्तकालयों में साहित्य, पर्यटन, इतिहास जैसे पुस्तकों के अध्ययन में पाठकों को कोई रुचि नहीं है। हजारीबाग के पुस्तकालयों में पाठकों की कमी एक बड़ी समस्या है। पुस्तकालयों में पाठकों की कमी के कारण पुस्तकालयों की उपयोगिता कम हो गई है।
प्रमंडलीय पुस्तकालय का करा दिया गया है कायाकल्प
शहर के केंद्र में प्रमंडलीय पुस्तकालय है जो कांग्रेस ऑफिस रोड में रूक्मिणी भवन में चलता है। यहां पर हाल ही में डीएमटी निधि से पुस्तकालय का कायाकल्प हुआ है, जिससे यह चमक दमक और अन्य आधारभूत संरचना के लिहाज से पहले से बेहतर हुआ है। पहले यह भीतर से अंधेरा रहता था। काठ के अलमीरा में बेतरतीब ढंग से पुस्तकें रखी रहती थी। परन्तु उपायुक्त नैंसी सहाय एवं संबंधित अधिकारियों के की पहल के बाद यहां रौनक लौटी है। यहां अंदर प्रवेश करते हीं आपको सारे टैबल पर विद्यार्थी बैठे नजर आएँगे। हां एक बात जरूर चिंतनीय है कि पुस्तकालय में पुस्तकों की संख्या भी बहुत है। पर इसमें इक्का दुक्का ही इन पुस्तकों का कोई पाठक है। सभी यहाँ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने आते हैं। घर के शोर और घरेलु परेशानियों से थोड़ी दूरी रहती है। जो बच्चें शहर में कमरा किराया लेकर भी रहते हैं उनका कहना है कि लॉज में तीन चार लड़का एक साथ रहते हैं।
विद्यार्थियों को पढ़ाई में किसी भी तरह की दिक्कत नहीं हो, इसकी कोशिश करता रहता हूं। यहां की लाइब्रेरी में सुधार के लिए भी कोशिश की जाएगी। इसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर बातचीत की जाएगी। आने वाले समय में ठीक कर दिया जाएगा। आनेवाले दिनों में छात्रों की सुविधाओं का ख्याल रखा जाएगा। इस गौरवशाली संस्थान के बेहतरी में हमारा कुछ योगदान हो, यह मेरे लिए उपलब्धि होगी।
-बिमल रेवेन, प्राचार्य, संत कोलंबा कॉलेज, हजारीबाग
संत कोलंबा कॉलेज 126 साल से अधिक पुराना है। इसकी लाइब्रेरी भी दुलर्भ है। इसमें दुर्लभ किताबें हैं इसकी रक्षा करना निहायत जरूरी है, रीडिंग रूम अति आवश्यक है लाइब्रेरी में वेंटिलेशन का अभाव है। एक नये लाइब्रेरी भवन की आवश्यकता है। संत कोलंबा कॉलेज की लाइब्रेरी की स्थिति बदहाल है यह चिंतनीय है। इसे दुरुस्त करना ही चाहिए।
-प्रोफेसर केपी शर्मा, सेवानिवृत्त प्रोफेसर इंचार्ज, संत कोलंबा कॉलेज, हजारीबाग
संत कोलंबस कॉलेज की लाइब्रेरी में नई शिक्षा नीति पर एक भी पुस्तक नहीं है। पढने में बहुत दिक्कत होता है। पाठ्यक्रम लागू होने के तुरंत बाद मैटेरियल उपलब्ध कराना चाहिए खासकर पुस्तक के रूप में। प्राचार्य महोदय से आग्रह करते हैं की शीघ्र ही हमारी समस्या का समाधान करें। -सरिता कुमारी
पुस्कालय की छत से प्लस्तर हमेशा झड़ते रहता है। पढते समय अचानक सिर और किताब पर बालू-सिमेन्ट गिर जाता है। इतना नामवर संस्थान है। यहां ऐसा हाल है। बरसात में छत से पानी भी रिसता है। छत का मरम्मत हो जाए तो बढिया रहता। कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है। -राहुल कुमार
लड़कियों के लिए यहां टॉयलेट नहीं है। हमलोग को यहाँ से दूर अपने विभाग या कॉमन रूम जाना पड़ता है। लड़कियों के लिए बगल में टॉयलेट का बहुत जरूरत है। यहां जमीन भी खाली है। हमलोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कॉलेज प्रशासन को शोचालय का निर्माण कराना चाहिए। -काजल कुमारी
