Hindi Newsझारखंड न्यूज़गिरिडीहWater Supply Scheme on Brink of Closure in Giridih Due to Poor Maintenance

बंद होने के कगार पर है बदडीहा जलापूर्ति योजना

गिरिडीह के महेशलुण्डी पंचायत में बदडीहा ग्रामीण जलापूर्ति योजना रखरखाव के अभाव में बंद होने के कगार पर है। इससे तीन पंचायतों की लगभग 10 हजार आबादी जलसंकट का सामना कर सकती है। पंचायत के मुखिया ने इस...

Newswrap हिन्दुस्तान, गिरडीहWed, 27 Nov 2024 07:52 PM
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गिरिडीह, प्रतिनिधि। सदर प्रखंड अंतर्गत महेशलुण्डी पंचायत में अवस्थित बदडीहा ग्रामीण जलापूर्ति योजना रखरखाव के आभाव में अब बंद होने की कगार पर है। जलापूर्ति योजना के बंद होने से तीन पंचायत की लगभग 10 हजार की आबादी को जलसंकट का सामना करना पड़ सकता है। इस बाबत महेशलुंडी पंचायत के मुखिया शिवनाथ साव ने गिरिडीह डीसी एवं पेयजल स्वच्छता विभाग प्रमंडल-2 को जलापूर्ति योजना की बदहाली पर ज्ञापन सौंपा है। दिए ज्ञापन में शिवनाथ साव ने बताया कि 2015 में बदडीहा ग्रामीण जलापूर्ति चालू हुई थी। इस योजना के लगभग 9 वर्ष पूरे हो गए हैं। पैसा व रखरखाव के अभाव में यह योजना दम तोड़ रही है। बताया कि इस जलापूर्ति योजना का लाभ तीन पंचायत महेशलुंडी, करहरबारी व अकदोनीकला की लगभग 10 हजार आबादी वर्तमान में ले रही है, लेकिन जल एवं स्वच्छता समिति द्वारा इसे चला पाना अब संभव नहीं हो पा रहा है। कहा की जलापूर्ति को सुचारू रूप से चलने के लिए पांच वर्कर कार्यरत हैं। अवधि अधिक होने के कारण जलापूर्ति योजना में मेनटेनेंस का खर्च भी बढ़ गया है एवं जलकर राशि लोगों द्वारा न के बराबर दी जा रही है। जिसके कारण दिन-प्रतिदिन इस योजना को चला पाना मुश्किल हो रहा है।

जलापूर्ति के 7 वर्षों का आज तक नहीं मिल पाया है हिसाब : मुखिया शिवनाथ साव ने बताया कि 2015 में योजना प्रारंभ होने के चार वर्षों तक कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा इस योजना को अपनी देखरेख में चलाया गया। इसके बाद तीन वर्षों तक पूर्व की समिति द्वारा परियोजना चलाई गई, लेकिन उक्त अवधि में न्यू कनेक्शन राशि एवं जलकर की राशि की जितनी भी वसूली की गई उक्त राशि को जमानत राशि के तौर पर समिति के बैंक खाते में रखना था। जिस राशि का उपयोग परियोजना को सुचारु रूप से संचालन हेतु खर्च करना था, लेकिन पूर्व की कमेटी के द्वारा किसी भी प्रकार का कोई आय व्यय का हिसाब आज तक नई समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है और ना ही पूर्व की समिति की ओर से आज तक कोई भी जमा राशि नई समिति को दी गयी, जिससे उसकी जर्जर स्थिति व मशीन की तकनीकी खराबी की आपातकाल स्थिति में मरम्मत की जा सके। बताया कि इस संबंध में कई दफा विभाग एवं उपायुक्त को आवेदन देकर शिकायत की गई है। कई दफा विभाग के पदाधिकारियों की उपस्थिति में बैठक भी की गई है, पर विभाग ने कभी भी गंभीरता से इसे नहीं लिया। फलस्वरुप आज परियोजना बंद होने के कगार पर है।

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