पीने के पानी की कोई सुविधा पुस्तकालय में नहीं है। गर्मी का दिन अब आ चला, अब तो और भी प्यास लगेगा। लाइब्रेरी में एक वाटर कूलर लग जाने से ठंडा पानी भी मिल जाएगा। हमलोग घर से बोतल से पानी लाते हैं उसी से किसी तरह काम चलाते हैं। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। -अरुण कुमार
बैठने के लिए टेबल कुर्सी की कमी हैं। बहुत बार हमलोग इसलिए लौट जाते हैं की एक भी सीट खाली नहीं मिलता है। इसके अलावा यहां पर कुछ बच्चे विवश होकर फर्श पर बैठ कर पढते हैं। दूर-दराज से आने वाले छात्रों के लिए यह बहुत बड़ी परेशानी है। टेबल कुर्सी का संख्या बढाना बहुत जरूरी है। -अमित कुमार
वाई फाई की क्षमता बहुत कमजोर है। कई बार पढने के लिए जरूरी कोई फाइल नहीं खुल पाता है। ऑनलाइन कोई काम सही से नहीं होता है मजबूरन साइबर कैफे जाना पड़ता है। यहाँ डाटा लिमिट कर दिया गया है। हम कॉलेज प्रशासन से मांग करते हैं कि वाईफाई का क्षमता बढा दिया जाए। -संगम प्रजापति
हजारीबाग शहर के बीच स्थिति इस लाइब्रेरी में सुविधा बढने से यहां ज्यादा से ज्यादा लोग पढना चाहते हैं, इसलिए जगह की कमी महसूस होता है। अगर हॉल की संख्या बढ जाए तो बहुत बढिया होता। ज्यादा लोग इसका लाभ उठा पाएंगे। नए बच्चों का नामांकन भी आसानी से हो पाएगा। -जितेन्द्र कुमार
हम यहां पिछले आठ साल से आ रहे हैं। उपायुक्त महोदय ने तो कायाकल्प कर दिया। यहाँ ज्यादा लड़के पढते हैं इसलिए अगर शौचालय की संख्या बढ जाती तो बढिया रहता। कम संख्या के कारण लाइन लगाना पड़ता है। लड़के-लड़कियों के शौचालय की संख्या में बढा दी जाए। -मुकेश कुमार
यह भी एक तरह का शैक्षणिक परिसर ही है। सड़क के किनारे दिन रात वाहनों का हॉर्न बजते रहता है। लाइब्रेरी में पढ़ने वालों को काफी दिक्कत होती है। फेरी वाले, गन्ना मशीन वाले शोर करते रहते हैं। इससे पढाई में बाधा उत्पन्न होती है। इस रोड को नो हॉर्न जोन घोषित कर दे तो बढिया रहता। -आकाश कुमार
लाइब्रेरी में वाहन पार्किंग बहुत बड़ी समस्या है। बाइक, साइकिल रोड पर ही रखना पड़ता है। इससे रोड भी जाम हो जाता है। कई बार खड़ी बाइक,स्कूटी को कोई ठोक कर चल जाता है। पढाई के बाद जब बाहर आते हैं तो गाड़ी टूटा,रगड़ा मिलता है। वाहन पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए। -राजन कुमार
शहर में दोपहिया वाहनों का हमेशा चोरी होते रहता है। रोड पर बाईक खडी करते समय गाड़ी चोरी हो जाने का भय मन में सताता रहता है। हर घंटा बीच बीच में बाहर निकल कर देखते रहते हैं की बाईक अपने जगह खड़ा है की नहीं। लाइब्रेरी का अपना पार्किंग नहीं होने से परेशानी होती है। -देवकी कुमार
हम लोग बेहद साधारण परिवार से आते हैं। किसी तरह सरकारी नौकरी चाहते हैं। परिवार का बहुत दवाब है रोजगार पाने का। अगर सप्ताह के हर दिन खुला रहता तो पढने का ज्यादा समय मिलता। यहाँ के कर्मियों के लिए भी एक दिन छुट्टी होना चाहिए यह भी मानते हैं। -दशरथ मंडल
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